दिल्ली में स्मॉग (फाइल फोटो)
जरा सोचिए प्रदूषण की वजह से अगर दिल्ली के आसमान में पक्षी मरने लगेंगे तो आप की प्रतिक्रिया क्या होगी ,लोग घबरा जाएंगे और यह सवाल उठाएंगे कि यह क्या हो रहा है. हो सकता है कि दिल्ली छोड़कर किसी और जगह चले जाएं. लेकिन ऐसा हुआ है मेक्सिको सिटी में. 1980 के दशक में मेक्सिको सिटी में इतना ज्यादा प्रदूषण था कि पक्षी आसमान में उड़ते हुए दम तोड़ देते थे.
मेक्सिको सिटी दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर माना जाता था. 1992 में यूनाइटेड नेशंस ने मेक्सिको सिटी को सबसे प्रदूषित शहर का दर्जा दिया था.1998 तक मेक्सिको सिटी बच्चों के लिए सबसे खतरनाक शहर बन गया. एक समय था कि मेक्सिको सिटी इतना प्रदूषित हो गया था कि विशेषज्ञ इसको 'मेक सिक को' यानी 'बीमार बनाने वाला' सिटी के नाम से बुलाने लगे थे. सालाना मेक्सिको सिटी में कई हजार बच्चे प्रदूषण की वजह से मर जाते थे.
क्या था प्रदूषण का कारण?
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के लोग प्रदूषण की वजह से जितने परेशान हैं, शायद पहले कभी नहीं हुए होंगे. यह पहली बार हुआ होगा जब दिल्ली में प्रदूषण की वजह से क्रिकेट मैच रद्द किया गया. दिल्ली की तरह मेक्सिको सिटी में प्रदूषण की कई वजहें थीं.अहम वजह ये भी थी कि दिल्ली की तरह मेक्सिको सिटी की जनसंख्या ज्यादा है और ज्यादा इंडस्ट्री होना भी एक अहम वजह है.
हां यह सच है कि दिल्ली में ज्यादा इंडस्ट्री नहीं है लेकिन दिल्ली के आसपास के शहरों में इंडस्ट्री है. दिल्ली की तरह ही मेक्सिको सिटी के लोग ज्यादा कार का इस्तेमाल भी करते थे. यह भी कहा जाता है कि ज्यादा कार होने की वजह से मेक्सिको सिटी में काफी जाम लगता था और शहर के धनी लोग शहर के अंदर भी हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते थे और यही वजह थी कि बड़ी-बड़ी इमारतों की छत हेलिकॉप्टर पैड के रूप में तब्दील हो गई थी. समुद्र तल से करीब 2300 फ़ीट की ऊंचाई पर मेक्सिको सिटी बसी हुई है और यही वजह है कि ऑक्सीजन की मात्रा कम रहती है. गाड़ियों से काफी ज्यादा कॉर्बन मोनो-ऑक्साइड गैस निकलती है जो प्रदूषण बढ़ाने में मदद भी करती है.
मेक्सिको सरकार ने क्या कदम उठाया
प्रदूषण मेक्सिको सरकार के लिए सिरदर्द बन गया था,सरकार ने कई संस्थान को रिसर्च में ये पता करने के लिए लगाया कि प्रदूषण की वजह से क्या-क्या नुकसान हो रहा और प्रदूषण के क्या कारण हैं. इस रिसर्च से यह निकलकर सामने आया कि शहर में प्रदूषण बढ़ने की सबसे बड़ी वजह इंडस्ट्री और गाड़ियों की बढ़ती संख्या है. रिसर्च से यह भी पता चला कि प्रदूषण कि वजह से बहुत ज्यादा लोग बीमार हो रहे हैं और अस्पताल इलाज के लिए जा रहे हैं, जिसका ख़र्चा सरकार को उठाना पड़ रहा है. रिसर्च के दौरान यह नतीजा निकल कर आया कि अगर पीएम-10 को 10 प्रतिशत कम कर दिया जाए तो देश में सालाना 760 मिलियन डॉलर बचाए जा सकते हैं, जो लोगों के इलाज के लिए खर्चा किया जा रहा है. इसके साथ-साथ करीब 266 बच्चों को सालाना मौत से बचाया जा सकता है.
