भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के मद्देनजर मौद्रिक नीति (Monetary Policy) में समायोजन बिठाने वाला नरम रुख बरकरार रखा, और RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट (Repo Rate) को 25 आधार अंक (Basis Points) घटा दिया, जो अब यह 5.40 फीसदी से घटकर 5.15 फीसदी हो गया है. रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर RBI अन्य बैंकों को कम अवधि के ऋण दिया करता है. इस वर्ष के दौरान लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में कटौती की गई है, और इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 135 आधार अंक, यानी 1.35 प्रतिशत की कमी की जा चुकी है.
रेपो रेट में कटौती किए जाने के फैसले पर मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee या MPC) के सभी सदस्यों ने सहमति व्यक्त की. माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद बैंक भी ऋणों पर वसूले जाने वाले ब्याज दर में कमी लाकर ग्राहकों को राहत दे सकते हैं. इसके साथ ही सकल घरेलू उत्पाद, यानी GDP में वृद्धि का अनुमान भी 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया गया है. इसी तरह, रिवर्स रेपो रेट को भी घटाकर 4.90 फीसदी कर दिया गया है और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट तथा बैंक रेट को 5.40 फीसदी कर दिया गया है.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि मौद्रिक नीति में कटौती का लाभ आगे ग्राहकों तक पहुंचाने का काम आधा-अधूरा है. बैंक के मुताबिक, अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार के प्रोत्साहन उपायों से निजी क्षेत्र में खपत बढ़ेगी, और इसके साथ ही निजी निवेश बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा गया, "यह सुनिश्चित करते हुए कि महंगाई लक्ष्य के भीतर रहे, MPC ने निर्णय लिया है कि जब तक वृद्धि में फिर से नई जान नहीं आ जाती, उदार रुख कायम रखा जाएगा..."
इससे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक के नतीजों की घोषणा से पहले ही शुक्रवार सुबह घरेलू शेयर बाजारों की शुरुआत तेजी के साथ हुई थी और सेंसेक्स करीब 300 अंकों की बढ़त के साथ खुला था. निफ्टी ने भी 74 अंकों की बढ़त के साथ कारोबार की शुरुआत की थी.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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