
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun jaitley) भारती जनता पार्टी और मोदी सरकार के लिए संकटमोचक की तरह थे. मुद्दों पर अपनी बारीक समझ की वजह से वह पीएम मोदी के करीबी लोगों में शामिल थे. यही वजह थी कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में अरुण जेटली पर खासा भरोसा दिखाया था और जेटली ने अपने बल पर सरकार को कई पेचीदे मसलों पर पार कराया था. बहुत कम लोगों को ही पता है कि अरुण जेटली ही वही शख्स थे जिन्होंने ‘ट्रिपल तलाक' पर सरकार की स्थिति समझाई थी. भाजपा सरकार के प्रमुख राजनीतिक रणनीतिकार से लेकर अत्यंत महत्त्वपूर्ण, संवेदनशील मंत्रालय - वित्त- संभालने वाले अरुण जेटली ने अपनी भौतिकदावादी पसंदों जैसे महंगे पेन, घड़ियों और लक्जरी गाड़ियां रखने के शौक पूरा करते हुए कई भूमिकाएं निभाईं. अगर पदक्रम के हिसाब से देखा जाए तो वह पहली मोदी सरकार में बेशक नंबर दो पर थे. लेकिन कई नियुक्तियां सिर्फ उनके कहने पर ही हुईं.
Arun Jaitley: CA बनना चाहते थे अरुण जेटली, वकालत कर ऐसे उतरे राजनीति में...
पार्टी के सभी प्रवक्ता सलाह के लिए उनके पास आते थे. वह मीडिया के भी चहेते थे. पीएम मोदी और जेटली का साथ बहुत पुराना है जब आरएसएस प्रचारक मोदी को दिल्ली में 1990 के दशक के अंतिम दौर में भाजपा का महासचिव नियुक्त किया गया था, वह 9 अशोक रोड के अरुण जेटली के आधिकारिक बंगले के उपभवन में ठहरे थे. उस वक्त जेटली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री थे. उन्हें उस कदम का भी हिस्सा माना जाता है जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को हटा कर मोदी को उस पद पर बिठाने को लेकर उठाया गया. विभाजन के बाद लाहौर से भारत आए एक सफल वकील के बेट जेटली ने कानून की पढ़ाई की और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष उस वक्त बने जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित कर दिया था.
विश्वविद्यालय परिसर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए उन्होंने 19 महीने जेल में बिताए. आपातकाल हटने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की और 1980 में दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल द्वारा इंडियन एक्सप्रेस की इमारत को गिराने के फैसले को चुनौती दी. इस दौरान वह रामनाथ गोयनका, अरुण शौरी और फली नरीमन के करीब से संपर्क में आए. उनके इस साथ पर विश्वनाथ प्रताप सिंह की नजर पड़ी जिन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद जेटली को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया. वह इस पद पर काबिज होने वाले सबसे युवा व्यक्ति हैं. वह 2006 में राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने और अपनी स्पष्टता, बेहतरीन याद्दाश्त और त्वरित विचारों के जरिए उन्होंने कई कांग्रेस सदस्यों का भी सम्मान हासिल किया.
Arun Jaitley: CA बनना चाहते थे अरुण जेटली, वकालत कर ऐसे उतरे राजनीति में...
गौरतलब है कि सर्वसम्मति बनाने में महारत प्राप्त जेटली को कुछ लोग मोदी का ऑरिजनल ‘चाणक्य' भी मानते थे जो 2002 से मोदी के लिए मुख्य तारणहार साबित होते रहे. मोदी तब मुख्यमंत्री थे और उनपर गुजरात दंगे के काले बादल मंडरा रहे थे. जेटली न सिर्फ मोदी, बल्कि अमित शाह के लिए भी उस वक्त में मददगार साबित हुए थे जब उन्हें गुजरात से बाहर कर दिया गया था.शाह को उस वक्त अक्सर जेटली के कैलाश कॉलोनी दफ्तर में देखा जाता था और दोनों हफ्ते में कई बार साथ भोजन करते देखे जाते थे.
मोदी को 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की औपचारिक घोषणा से पहले के कुछ महीनों में, जेटली ने राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान और नितिन गडकरी को साथ लाने के लिए उन्होंने पर्दे के पीछे बहुत चौकस रह कर काम किया. प्रशिक्षण से वकील रहे जेटली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे और जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अरुण शौरी और सुब्रमण्यम स्वामी की संभावनाओं को अनदेखा करते हुए उन्हें वित्त मंत्री के सभी महत्त्वपूर्ण कार्य सौंपे. मोदी एक बार जेटली को “अनमोल हीरा” भी बता चुके हैं. यहां तक कि जेटली को रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था जब मनोहर पर्रिकर की सेहत बिगड़ी थी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे अरुण जेटली के लिए राजनीतिक हलकों में अनौपचारिक तौर पर माना जाता था कि वह ‘पढ़े लिखे विद्वान मंत्री' हैं. पिछले तीन दशक से अधिक समय तक अपनी तमाम तरह की काबिलियत के चलते जेटली लगभग हमेशा सत्ता तंत्र के पसंदीदा लोगों में रहे, सरकार चाहे जिसकी भी रही हो. अति शिष्ट, विनम्र और राजनीतिक तौर पर उत्कृष्ट रणनीतिकार रहे जेटली भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुख्य संकटमोचक थे जिनकी चार दशक की शानदार राजनीतिक पारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते समय से पहले समाप्त हो गई.
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