शुरू किए कई ट्रेनिंग प्रोग्राम
मेक्सिको की सरकार ने लोगों के अंदर बदलाव लाने के लिए कई कदम उठाए. कई ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए. सूचनात्मक प्रोग्राम भी शुरू किए गए. शुरुआती दौर में मेक्सिको सिटी के लोगों को लगता था कि सरकार जो कह रही है, वह गलत है और प्रदूषण की वजह जनता नहीं, बल्कि सरकार की गलत पॉलिसी है. लेकिन सरकार ने ट्रेनिंग के जरिये यह एहसास कराया कि प्रदूषण के लिए सरकार ज़िम्मेदार नहीं बल्कि खुद लोग ज़िम्मेदार हैं और लोगों को ही कदम उठाने पड़ेंगे. फिर धीरे-धीरे लोग अपनी गलती मानने लगे और सरकार के प्रोग्राम को आगे ले गए.
क्या था वह प्रोग्राम, जिसने सब कुछ बदल दिया?
1990 में मेक्सिको सिटी ने एक नया प्रोग्राम शुरू किया, जिसका नाम था 'प्रो-एयर'. इस प्रोग्राम के दौरान कई ऐसे कदम उठाए गए, जिसकी वजह से प्रदूषण में कमी आई. शहर के अंदर जितनी पुरानी फैक्ट्रियां थी, उन्हें बंद कर दिया गया. हफ्ते में एक दिन कार को बैन भी कर दिया. 20 साल से ज्यादा पुरानी कारों को हटाया गया. 'प्रो-बिकी' के नाम से एक प्रोग्राम शुरू किया गया, जिसके तहत लोग बाइक शेयर करने लगे.
बीआरटी मेट्रो बस और मेट्रो रेल की शुरुआत
'प्रो-एयर' प्रोग्राम के तहत मेक्सिको सरकार का जो सबसे बड़ा कदम था, वह है BRT मेट्रो बस सेवा की शुरुआत. 2005 में शुरू की गई इस सेवा की वजह से लोग धीरे-धीरे अपनी कार छोड़कर बस में सवारी करने लगे. सरकार ने मेट्रो ट्रेन भी शुरू की. अब मेक्सिको मेट्रो लैटिन अमेरिका में सबसे बड़ी मेट्रो है और सस्ती भी है. एक बार सफ़र करने के लिए करीब 20 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जिसकी वजह से लोग अपनी कार छोड़कर मेट्रो में सफ़र करते हैं. 2011 में मेक्सिको सरकार ने प्रो-एयर-IV प्रोग्राम शुरू किया है, यह प्रोग्राम 2020 तक चलेगा. इस प्रोग्राम के अंदर सरकार ने कई ऐसे कदम उठाने की बात की है जिससे प्रदूषण और कम हो सकता है.
फिर क्या था इसका नतीजा?
मेक्सिको सरकार के इस कदम की वजह से प्रदूषण में काफी कमी आई. 2008 से 2012 के बीच मेक्सिको सिटी में 7.7 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई. बच्चों और लोगों की मौत के आंकड़ों में भी कमी आई. प्रदूषण कम करने के लिए मेक्सिको को इस सराहनीय कदम के लिए 2013 में ''सीमेंस क्लाइमेट लीडरशिप'' अवॉर्ड से नवाजा गया. मेक्सिको सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए बस की लेन के आसपास पेड़ लगाए हैं और जहां भी खाली जगह है वहां पेड़ लगाने की कोशिश की जा रही है. मेक्सिको सरकार इसीलिए प्रदूषण कम करने में कामयाब हुई, क्योंकि लोगों को सचेत करने के लिए कई ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए गए. दिल्ली सरकार को भी इस तरह की कदम उठाने चाहिए.
फिर 2016 में क्या हुआ
2016 के मार्च महीने में यह खबर आई थी कि मेक्सिको सिटी में फिर प्रदूषण की वापसी हुई है. 2005 के बाद यह पहली बार हुआ है जब सरकार ने धुएं से सावधान रहने के लिए सलाह दी है. लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि मेक्सिको सिटी के आसपास के राज्य का कचरा जो अंदर आ रहा है. यह माना जा रहा है कि मेक्सिको सिटी के अंदर रोज़ 8000 टन कचरा आ रहा है.
