उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में किसी भी समस्या के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, लेकिन पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी में हिंसक अस्थिरता पैदा नहीं की है. यहां कश्मीर पर आयोजित एक संगोष्ठी में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अब्दुल्ला ने कहा कि वह इस बात से वाकिफ हैं कि घाटी में किसी भी समस्या के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है.
अब्दुल्ला ने कहा, "हमें पता है कि हर समस्या के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, लेकिन हमें यह भी पता है कि वे 2008, 2010 और 2016 में उपजे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे नहीं थे".
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पूर्व विदेश राज्यमंत्री अब्दुल्ला बीते तीन दशकों के दौरान कश्मीर घाटी में पनपे तीन हिंसक विरोध-प्रदर्शनों का संदर्भ दे रहे थे.
नई दिल्ली कश्मीर घाटी में पनपे इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप इस्लामाबाद पर लगाता रहा है, जिससे पाकिस्तान हमेशा इंकार करता रहा है.
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अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीति का प्रभाव सिकुड़ने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार सहित हम सभी को लेनी होगी.
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने और केंद्र सरकार तथा अलगाववादियों के बीच बातचीत की पहल जैसे चुनावी वादे पूरे कर पाने में असफलता के चलते राज्य में मुख्यधारा के राजनीतिज्ञों की विश्वसनीयता घटी है.
अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी ने 2014 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि वे केंद्र सरकार और हुर्रियत के बीच बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत शुरू करवाएंगे, लेकिन पीडीपी-भाजपा गठबंधन अपने वादे पूरे नहीं कर सका.
(इनपुट आईएएनएस से)
अब्दुल्ला ने कहा, "हमें पता है कि हर समस्या के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है, लेकिन हमें यह भी पता है कि वे 2008, 2010 और 2016 में उपजे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे नहीं थे".
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उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने और केंद्र सरकार तथा अलगाववादियों के बीच बातचीत की पहल जैसे चुनावी वादे पूरे कर पाने में असफलता के चलते राज्य में मुख्यधारा के राजनीतिज्ञों की विश्वसनीयता घटी है.
अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी ने 2014 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि वे केंद्र सरकार और हुर्रियत के बीच बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत शुरू करवाएंगे, लेकिन पीडीपी-भाजपा गठबंधन अपने वादे पूरे नहीं कर सका.
(इनपुट आईएएनएस से)
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