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This Article is From Dec 19, 2019

लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर गोली लगकर घायल हुए शख्स की मौत

नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment ACT) के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. इस बीच लखनऊ में हुए प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से 'पुलिस की गोली से घायल' हुए शख्स की मौत हो गई.

लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर गोली लगकर घायल हुए शख्स की मौत
Citizenship Act protests: लखनऊ में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस चौकी को भी आग के हवाले कर दिया.
लखनऊ :

नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment ACT) के खिलाफ देश के कई हिस्सों में हुए विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. इस बीच लखनऊ में हुई प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से 'पुलिस की गोली से घायल' हुए शख्स की मौत हो गई. वकील नाम के जिस शख्स की मौत हुई है वह पुराने लखनऊ के हुसैनगंज में रहते थे. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर ने आधिकारिक रूप से NDTV को जानकारी दी कि हिंसा के बाद चार लोगों को भर्ती कराया गया था, जिनमें से तीन कथित तौर पर गोली लगने से घायल था. उन्होंने बताया कि तीन में से एक शख्स जिसको कथित रूप से गोली लगने के बाद भर्ती कराया गया था, उसकी मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है. नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी में प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़, आगजनी और पत्थरबाजी के बाद पुलिस ने आंसू गैस और डंडों का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा. इस बीच अमेरिका की यात्रा पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वाशिंगटन से यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से फोन पर बात की और लखनऊ में हुई हिंसा और हालात का जायज़ा लिया.

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NDTV के OB  वैन को भी पहुंचाया नुकसान
बता दें कि लखनऊ में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ी समेत कई गाड़ियों में आग लगा दी. भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया है. प्रदर्शनकारियों ने परिवर्तन चौक पर NDTV की ओबी वैन को भी नुकसाना पहुंचाया. इससे पहले आज उत्तर प्रदेश के ही सम्भल में प्रदर्शनकारियों ने राज्य परिवहन निगम की बस को फूंक दिया, जबकि दिल्ली में इस नए कानून के खिलाफ प्रदर्शनकारियों की बढ़ती तादाद को देखते हुए दिल्ली मेट्रो के करीब 20 स्टेशन बंद करने पड़े. उधर, देश भर में जारी प्रदर्शनों के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई है.

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'जब्त की जाएगी संपत्ति'
वही, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ और राज्य के अन्य इलाकों में हुई हिंसा को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि राज्य में सरकारी संपत्ति को जिसने नुकसान पहुंचाया है उसकी संपत्ति जब्त की जाएगी और इसी संपत्ति को बेचकर इस नुकसान की भरपाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है. योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी पार्टियों पर राज्य में हिंसा फैलाने का आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि इन पार्टियों ने राजनीति की रोटी सेंकने के चक्कर में महाबंदी के नाम पर पूरे देश को आगजनी में झोंकने का काम किया है.

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बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) लोकसभा में 9 दिसंबर, 2019 को पास होने के बाद 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पेश किया जहां एक लंबी बहस के बाद यह बिल पास हो गया. इस बिल के पास होने के बाद यह नागरिकता संशोधन कानून बन गया. इस कानून के विरोध में असम, बंगाल समेत देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए. 15 दिसंबर को इस कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई. इस प्रदर्शन में कई छात्रों समेत पुलिस के कुछ जवान भी घायल हो गए. जामिया की घटना के अगले दिन 16 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सीलमपुर में जमकर प्रदर्शन हुए. इस प्रदर्शन के दौरान पथराव की घटना हुई. स्‍कूली बस पर भी पत्‍थर फेंके गए. इस प्रदर्शन में कुछ प्रदर्शनकारियों समेत पुलिस वाले भी घायल हुए. एक पुलिस चौकी को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया. पुलिस ने हालात को काबू में किया और वहां चौकसी बढ़ा दी गई.

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17 दिसंबर को देश के दूसरे हिस्‍सों में भी प्रदर्शन शुरू हो गए. जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के समर्थन में देश के कई यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुए. कई यूनिवर्सिटी को 5 जनवरी, 2020 के लिए बंद कर दिया गया है और छात्रों से हॉस्‍टल खाली करा लिया गया. इस कानून के विरोध में दिल्‍ली के लाल किला पर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. उधर जमा मस्जिद के इमाम ने कहा है कि इस कानून से देश के मुसलमानों को कोई लेना देना नहीं है. उन्‍हें नहीं डरना चाहिए. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 19 दिसंबर, 2019 को देश के कई हिस्‍सों में धारा 144 लागू कर दी गई है.

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उधर गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि चाहे जितना भी विरोध हो इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा. उनका कहना है कि यह कानून देश की जनता के लिए नहीं है, यह कानून उन अल्‍पसंख्‍यक लोगों के लिए है जो अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश और पाकिस्‍तान में धार्मिक रूप से प्रताडि़त होकर भारत में शणार्थी के रूप में आए हैं.

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