जापान बीते कुछ समय से एक खतरनाक बैक्टीरिया की चपेट में है. इस बैक्टीरिया को कोरोना से भी घातक बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इसकी चपेट में आने से पीड़ित इंसान की महज 48 घंटे के भीतर ही मौत हो जा रही है. ये बैक्टीरिया इतना घातक इसलिए है क्योंकि ये इंसानों को संक्रमित करने के बाद उसके मांस को खाता है. चुकि यह बैक्टीरिया सीधे तौर पर इंसान के मसल्स पर सबसे घातक हमला करता है, लिहाजा इसकी वजह से पीड़ित की रोक प्रतिरोधक क्षमता काफी तेजी से कम होती है और इसकी चेपट में आने के दो दिन के भीतर ही उसकी मौत हो जाती है. इस बैक्टीरिया का नाम है स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS).
इस बैक्टीरिया की मृत्यु दर 30 फीसदी है
विशेषज्ञों के अनुसार यह बैक्टेरिया दूसरे अन्य बैक्टेरिया की तुलना में बेहद घातक है. अभी तक जितनी रिपोर्ट्स सामने आई हैं उसके मुताबिक अगर 100 लोग इस बैक्टीरिया से संक्रिमत होते हैं तो उनमें से 30 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. यह कोरोना से होने वाली मृत्यु दर से भी कहीं ज्यादा है.
आखिर क्या है स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम
STSS एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बैक्टीरियल इनफेक्शन है. किसी को भी अपना शिकार बनाने के बाद ये तेजी से पीड़ित के शरीर में फैलता है. ये बैक्टीरिया पीड़ित के खून में मिलकर कुछ विषैल पदार्थ छोड़ता है, जिससे पीड़ित का मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है. ये बैक्टीरिया इंसान को संक्रमित करने के बाद उनके मांस को खाना शुरू कर देते हैं.
क्या होते हैं STSS के लक्ष्ण
डॉक्टरों की मानें तो STSS सिंड्रोम कई तरह का होता है. इसमें बैक्टीरिया बदलने पर लक्षण बदल सकते हैं. आम तौर पर STSS ले दो लोग संक्रमित होते हैं उनमें अचानक से तेज बुखार, कंपकंपी लगना, शरीर में दर्द, फ्लू जैसे लक्षण, दस्त, मतली या उल्टी होना, स्किन पर लाल दाने दिखना, स्किन का छिलना, चक्कर आना या बेहोशी सा छाना और आखों और गले में लालिमा का दिखना.
कैसे फैलता है ये बैक्टीरिया
STSS इंसानों के शरीर में उनकी कटी त्वचा के माध्यम से प्रवेश करता है. ये इतना घातक है कि अगर आपके शरीर पर कोई मामूली खरोंच भी लगी हो तो ये बैक्टीरिया उसके जरिए आपके शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है. साथ ही अगर किसी के त्वचा पर खुला घाव हो, या किसी की सर्जरी हुई हो या फिर नाक में कोई चोट हो, तो भी ये बैक्टीरिया उसके माध्यम से आपके शरीर में घुस सकता है. वहीं महिलाओं को पीरियड्स के दौरान भी इससे संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. ऐसी स्थिति तब ज्यादा होती है जब महिलाएं पीरियड्स के दौरान टैम्पून या कप का इस्तेमाल करती हैं. डॉक्टरों के अनुसार इस बैक्टीरिया से बचने के लिए महिलाओं को टैम्पून या कप की जगह सेनिटरी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए.
इस बैक्टीरिया से पैदा होने वाले लक्षण अचानक से सामने आते हैं और मरीज की हालत तेजी से बिगड़ने लगती है. राहत की बात ये है कि अगर इस बैक्टीरिया का पता जल्दी से लगा लिया जाए तो इसके होने वाले नुकसान को रोका भी जा सकता है.
इस घातक बैक्टीरिया से कैसे बचें
डॉक्टरों के अनुसार इस बैक्टीरिया से बचाव के लिए आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. पहला तो ये कि आपको चाहिए कि आप समय-समय पर हाथ धोते रहें. हाइजीन मेंटेन करें. अगर आपके शरीर में कोई भी खरोंच या चोट लगे तो उसका इलाज तुरंत कराएं. महिलाओं को चाहिए कि वह पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करें.
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