उरी:
जम्मू-कश्मीर के आर्मी प्रशासनिक बेस पर आतंकी हमले में जो 17 जवान शहीद हुए, उनमें से ज्यादातर जवानों की मौत ग्रेनेड हमले के चलते टेंटों में लगी आग के कारण हुई. उस वक्त एक यूनिट की जगह दूसरे की तैनाती यानी ड्यूटी में बदलाव होने के चलते जवान टेंट में थे.
दरअसल चार फिदायीन हमलावर रविवार सुबह करीब पांच बजे के आस-पास बेस में घुसे और ग्रेनेड फेंकने के साथ अंधाधुंध गोलीबारी करने लगे. तीन घंटे चली जवाबी कार्रवाई में उनको मौत के घाट उतार दिया गया. इस संबंध में सेना ने एक बयान में कहा, ''प्रशासनिक बेस में ड्यूटी में बदलाव के वक्त बड़ी संख्या में जवान टेंट में मौजूद थे और उनमें लगी आग के कारण भारी क्षति हुई.''
इस हमले में कम से कम 30 जवान घायल हो गए और उनको इलाज के लिए यहां से 100 किमी दूर श्रीनगर पहुंचाया गया.
हाल के वर्षों में किसी एक हमले में सेना की यह सबसे बड़ी क्षति है. जनवरी में उच्च सुरक्षा वाले पठानकोट एयर बेस में छह आतंकियों के हमले में सात जवान शहीद हो गए थे.
रविवार को ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रूस और अमेरिका के दौरे पर जाने वाले थे लेकिन इस हमले के बाद उन्होंने अपनी यात्रा फिलहाल स्थगित कर दी. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और आर्मी चीफ दलबीर सिंह हालात का जायजा लेने के लिए कश्मीर पहुंच चुके हैं.
एक दशक से भी लंबे समय के बाद सैन्य बलों पर यह सबसे बड़ा हमला हुआ है. इससे पहले 2002 में तीन आत्मघाती हमलावरों ने श्रीनगर से 300 किमी दूर कालूचक के आर्मी क्वार्टर्स में हमला किया था, उसमें सैन्य बलों और उनके पारिवारिक सदस्यों के कम से कम 30 लोग मारे गए थे.
दरअसल चार फिदायीन हमलावर रविवार सुबह करीब पांच बजे के आस-पास बेस में घुसे और ग्रेनेड फेंकने के साथ अंधाधुंध गोलीबारी करने लगे. तीन घंटे चली जवाबी कार्रवाई में उनको मौत के घाट उतार दिया गया. इस संबंध में सेना ने एक बयान में कहा, ''प्रशासनिक बेस में ड्यूटी में बदलाव के वक्त बड़ी संख्या में जवान टेंट में मौजूद थे और उनमें लगी आग के कारण भारी क्षति हुई.''
इस हमले में कम से कम 30 जवान घायल हो गए और उनको इलाज के लिए यहां से 100 किमी दूर श्रीनगर पहुंचाया गया.
हाल के वर्षों में किसी एक हमले में सेना की यह सबसे बड़ी क्षति है. जनवरी में उच्च सुरक्षा वाले पठानकोट एयर बेस में छह आतंकियों के हमले में सात जवान शहीद हो गए थे.
रविवार को ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रूस और अमेरिका के दौरे पर जाने वाले थे लेकिन इस हमले के बाद उन्होंने अपनी यात्रा फिलहाल स्थगित कर दी. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और आर्मी चीफ दलबीर सिंह हालात का जायजा लेने के लिए कश्मीर पहुंच चुके हैं.
एक दशक से भी लंबे समय के बाद सैन्य बलों पर यह सबसे बड़ा हमला हुआ है. इससे पहले 2002 में तीन आत्मघाती हमलावरों ने श्रीनगर से 300 किमी दूर कालूचक के आर्मी क्वार्टर्स में हमला किया था, उसमें सैन्य बलों और उनके पारिवारिक सदस्यों के कम से कम 30 लोग मारे गए थे.
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