बृहस्पतिवार को वाराणसी के बीएचयू में छात्रों और प्रशासन के बीच गुरिल्ला युद्ध पूरे दिन जारी रहा। छात्र संघ बहाली की मांग को लेकर बीएचयू में पिछले कई दिनों से छात्र आंदोलन कर रहे हैं। छात्रों का यह आंदोलन पुलिस के लाठीचार्ज के बाद हिंसात्मक हो गया। छात्रों ने कुछ वाहनों में आग लगाई और तोड़-फोड़ की।
दरअसल, छात्रों ने बीएचयू के सिंहद्वार गेट को बंद किया और धरने पर बैठकर छात्र संघ बहाली की मांग करने लगे। पुलिस जब वहां गेट खुलवाने पहुंची, तो छात्र आक्रोशित हो गए, जिसके बाद पुलिस ने उनपर जमकर लाठियां भांजी।
लाठीचार्ज के बाद छात्रों का गुस्सा और भड़क गया, लिहाजा पूरे बीएचयू में हंगामा होने लगा। इस पूरे हंगामे में कई छात्र घायल भी हो गए। छात्रों की मानें तो बीएचयू प्रशासन की तरफ से छात्रों पर गोलियां चलायी गईं, जिसमें एक छात्र को गोली भी लगी।
छात्र नेता आदित्य कान्त द्विवेदी ने बताया कि हम लोग छात्र संघ की मांग पिछले एक महीने से कर रहे थे। बीएचयू प्रशासन हम लोगों की बात मान नहीं रहा था तो हम लोग मौन अनशन कर रहे थे। बीएचयू प्रशासन ने पुलिस बुलाकर लाठी-डंडे और गोलियों से मारा है। एक लड़के को इतना मारा गया कि वह आईसीयू में है।
गौरतलब है कि बीएचयू में 1997 में छात्र संघ को लेकर हुई झड़प में दो छात्रों की मौत हो गई थी, तब से छात्रसंघ नहीं है, लेकिन 2007 में छात्रों को मंच देने के लिए बीएचयू प्रशासन ने छात्रपरिषद की पहल की, पर यह प्रणाली चुनाव से जुड़ी नहीं थी। यह चार साल तक यह चलती रही।
2011 में बदलाव करते हुए तीन चरणों में चुनाव की परम्परा शुरू हुई, लेकिन यह एक ही सत्र चल पाई। फिर इस मामले को लेकर छात्र कोर्ट में चले गए, लिहाजा 2012 और 2013 इसी में निकल गया। अब साल 2014 में छात्र परिषद का चुनाव बीएचयू प्रशासन ने कराना चाहा तो स्थिति वीभत्स हो गई। जब-जब छात्र परिषद के चुनाव की बात होती है तब-तब यही होता है, क्योंकि विद्यार्थी छात्र संघ चुनाव की मांग करते है और प्रशासन छात्र परिषद पर अड़ा रहता है।
वाराणसी के जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने बताया कि छात्र संघ चुनाव को लेकर छात्र आक्रोशित थे। छात्र संघ का चुनाव इनके हिसाब से नहीं हो रहा है, इसे लेकर छात्रों ने गेट बंद किया, बिरला छात्रावास के सामने काफी बवाल किया, अब स्थिति कंट्रोल में है।
गौरतलब है कि इस समय बीएचयू में कोई स्थाई कुलपति नहीं है। पूर्व कुलपति लालजी सिंह के जाने के बाद से नए कुलपति का अभी सेलेक्शन नहीं हुआ है। वैसे भी पुराना कार्यकाल कई विवादों और घोटालों की जद में रहा, जिसको लेकर बीएचयू प्रशासन में ही राजनीति हो रही है। ऐसे में बीएचयू में हर तरफ इन दिनों कयासों, षड्यंत्रों और अफरातफरी का माहौल है। लिहाजा इस स्थिति को भी लोग इसी के मद्देनज़र देख रहे हैं। इस घटना के बाद चीफ प्रॉक्टर ने अपना इस्तीफा भी दे दिया है।
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