राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि संसद के आगामी मानसून सत्र में राज्यसभा सांसद संविधान की आठवीं सूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं में से किसी में भी भाषण दे सकते हैं. राज्यसभा सचिवालय ने पांच अन्य भाषाओं डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी के लिए एक साथ अनुवाद की व्यवस्था की है.
नायडू ने मंगलवार को औपचारिक रूप से इन भाषाओं के लिए अनुवादकों को अनुवादक टीम में शामिल किया. 22 भाषाओं में राज्यसभा में पहले से ही 11 भाषाओं असम, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलगु और उर्दू में अनुवादक की व्यवस्था है. जबकि, बोडो, मैथली, मणीपुरी, मराठी, नेपाली भाषाओं में लोकसभा के अनुवादकों की व्यवस्था की जा रही है.
नायडू ने कहा, "मैं हमेशा महसूस करता हूं कि मातृभाषा बिना किसी अवरोध के हमारे अनुभवों और विचारों को व्यक्त करने का स्वाभाविक माध्यम होती है. संसद में बहुभाषी व्यवस्था के तहत, सदस्यों को भाषा की बाधाओं की वजह से अपने आप को दूसरे से कम नहीं आंकना चाहिए." उन्होंने कहा, "इसलिए मैं सभी 22 भाषाओं में अनुवाद सुविधा मुहैया कराना चाहता था. मैं खुश हूं कि आगामी मानसून सत्र में यह वास्तविकता बनेगा."
नायडू ने मंगलवार को औपचारिक रूप से इन भाषाओं के लिए अनुवादकों को अनुवादक टीम में शामिल किया. 22 भाषाओं में राज्यसभा में पहले से ही 11 भाषाओं असम, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलगु और उर्दू में अनुवादक की व्यवस्था है. जबकि, बोडो, मैथली, मणीपुरी, मराठी, नेपाली भाषाओं में लोकसभा के अनुवादकों की व्यवस्था की जा रही है.
नायडू ने कहा, "मैं हमेशा महसूस करता हूं कि मातृभाषा बिना किसी अवरोध के हमारे अनुभवों और विचारों को व्यक्त करने का स्वाभाविक माध्यम होती है. संसद में बहुभाषी व्यवस्था के तहत, सदस्यों को भाषा की बाधाओं की वजह से अपने आप को दूसरे से कम नहीं आंकना चाहिए." उन्होंने कहा, "इसलिए मैं सभी 22 भाषाओं में अनुवाद सुविधा मुहैया कराना चाहता था. मैं खुश हूं कि आगामी मानसून सत्र में यह वास्तविकता बनेगा."
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