भामाशाह कार्ड.
जयपुर:
एक सितंबर से राजस्थान में गरीबों के राशन की वितरण व्यवस्था पूरी तरह से ऑनलाइन हो जाएगी. राजस्थान देश में पहला प्रदेश है जहां जन कल्याण की स्कीमों में लोगों को मिलने वाला पैसा या सुविधाएं ऑनलाइन करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए राजस्थान ने अपना एक कार्ड लांच किया है जिसे भामाशाह कार्ड नाम दिया गया है.
भामाशाह कार्ड के जरिए विधवा पेंशन, वृद्ध पेंशन, मनेरगा का भुगतान और राशन का गेहूं सब कुछ सीधा लाभार्थी को ऑनलाइन ट्रांसफर होता है. सरकार की मंशा है कि बिचौलियों को हटाकर गरीबों को सीधे जान कल्याण योजनाओं का फायदा मिले. लेकिन जमीनी हकीकत क्या है और क्या लोग टेक्नोलॉजी से जुड़ पा रहे हैं, यह सबसे बड़ा सवाल है.
आमेर में आयोजित भामाशाह कैंप में लोगों की भीड़ देखने को मिली. यहां लोग समाज कल्याण स्कीमों से जुड़ने में आने वाली समस्याओं को लेकर जिला अधिकारियों के पास आए. इस कैंप का उद्देश्य लोगों की समस्याएं सुलझाना था.
अपना राशन कार्ड दिखाते हुए 55 साल की मंगली ने अधिकारी को बताया कि जून से उन्हें 25 किलो गेहूं नहीं मिल रहा है. अधिकारी ने कहा कि तुमको क्या अंगूठे में प्रॉब्लम आता है? इस पर उसने कहा कि हां उसका निशान नहीं आता है. यह सुनकर एक सूचना अधिकारी ने मांगली के दस्तावेज़ देखे, यह देखने के लिए कि उनका राशन कार्ड भामाशाह से जुड़ा हुआ है या नहीं है. मंगली के अंगूठे के निशान मशीन नहीं पढ़ पाती है.
अंगूठे की जगह अन्य उंगली का निशान ले लिया गया.
भामाशाह कार्ड के जरिए राजस्थान सरकार चाहती है कि जनकल्याण की सारी योजनाएं ऑनलाइन हो जाएं. भामाशाह में पूरे परिवार का डाटा जुड़ा है. कार्ड में परिवार वालों के फोटो हैं और परिवार के मुखिया की उंगली या अंगूठे के निशान हैं. इसके माध्यम से राशन का भुगतान, मनेरगा की मजदूरी, छात्रवृत्ति और विधवा पेंशन सारा कुछ ऑनलाइन करने का प्रयास किया जा रहा है.
राज्य की छह करोड़ जनसंख्या में से चार करोड़ 50 लाख से ज्यादा लोगों को भामाशाह कार्ड से जोड़ दिया गया है. वसुंधरा सरकार के मंत्री और सरकारी प्रवक्ता राजेंद्र राठौर ने बताया कि "एक तरह से डिजिटल राजस्थान का नया स्वरूप मुख्यमंत्री जी ने राजस्थान को दिया है. भामाशाह कार्ड के साथ बेनिफिशरी स्कीम्स को जोड़ा है और पूरे देश में राजस्थान इसमें सबसे आगे है. जो भी कमी आ रही है उसको हम दूर करने की कोशिश कर रहे हैं."
लोगों का भामाशाह में पंजीकरण करने के लिए जगह-जगह कैंप लगाए जा रहे हैं. लेकिन फिर भी समस्याएं हैं. रघुनाथ मीना 70 साल के हैं. उनकी के उंगलियों के निशान राशन मशीन में दर्ज नहीं होते हैं. वे डिस्ट्रिक्ट सप्लाई अफसर रामस्वरुप चौधरी के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई. इस पर अधिकारी ने बताया कि यदि तीन बार अंगूठे का निशान नहीं उतरता तो मोबाइल में ओटीपी नंबर आता है. नंबर के आधार पर राशन मिल जाएगा. इस पर रघुनाथ ने कहा कि उनके पास तो मोबाइल फोन नहीं है. इस पर अधिकारी ने कहा "तो फिर अपने बच्चे का नंबर दर्ज करवा लो."
