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कौन हैं पूर्व आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल, जो बनीं हैं देश के प्रथम गांव गूंजी की प्रधान

निर्विरोध चुने जाने के बाद अपने निवास पर मीडिया से बात करते हुए विमला गुंज्याल ने कहा, “मैंने ग्रामीणों के आग्रह पर चुनाव लड़ा है. अब गांव की स्वच्छता, विकास और संसाधनों के उचित प्रबंधन पर योजनाबद्ध तरीके से काम करूंगी.”

कौन हैं पूर्व आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल, जो बनीं हैं देश के प्रथम गांव गूंजी की प्रधान
पिथौरागढ़:

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में बसे भारत-चीन सीमा के नजदीक गांव गूंजी ने एक इतिहास रचा है. देश के ‘वाइब्रेंट विलेज' कार्यक्रम में शामिल किसी गांव की पहली निर्विरोध ग्राम प्रधान के रूप में पूर्व आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल चुनी गई हैं. पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजी विजिलेंस) रह चुकीं विमला गुंज्याल ने 35 वर्षों तक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस विभाग में सेवाएं देने के बाद अब अपने गांव का सेवा करने की बात कही  है. गुंज्याल 2025 में आईजी विजिलेंस के पद से सेवानिवृत्त हुईं. 2019 में उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी नवाजा गया था. अब ग्रामीणों के आग्रह पर उन्होंने अपने गांव गूंजी की सेवा करने का फैसला लिया है.

कैसे बनीं निर्विरोध ग्राम प्रधान?

दरअसल, उत्तराखंड में 24 और 28 जुलाई को दो चरणों में पंचायत चुनाव होने हैं. इसी क्रम में शनिवार को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन था. ग्राम गूंजी में पहले पांच अन्य ग्रामीण भी प्रधान पद के लिए नामांकन पत्र खरीद चुके थे. लेकिन जैसे ही गुरुवार को विमला गुंज्याल धारचूला पहुंचीं, शुक्रवार को गूंजी मिलन केंद्र में एक बड़ी बैठक हुई, जहां ग्रामीणों ने आपसी सहमति से तय किया कि कोई भी उनके खिलाफ नामांकन दाखिल नहीं करेगा.

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शनिवार को नामांकन के अंतिम दिन किसी ने भी पर्चा नहीं भरा. निर्वाचन अधिकारी प्रमोद मिश्रा ने बताया, “जब पांच अन्य संभावित उम्मीदवारों ने विमला गुंज्याल के समर्थन में अपने नामांकन वापस ले लिए, तो उन्हें निर्विरोध ग्राम प्रधान घोषित कर दिया गया.”

गांव में यह आजादी के बाद पहली बार हुआ है जब कोई प्रधान निर्विरोध चुना गया. सरपंच लक्ष्मी गुंज्याल, हरीश गुंज्याल सहित कई स्थानीय लोगों ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह गांव के लिए गर्व की बात है.

सेवानिवृत्ति के बाद लिया बड़ा निर्णय

निर्विरोध चुने जाने के बाद अपने निवास पर मीडिया से बात करते हुए विमला गुंज्याल ने कहा, “मैंने ग्रामीणों के आग्रह पर चुनाव लड़ा है. अब गांव की स्वच्छता, विकास और संसाधनों के उचित प्रबंधन पर योजनाबद्ध तरीके से काम करूंगी.”

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पति भी समाज सेवा में ले रहे हैं हिस्सा

उनके पति अशोक गुंज्याल डिप्टी डायरेक्टर, खादी ग्राम आयोग से सेवानिवृत्त हुए हैं. उनकी पुत्री अर्पिता गुंज्याल वकील हैं, दूसरी बेटी इंजीनियरिंग के बाद निजी व्यवसाय संभाल रही है, जबकि उनका पुत्र शिवांग गुंज्याल डॉक्टर हैं. यानी पूरा परिवार किसी न किसी रूप में समाज की सेवा में जुड़ा है.

गूंजी गांव की क्यों है इतनी चर्चा?

गूंजी गांव, जो व्यास घाटी में स्थित है, केंद्र सरकार के ‘वाइब्रेंट विलेज' कार्यक्रम में शामिल है. यह योजना सीमांत क्षेत्रों में बसे गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए बनाई गई है, ताकि सीमाएं न केवल संरक्षित रहें, बल्कि वहां के लोग भी आत्मनिर्भर बन सकें. ऐसे में एक अनुभवी और ईमानदार पूर्व आईपीएस अधिकारी का ग्राम प्रधान बनना गांव के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.

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विमला गुंज्याल के आने से गांव के लोगों में खुशी

निर्विरोध निर्वाचन के बाद गांव में खुशी की लहर है. पूर्व प्रधान सुरेश गुंज्याल, सभासद संगीता गुंज्याल, हीरा गुंज्याल समेत तमाम ग्रामीणों ने कहा कि विमला गुंज्याल के नेतृत्व में अब गूंजी में विकास कार्यों को नई दिशा और रफ्तार मिलेगी.
 

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