पर्यावरण की चिंता को लेकर आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम का विरोध हो रहा है
नई दिल्ली:
दिल्ली में यमुना किनारे आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के तीन-दिवसीय विश्व सांस्कृतिक कार्यक्रम को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सशर्त मंजूरी दे दी है। कार्यक्रम शुरू होने से पहले आर्ट ऑफ लिविंग संस्था को अग्निशमन विभाग से मंजूरी लेनी होगी और कार्यक्रम स्थल के ढांचे की स्थिरता सुनिश्चित करनी होगी। एनजीटी ने पर्यावरण की क्षतिपूर्ति के तौर पर आर्ट ऑफ लिविंग पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही संवैधानिक कार्यों का निर्वाह नहीं करने के लिए डीडीए पर 5 लाख और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
एनजीटी की मंजूरी ऐसे दिन आई जब दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यक्रम को पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से एक तबाही करार दिया। इस कार्यक्रम के समापन समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कुछ अन्य कारणों से हिस्सा लेने से पहले ही मना कर दिया है।
एनजीटी ने जुर्माना लगाने के साथ ही आर्ट ऑफ लिविंग से कहा कि वह उस पूरे क्षेत्र को एक जैव विविधता पार्क के तौर पर विकसित करे जो कि सवालों में है। यह आदेश एनजीओ एवं पर्यावरणविदों की अर्जियों पर आया जिन्होंने इस आधार पर महोत्सव का आयोजन रद्द करने की मांग की थी कि इससे नदी तट के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा उत्पन्न होगा।
कार्यक्रम को रोकने के लिए अर्जी दायर करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता आनंद आर्य ने इसको लेकर दुख जताया कि दिल्ली और नोएडा के बीच स्थित 1000 एकड़ से अधिक संवेदनशील क्षेत्र पर एक भी घास नहीं है, जो पहले दलदली भूमि हुआ करती थी।
इससे पहले, एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग से स्टेज बनाने और यमुना के इलाके को समतल करने सहित इस आयोजन के खर्च के बारे में पूछा तो आर्ट ऑफ लिविंग ने कहा कि तीन दिन के इस आयोजन पर करीब 26 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस पर जजों ने कहा, अगर आप इस रकम में ऐसा कर सकते हैं, तब तो यह वाकई असाधारण है। हो सकता है आगे आप ऐसे सभी राष्ट्रीय आयोजनों को संभालें।
गौरतलब है कि यमुना बैंक के करीब 1,000 एकड़ एरिया को अस्थायी गांव के तौर पर तैयार किया गया है, जहां आर्ट ऑफ लिविंग का तीन दिन का वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल होना है। यहां योगा, मेडिटेशन और शांति प्रार्थनाओं के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होने हैं।
वन और पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी में एक हलफनामा दायर कर कहा कि यमुना किनारे अस्थायी निर्माण के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं है। इस पर एनजीटी ने पूछा कि पर्यावरण मंत्रालय के तौर पर आपका क्या कर्तव्य है? क्या आपको लगता है कि इससे यमुना को नुकसान नहीं हो रहा? इससे पहले जल संसाधन मंत्रालय ने कहा था कि उसने इस मामले में कोई मंजूरी नहीं दी।
आर्ट ऑफ लिविंग ने एनजीटी के सामने कहा कि अस्थायी निर्माण डीडीए की मंजूरी और शर्तों के मुताबिक हुआ। जब स्टेज को लेकर बेंच ने सवाल उठाए कि सर्टिफाइड एजेंसी से आपने ढांचे की संरचना को पास कराया तो ऑर्ट ऑफ लिविंग ने गोल-मोल जवाब दिया। (इनपुट भाषा से)
एनजीटी की मंजूरी ऐसे दिन आई जब दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यक्रम को पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से एक तबाही करार दिया। इस कार्यक्रम के समापन समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कुछ अन्य कारणों से हिस्सा लेने से पहले ही मना कर दिया है।
एनजीटी ने जुर्माना लगाने के साथ ही आर्ट ऑफ लिविंग से कहा कि वह उस पूरे क्षेत्र को एक जैव विविधता पार्क के तौर पर विकसित करे जो कि सवालों में है। यह आदेश एनजीओ एवं पर्यावरणविदों की अर्जियों पर आया जिन्होंने इस आधार पर महोत्सव का आयोजन रद्द करने की मांग की थी कि इससे नदी तट के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा उत्पन्न होगा।
कार्यक्रम को रोकने के लिए अर्जी दायर करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता आनंद आर्य ने इसको लेकर दुख जताया कि दिल्ली और नोएडा के बीच स्थित 1000 एकड़ से अधिक संवेदनशील क्षेत्र पर एक भी घास नहीं है, जो पहले दलदली भूमि हुआ करती थी।
इससे पहले, एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग से स्टेज बनाने और यमुना के इलाके को समतल करने सहित इस आयोजन के खर्च के बारे में पूछा तो आर्ट ऑफ लिविंग ने कहा कि तीन दिन के इस आयोजन पर करीब 26 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस पर जजों ने कहा, अगर आप इस रकम में ऐसा कर सकते हैं, तब तो यह वाकई असाधारण है। हो सकता है आगे आप ऐसे सभी राष्ट्रीय आयोजनों को संभालें।
गौरतलब है कि यमुना बैंक के करीब 1,000 एकड़ एरिया को अस्थायी गांव के तौर पर तैयार किया गया है, जहां आर्ट ऑफ लिविंग का तीन दिन का वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल होना है। यहां योगा, मेडिटेशन और शांति प्रार्थनाओं के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होने हैं।
वन और पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी में एक हलफनामा दायर कर कहा कि यमुना किनारे अस्थायी निर्माण के लिए मंजूरी की जरूरत नहीं है। इस पर एनजीटी ने पूछा कि पर्यावरण मंत्रालय के तौर पर आपका क्या कर्तव्य है? क्या आपको लगता है कि इससे यमुना को नुकसान नहीं हो रहा? इससे पहले जल संसाधन मंत्रालय ने कहा था कि उसने इस मामले में कोई मंजूरी नहीं दी।
आर्ट ऑफ लिविंग ने एनजीटी के सामने कहा कि अस्थायी निर्माण डीडीए की मंजूरी और शर्तों के मुताबिक हुआ। जब स्टेज को लेकर बेंच ने सवाल उठाए कि सर्टिफाइड एजेंसी से आपने ढांचे की संरचना को पास कराया तो ऑर्ट ऑफ लिविंग ने गोल-मोल जवाब दिया। (इनपुट भाषा से)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
आर्ट ऑफ लिविंग, श्री श्री रविशंकर, यमुना नदी, एनजीटी, प्रदूषण, Art Of Living, Sri Sri Ravi Shankar, Yamuna River, NGT, Pollution