देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक ने अनुकूल कदम की घोषणा करते हुए शुक्रवार को कहा कि बड़े लेन-देन के लिये प्रयोग में आने वाली आरटीजीएस प्रणाली 14 दिसंबर से चौबीसों घंटे काम करने लगेगी. इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने संपर्क रहित लेनदेन की सीमा को बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया. रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) प्रणाली वर्तमान में हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़ सप्ताह के सभी कार्य दिवसों में सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक काम करती है.
रिजर्व बैंक ने भुगतान प्रणाली का परिचालन करने वाली इकाइयों को दीर्घकालिक आधार पर लाइसेंस देने का भी फैसला किया है. कंपनियों से कहा गया है कि आवेदन को खारिज किये जाने अथवा लाइसेंस वापस लिये जाने के एक साल बाद फिर से लाइसेंसे के लिये आवेदन कर सकती हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्वैमासिक समीक्षा बैठक के बाद वचुर्अल तरीके से किये गये अपने संबोधन में ये घोषणायें कीं. इससे पहले मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक की समाप्ति हुई.
आरटीजीएस प्रणाली की सातों दिन चौबीसों घंटे उपलब्धता पर रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘यह तय किया गया है कि आरटीजीएस प्रणाली को वर्ष के सभी दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध कराया जाये और इसकी शुरुआत 14 दिसंबर 2020 की मध्यरात्रि 00:30 बजे से हो जायेगी.'' आरटीजीएस प्रणाली का इस्तेमाल अधिक मूल्य के लेनदेन के लिये किया जाता है. एक अन्य भुगतान प्रणाली एनईएफटी पहले ही चौबीसों घंटे उपलब्ध है. दास ने कहा कि डिजिटल भुगतान को सुरक्षित तरीके से बढ़ाने के लिये यूपीआई अथवा कार्ड के जरिये बिना संपर्क के किये जा सकने वाले लेन-देन की सीमा को एक जनवरी 2021 से दो हजार रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये कर दिया जायेगा.
रिजर्व बैंक ने कहा कि इससे संबंधित परिचालन के दिशानिर्देश अलग से जारी किये जायेंगे. उल्लेखनीय है कि देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक ने जुलाई 2019 से एनईएफटी व आरटीजीएस के माध्यम से किये जाने वाले लेन-देन पर शुल्क लेना बंद कर दिया. एनईएफटी का इस्तेमाल दो लाख रुपये तक के लेन-देन में किया जाता है, जबकि बड़े लेन-देन आरटीजीएस के माध्यम से किये जाते हैं. दास ने कहा कि लोगों के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये वित्तीय साक्षरता केंद्र (सीएफएल) अभी 100 प्रखंडों में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से मार्च 2024 तक सभी प्रखंडों में ऐसे केंद्र बनाये जायेंगे.
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