राजस्थान ने बिचौलियों को दरकिनार करके इंटरनेट के माध्यम से गरीबों को सीधे जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की यह कोशिश जरूर है लेकिन टेक्नोलॉजी से जुड़ने की इस मुहिम में जो समस्याएं सामने आ रही हैं उन्हें सुलझाने का प्रयास सरकार कर रही है.
भामाशाह कार्ड के जरिए विधवा पेंशन, वृद्ध पेंशन, मनेरगा का भुगतान और राशन का गेहूं सब कुछ सीधा लाभार्थी को ऑनलाइन ट्रांसफर होता है. सरकार की मंशा है कि बिचौलियों को हटाकर गरीबों को सीधे जान कल्याण योजनाओं का फायदा मिले. लेकिन जमीनी हकीकत क्या है और क्या लोग टेक्नोलॉजी से जुड़ पा रहे हैं, यह सबसे बड़ा सवाल है.
आमेर में आयोजित भामाशाह कैंप में लोगों की भीड़ देखने को मिली. यहां लोग समाज कल्याण स्कीमों से जुड़ने में आने वाली समस्याओं को लेकर जिला अधिकारियों के पास आए. इस कैंप का उद्देश्य लोगों की समस्याएं सुलझाना था.
अपना राशन कार्ड दिखाते हुए 55 साल की मंगली ने अधिकारी को बताया कि जून से उन्हें 25 किलो गेहूं नहीं मिल रहा है. अधिकारी ने कहा कि तुमको क्या अंगूठे में प्रॉब्लम आता है? इस पर उसने कहा कि हां उसका निशान नहीं आता है. यह सुनकर एक सूचना अधिकारी ने मांगली के दस्तावेज़ देखे, यह देखने के लिए कि उनका राशन कार्ड भामाशाह से जुड़ा हुआ है या नहीं है. मंगली के अंगूठे के निशान मशीन नहीं पढ़ पाती है.
अंगूठे की जगह अन्य उंगली का निशान ले लिया गया.
भामाशाह कार्ड के जरिए राजस्थान सरकार चाहती है कि जनकल्याण की सारी योजनाएं ऑनलाइन हो जाएं. भामाशाह में पूरे परिवार का डाटा जुड़ा है. कार्ड में परिवार वालों के फोटो हैं और परिवार के मुखिया की उंगली या अंगूठे के निशान हैं. इसके माध्यम से राशन का भुगतान, मनेरगा की मजदूरी, छात्रवृत्ति और विधवा पेंशन सारा कुछ ऑनलाइन करने का प्रयास किया जा रहा है.
राज्य की छह करोड़ जनसंख्या में से चार करोड़ 50 लाख से ज्यादा लोगों को भामाशाह कार्ड से जोड़ दिया गया है. वसुंधरा सरकार के मंत्री और सरकारी प्रवक्ता राजेंद्र राठौर ने बताया कि "एक तरह से डिजिटल राजस्थान का नया स्वरूप मुख्यमंत्री जी ने राजस्थान को दिया है. भामाशाह कार्ड के साथ बेनिफिशरी स्कीम्स को जोड़ा है और पूरे देश में राजस्थान इसमें सबसे आगे है. जो भी कमी आ रही है उसको हम दूर करने की कोशिश कर रहे हैं."
लोगों का भामाशाह में पंजीकरण करने के लिए जगह-जगह कैंप लगाए जा रहे हैं. लेकिन फिर भी समस्याएं हैं. रघुनाथ मीना 70 साल के हैं. उनकी के उंगलियों के निशान राशन मशीन में दर्ज नहीं होते हैं. वे डिस्ट्रिक्ट सप्लाई अफसर रामस्वरुप चौधरी के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई. इस पर अधिकारी ने बताया कि यदि तीन बार अंगूठे का निशान नहीं उतरता तो मोबाइल में ओटीपी नंबर आता है. नंबर के आधार पर राशन मिल जाएगा. इस पर रघुनाथ ने कहा कि उनके पास तो मोबाइल फोन नहीं है. इस पर अधिकारी ने कहा "तो फिर अपने बच्चे का नंबर दर्ज करवा लो."
राजस्थान ने बिचौलियों को दरकिनार करके इंटरनेट के माध्यम से गरीबों को सीधे जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की यह कोशिश जरूर है लेकिन टेक्नोलॉजी से जुड़ने की इस मुहिम में जो समस्याएं सामने आ रही हैं उन्हें सुलझाने का प्रयास सरकार कर रही है.
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