प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
एनजीटी ने बुधवार को साफ कर दिया कि 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को जाना होगा। उसने इसकी क्रमबद्ध योजना भी पेश कर दी और कहा कि 15 साल पुरानी गाड़ियां सबसे पहले हटेंगी। फिर 14 साल पुरानी, फिर 13 साल और इसी तरह दस साल पुरानी गाड़ियों की बारी आएगी।
एनजीटी के इस फैसले से ट्रांसपोर्टर सबसे ज्यादा मायूस हैं। उन्होंने सड़क परिवहन महकमे के अफसरों से मुलाकात की। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष भीम वाधवा ने कहा, '5 लाख ट्रांसपोर्टरों के परिवार बेरोजगार होंगे। सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और ट्रांसपोर्टरों को राहत दिलाने की कोशिश करनी चाहिए।' सरकार ने ट्रांसपोर्टरों को भरोसा दिलाया है कि 28 जुलाई को उनकी चिंताओं को प्रभावी तरीके से एनजीटी के सामने रखेगी।
एनजीटी के फैसले में कहा गया है कि बीएस-1 और बीएस-2 मानकों वाली गाड़ियों को अब एनओसी न दी जाए। ट्रक ड्राइवरों को भी ये आदेश डरा रहा है। ओखला मंडी में हमें ननुआ मिले जो आठ साल से ट्रक चला रहे हैं। अब उनको भविष्य की फिक्र है। उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'डीज़ल ट्रकों पर रोक लगाने का सीधा असर हमारी नौकरी पर पड़ेगा। नई नौकरी खोजना आसान नहीं होगा"।
दिल्ली के ट्रांसपोर्ट विभाग के मुताबिक राजधानी में ऐसे 1,28,000 छोटे-बड़े ट्रक हैं। अगर NGT के आदेश को सख्ती से लागू किया जाता है, तो इनमें से 90,000 की परमिट कैंसल होगी। इसका सबसे बुरा असर सब्जियों और दूसरी रोजमर्रा की जरूरी चीजों की सप्लाई पर पड़ेगा।
दिल्ली के ओखला मंडी में सब्जी व्यापारियों का डर कुछ और है। पुराने ट्रक जब बंद होंगे, तो सब्जियों की सप्लाई का खर्च बढ़ेगा और वो और महंगी होंगी। सब्जी व्यापारी इस्माइल बाबा कहते हैं, 'पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों से सब्जियां आएंगी तो महंगाई और बढ़ेगी, हमारे बिज़नेस पर बुरा असर पड़ेगा।' अब सबकी निगाहें सरकार पर हैं। देखना अहम होगा कि सरकार कितनी जल्दी NGT के फैसले के असर से निपटने की तैयारी शुरू करती है।
एनजीटी के इस फैसले से ट्रांसपोर्टर सबसे ज्यादा मायूस हैं। उन्होंने सड़क परिवहन महकमे के अफसरों से मुलाकात की। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष भीम वाधवा ने कहा, '5 लाख ट्रांसपोर्टरों के परिवार बेरोजगार होंगे। सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और ट्रांसपोर्टरों को राहत दिलाने की कोशिश करनी चाहिए।' सरकार ने ट्रांसपोर्टरों को भरोसा दिलाया है कि 28 जुलाई को उनकी चिंताओं को प्रभावी तरीके से एनजीटी के सामने रखेगी।
एनजीटी के फैसले में कहा गया है कि बीएस-1 और बीएस-2 मानकों वाली गाड़ियों को अब एनओसी न दी जाए। ट्रक ड्राइवरों को भी ये आदेश डरा रहा है। ओखला मंडी में हमें ननुआ मिले जो आठ साल से ट्रक चला रहे हैं। अब उनको भविष्य की फिक्र है। उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'डीज़ल ट्रकों पर रोक लगाने का सीधा असर हमारी नौकरी पर पड़ेगा। नई नौकरी खोजना आसान नहीं होगा"।
दिल्ली के ट्रांसपोर्ट विभाग के मुताबिक राजधानी में ऐसे 1,28,000 छोटे-बड़े ट्रक हैं। अगर NGT के आदेश को सख्ती से लागू किया जाता है, तो इनमें से 90,000 की परमिट कैंसल होगी। इसका सबसे बुरा असर सब्जियों और दूसरी रोजमर्रा की जरूरी चीजों की सप्लाई पर पड़ेगा।
दिल्ली के ओखला मंडी में सब्जी व्यापारियों का डर कुछ और है। पुराने ट्रक जब बंद होंगे, तो सब्जियों की सप्लाई का खर्च बढ़ेगा और वो और महंगी होंगी। सब्जी व्यापारी इस्माइल बाबा कहते हैं, 'पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों से सब्जियां आएंगी तो महंगाई और बढ़ेगी, हमारे बिज़नेस पर बुरा असर पड़ेगा।' अब सबकी निगाहें सरकार पर हैं। देखना अहम होगा कि सरकार कितनी जल्दी NGT के फैसले के असर से निपटने की तैयारी शुरू करती है।
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