पीएम मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में 2021 तक गरीबों के लिए 25 लाख मकान बनाने का वादा किया था, लेकिन लैंड पूलिंग एक्ट में देरी और बार बार पॉलिसी बदलने से अब सस्ते मकान बनाने का सपना खटाई में पड़ता दिख रहा है. किसानों का आरोप है कि लैंडपूलिंग एक्ट में बदलाव करके बड़े बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की कोशिश हो रही है.
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बाहरी दिल्ली में इस तरह की करीब 65 हजार एकड़ जमीन पर लैंड पूलिंग एक्ट के तहत सस्ते मकान बनने हैं. 2013 में नोटिफीकेशन भी हुआ. पिछले साल दिल्ली सरकार ने करीब 70 गांवों को शहरी गांव का दर्जा देकर लैंड पूलिंग एक्ट लागू करने के रास्ते भी खोल दिए, लेकिन उसके बावजूद सालभर से ज्यादा वक्त गुजर गया और लैंड पूलिंग एक्ट कागजों में ही है.
अभी हाल में लैंड पूलिंग एक्ट में बदलाव करने से भूपिंद्र बजाड़ जैसे पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है. लैंड पूलिंग एक्ट में इन बदलावों से किसान नाराज है. मसलन 70 फीसदी जमीन एक साथ होनी चाहि. पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसान लैंड पूल नहीं कर सकते है. भूमि विकास शुल्क के नाम पर किसानों से करोड़ों रुपए वसूले जाएंगे और कंसोर्टियम बनाकर ही जमीन लैंड पूल की जा सकती है.
प्रधानमंत्री के निर्देश पर सूचना प्रसारण मंत्रालय ने वापस लिया फेक न्यूज से संबंधित गाइडलाइन
लैंड पूलिंग एक्ट में हो रही देरी से किसान नाराज हैं. इसी के चलते बीजेपी सांसद उदित राज भी मंत्रालय को चिट्टी लिखकर नाराजगी जता चुके हैं. लैंड पूलिंग एक्ट के तहत छोटे किसान मिलकर एक बड़ी जमीन का खाका डीडीए को देते और वो वहां आधारभूत ढांचा खड़ा करके मकान बनाने को मंजूरी देता, लेकिन अब नियम ऐसे बना दिए गए जिससे छोटे किसानों को अपनी जमीन बड़े बिल्डरों को देना मजबूरी होगी और इसकी निगरानी के बंदोबस्त न होने से कई तरह के फ्रॉड होने की गुंजाइश भी बनी रहेगी.
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अभी हाल में लैंड पूलिंग एक्ट में बदलाव करने से भूपिंद्र बजाड़ जैसे पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है. लैंड पूलिंग एक्ट में इन बदलावों से किसान नाराज है. मसलन 70 फीसदी जमीन एक साथ होनी चाहि. पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसान लैंड पूल नहीं कर सकते है. भूमि विकास शुल्क के नाम पर किसानों से करोड़ों रुपए वसूले जाएंगे और कंसोर्टियम बनाकर ही जमीन लैंड पूल की जा सकती है.
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