दूसरी सबसे बड़ी वजह है तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाले शहर में एक करोड़ गाड़ियां हैं . तीसरी सबसे बड़ी वजह प्रदूषण जांच को लेकर अथॉरिटी का रवैया. यह माना जाता है कि अथॉरिटी के काम काज के ढीले रवैये की वजह से पुरानी गाड़ियां बेखौफ सड़क पर घूम रही हैं. मेक्सिको के शहर से पुरानी गाड़ियों को शहर से बाहर करने के लिए जो कानून बनाया गया था वह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया, जिसकी वजह से मेक्सिको की सड़क पर 14 लाख के करीब अतिरिक्त गाड़ियां चल रही हैं.
फिर मेक्सिको सिटी ने कुछ कड़े कदम उठाये है. मेक्सिको शहर से करीब पांच लाख गाड़ियों को अस्थाई रूप से बैन करने के साथ पुरानी फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है. एक फ्रेंडली साइकिल स्टेशन भी खोला गया , सरकार की तरफ से लोगो को फ्री-लिफ्ट की सुविधा दी गई, साथ-साथ कई अहम कदम उठाये गए हैं. नतीजा यह हुआ कि प्रदूषण में कमी आई है.
अगर मेक्सिको सिटी कर सकती है तो दिल्ली क्यों नहीं?
मेक्सिको सिटी और दिल्ली के बीच कई सामंजस्य हैं. मेक्सिको सिटी की तरह दिल्ली की जनसंख्या ज्यादा है. यहां के लोग भी ज्यादा कार का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम होता है. सरकार को मेक्सिको सिटी की तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार लाना पड़ेगा. बस के साथ-साथ मेट्रो सेवा में बढ़ोतरी और उनके टिकट को सस्ता करना पड़ेगा, जिसकी वजह से लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरफ फिर से लौटेंगे, इससे सरकार को नुक़सान नहीं होगा. अगर प्रदूषण में कमी के साथ लोग भी कम बीमार होंगे और सरकार को स्वास्थ्य के ऊपर जो पैसा खर्च करना पड़ रहा है वह कम हो जाएगा. ऐसा मेक्सिको सरकार कर चुकी है और सफल भी हुआ है. दिल्ली सरकार को लगातार कदम उठाने पड़ेंगे तब जाकर सफलता मिलेगी.
मेक्सिको सिटी दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर माना जाता था. 1992 में यूनाइटेड नेशंस ने मेक्सिको सिटी को सबसे प्रदूषित शहर का दर्जा दिया था.1998 तक मेक्सिको सिटी बच्चों के लिए सबसे खतरनाक शहर बन गया. एक समय था कि मेक्सिको सिटी इतना प्रदूषित हो गया था कि विशेषज्ञ इसको 'मेक सिक को' यानी 'बीमार बनाने वाला' सिटी के नाम से बुलाने लगे थे. सालाना मेक्सिको सिटी में कई हजार बच्चे प्रदूषण की वजह से मर जाते थे.
क्या था प्रदूषण का कारण?
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के लोग प्रदूषण की वजह से जितने परेशान हैं, शायद पहले कभी नहीं हुए होंगे. यह पहली बार हुआ होगा जब दिल्ली में प्रदूषण की वजह से क्रिकेट मैच रद्द किया गया. दिल्ली की तरह मेक्सिको सिटी में प्रदूषण की कई वजहें थीं.अहम वजह ये भी थी कि दिल्ली की तरह मेक्सिको सिटी की जनसंख्या ज्यादा है और ज्यादा इंडस्ट्री होना भी एक अहम वजह है.
हां यह सच है कि दिल्ली में ज्यादा इंडस्ट्री नहीं है लेकिन दिल्ली के आसपास के शहरों में इंडस्ट्री है. दिल्ली की तरह ही मेक्सिको सिटी के लोग ज्यादा कार का इस्तेमाल भी करते थे. यह भी कहा जाता है कि ज्यादा कार होने की वजह से मेक्सिको सिटी में काफी जाम लगता था और शहर के धनी लोग शहर के अंदर भी हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते थे और यही वजह थी कि बड़ी-बड़ी इमारतों की छत हेलिकॉप्टर पैड के रूप में तब्दील हो गई थी. समुद्र तल से करीब 2300 फ़ीट की ऊंचाई पर मेक्सिको सिटी बसी हुई है और यही वजह है कि ऑक्सीजन की मात्रा कम रहती है. गाड़ियों से काफी ज्यादा कॉर्बन मोनो-ऑक्साइड गैस निकलती है जो प्रदूषण बढ़ाने में मदद भी करती है.
मेक्सिको सरकार ने क्या कदम उठाया
प्रदूषण मेक्सिको सरकार के लिए सिरदर्द बन गया था,सरकार ने कई संस्थान को रिसर्च में ये पता करने के लिए लगाया कि प्रदूषण की वजह से क्या-क्या नुकसान हो रहा और प्रदूषण के क्या कारण हैं. इस रिसर्च से यह निकलकर सामने आया कि शहर में प्रदूषण बढ़ने की सबसे बड़ी वजह इंडस्ट्री और गाड़ियों की बढ़ती संख्या है. रिसर्च से यह भी पता चला कि प्रदूषण कि वजह से बहुत ज्यादा लोग बीमार हो रहे हैं और अस्पताल इलाज के लिए जा रहे हैं, जिसका ख़र्चा सरकार को उठाना पड़ रहा है. रिसर्च के दौरान यह नतीजा निकल कर आया कि अगर पीएम-10 को 10 प्रतिशत कम कर दिया जाए तो देश में सालाना 760 मिलियन डॉलर बचाए जा सकते हैं, जो लोगों के इलाज के लिए खर्चा किया जा रहा है. इसके साथ-साथ करीब 266 बच्चों को सालाना मौत से बचाया जा सकता है.
शुरू किए कई ट्रेनिंग प्रोग्राम
मेक्सिको की सरकार ने लोगों के अंदर बदलाव लाने के लिए कई कदम उठाए. कई ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए. सूचनात्मक प्रोग्राम भी शुरू किए गए. शुरुआती दौर में मेक्सिको सिटी के लोगों को लगता था कि सरकार जो कह रही है, वह गलत है और प्रदूषण की वजह जनता नहीं, बल्कि सरकार की गलत पॉलिसी है. लेकिन सरकार ने ट्रेनिंग के जरिये यह एहसास कराया कि प्रदूषण के लिए सरकार ज़िम्मेदार नहीं बल्कि खुद लोग ज़िम्मेदार हैं और लोगों को ही कदम उठाने पड़ेंगे. फिर धीरे-धीरे लोग अपनी गलती मानने लगे और सरकार के प्रोग्राम को आगे ले गए.
क्या था वह प्रोग्राम, जिसने सब कुछ बदल दिया?
1990 में मेक्सिको सिटी ने एक नया प्रोग्राम शुरू किया, जिसका नाम था 'प्रो-एयर'. इस प्रोग्राम के दौरान कई ऐसे कदम उठाए गए, जिसकी वजह से प्रदूषण में कमी आई. शहर के अंदर जितनी पुरानी फैक्ट्रियां थी, उन्हें बंद कर दिया गया. हफ्ते में एक दिन कार को बैन भी कर दिया. 20 साल से ज्यादा पुरानी कारों को हटाया गया. 'प्रो-बिकी' के नाम से एक प्रोग्राम शुरू किया गया, जिसके तहत लोग बाइक शेयर करने लगे.
बीआरटी मेट्रो बस और मेट्रो रेल की शुरुआत
'प्रो-एयर' प्रोग्राम के तहत मेक्सिको सरकार का जो सबसे बड़ा कदम था, वह है BRT मेट्रो बस सेवा की शुरुआत. 2005 में शुरू की गई इस सेवा की वजह से लोग धीरे-धीरे अपनी कार छोड़कर बस में सवारी करने लगे. सरकार ने मेट्रो ट्रेन भी शुरू की. अब मेक्सिको मेट्रो लैटिन अमेरिका में सबसे बड़ी मेट्रो है और सस्ती भी है. एक बार सफ़र करने के लिए करीब 20 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जिसकी वजह से लोग अपनी कार छोड़कर मेट्रो में सफ़र करते हैं. 2011 में मेक्सिको सरकार ने प्रो-एयर-IV प्रोग्राम शुरू किया है, यह प्रोग्राम 2020 तक चलेगा. इस प्रोग्राम के अंदर सरकार ने कई ऐसे कदम उठाने की बात की है जिससे प्रदूषण और कम हो सकता है.
फिर क्या था इसका नतीजा?
मेक्सिको सरकार के इस कदम की वजह से प्रदूषण में काफी कमी आई. 2008 से 2012 के बीच मेक्सिको सिटी में 7.7 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई. बच्चों और लोगों की मौत के आंकड़ों में भी कमी आई. प्रदूषण कम करने के लिए मेक्सिको को इस सराहनीय कदम के लिए 2013 में ''सीमेंस क्लाइमेट लीडरशिप'' अवॉर्ड से नवाजा गया. मेक्सिको सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए बस की लेन के आसपास पेड़ लगाए हैं और जहां भी खाली जगह है वहां पेड़ लगाने की कोशिश की जा रही है. मेक्सिको सरकार इसीलिए प्रदूषण कम करने में कामयाब हुई, क्योंकि लोगों को सचेत करने के लिए कई ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए गए. दिल्ली सरकार को भी इस तरह की कदम उठाने चाहिए.
फिर 2016 में क्या हुआ
2016 के मार्च महीने में यह खबर आई थी कि मेक्सिको सिटी में फिर प्रदूषण की वापसी हुई है. 2005 के बाद यह पहली बार हुआ है जब सरकार ने धुएं से सावधान रहने के लिए सलाह दी है. लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि मेक्सिको सिटी के आसपास के राज्य का कचरा जो अंदर आ रहा है. यह माना जा रहा है कि मेक्सिको सिटी के अंदर रोज़ 8000 टन कचरा आ रहा है.
दूसरी सबसे बड़ी वजह है तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाले शहर में एक करोड़ गाड़ियां हैं . तीसरी सबसे बड़ी वजह प्रदूषण जांच को लेकर अथॉरिटी का रवैया. यह माना जाता है कि अथॉरिटी के काम काज के ढीले रवैये की वजह से पुरानी गाड़ियां बेखौफ सड़क पर घूम रही हैं. मेक्सिको के शहर से पुरानी गाड़ियों को शहर से बाहर करने के लिए जो कानून बनाया गया था वह पूरी तरह लागू नहीं हो पाया, जिसकी वजह से मेक्सिको की सड़क पर 14 लाख के करीब अतिरिक्त गाड़ियां चल रही हैं.
फिर मेक्सिको सिटी ने कुछ कड़े कदम उठाये है. मेक्सिको शहर से करीब पांच लाख गाड़ियों को अस्थाई रूप से बैन करने के साथ पुरानी फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है. एक फ्रेंडली साइकिल स्टेशन भी खोला गया , सरकार की तरफ से लोगो को फ्री-लिफ्ट की सुविधा दी गई, साथ-साथ कई अहम कदम उठाये गए हैं. नतीजा यह हुआ कि प्रदूषण में कमी आई है.
अगर मेक्सिको सिटी कर सकती है तो दिल्ली क्यों नहीं?
मेक्सिको सिटी और दिल्ली के बीच कई सामंजस्य हैं. मेक्सिको सिटी की तरह दिल्ली की जनसंख्या ज्यादा है. यहां के लोग भी ज्यादा कार का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम होता है. सरकार को मेक्सिको सिटी की तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार लाना पड़ेगा. बस के साथ-साथ मेट्रो सेवा में बढ़ोतरी और उनके टिकट को सस्ता करना पड़ेगा, जिसकी वजह से लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरफ फिर से लौटेंगे, इससे सरकार को नुक़सान नहीं होगा. अगर प्रदूषण में कमी के साथ लोग भी कम बीमार होंगे और सरकार को स्वास्थ्य के ऊपर जो पैसा खर्च करना पड़ रहा है वह कम हो जाएगा. ऐसा मेक्सिको सरकार कर चुकी है और सफल भी हुआ है. दिल्ली सरकार को लगातार कदम उठाने पड़ेंगे तब जाकर सफलता मिलेगी.
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