
उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बरासात से पेट्रापोल तक राष्ट्रीय राजमार्ग-112 को चौड़ा करने तथा रेलवे ओवर ब्रिज बनाने के लिए 350 से अधिक पेड़ गिराने का कोई विकल्प सुझाने के लिए गुरूवार को पर्यावरण विशेषज्ञों की एक समिति गठित की. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘जब हम एक धरोहर वृक्ष को काटते हैं तो उस आक्सीजन की कीमत की कल्पना कीजिए जो इतने सालों में उस पेड़ ने बनाई होगी.''
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई तथा न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने चार सदस्यीय समिति से चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट जमा करने को कहा और पांच सप्ताह बाद के लिए मामला सूचीबद्ध कर दिया. चार सदस्यीय समिति के प्रमुख वर्धा स्थित सेंटर ऑफ साइंस फॉर विलेज के डॉ सोहम पंड्या होंगे. इसमें सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट से जुड़ी पर्यावरणविद सुनीता नारायण भी शामिल हैं.
पीठ ने कहा, ‘‘यह मामला पर्यावरण को होने वाले नुकसान तथा विकास के बीच हमेशा की तरह रहने वाली असमंजस की स्थिति को पेश करता है. जाहिर है कि हर स्थिति में अलग अलग विचार होते हैं.'' पीठ ने कहा कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान का आकलन करने के लिए जो भी तरीका अपनाया जाए, अपेक्षित है कि इतने प्राचीन पेड़ों को गिराने के विकल्पों पर विशेषज्ञ विचार करें.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं