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राज्य का दर्जा, नौकरियां और आरक्षण: गुरुवार से शुरू हो रहे J&K विधानसभा सत्र को लेकर विपक्ष की क्या है रणनीति?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा का नौ दिवसीय सत्र आज से श्रीनगर में शुरू हो गया है. विपक्ष सरकार को राज्य का दर्जा, बेरोजगारी और अधूरे वादों पर घेरने की तैयारी में है, जबकि एनसी सरकार अपने कामकाज का बचाव तथ्यों के साथ करने की बात कह रही है.

राज्य का दर्जा, नौकरियां और आरक्षण: गुरुवार से शुरू हो रहे J&K विधानसभा सत्र को लेकर विपक्ष की क्या है रणनीति?
  • जम्मू-कश्मीर विधानसभा का नौ दिवसीय सत्र श्रीनगर में शुरू हो रहा है, जिसमें विपक्ष सरकार से सवाल उठाएगा
  • विपक्षी दल राज्य का दर्जा, बेरोजगारी, आरक्षण नीति और सुशासन जैसे मुद्दों पर सरकार को चुनौती देंगे
  • सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार विपक्ष के आरोपों का तथ्यों के साथ जवाब देने के लिए तैयार है
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नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर विधानसभा का नौ दिवसीय सत्र आज गुरुवार से श्रीनगर में शुरू हो रहा है और इसके हंगामेदार रहने की पूरी संभावना है. विपक्ष ने साफ संकेत दिए हैं कि वह सरकार से राज्य का दर्जा, बेरोजगारी, आरक्षण नीति और सुशासन जैसे मुद्दों पर सवाल उठाएगा. ये वही वादे हैं जो सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान जनता से किए थे.

एनसी सरकार का कहना है कि वह विपक्ष के हर आरोप का तथ्यों के साथ जवाब देने के लिए तैयार है. मुख्यमंत्री और उनके मंत्री विपक्ष के सवालों का जवाब देंगे और सरकार की उपलब्धियों को दस्तावेजों के साथ सदन में पेश करेंगे.

विपक्ष की मंशा इस सत्र को सरकार की जवाबदेही पर केंद्रित करने की है. भारतीय जनता पार्टी (BJP), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (PC) ने एनसी पर चुनावी वादों से पीछे हटने का आरोप लगाया है. बीजेपी के मुताबिक सरकार ने न तो 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा निभाया और न ही 12 एलपीजी सिलेंडर प्रति परिवार देने का. युवाओं को एक लाख नौकरियां देने का दावा भी अधूरा रह गया.

कश्मीर के अन्य विपक्षी दल पीडीपी, पीसी और एआईपी भी राज्य का दर्जा बहाल करने, आरक्षण नीति में बदलाव और क्षेत्रीय असमानताओं के मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी में हैं. हालांकि विधानसभा सचिवालय ने सज्जाद गनी लोन के राज्य का दर्जा बहाल करने संबंधी प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया है कि मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है.

इस सत्र में तीन बड़े विधेयक चर्चा में रहेंगे

  • जम्मू-कश्मीर पंचायती राज (संशोधन) अधिनियम, 1989
  • वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2017
  • जम्मू-कश्मीर दुकान एवं व्यवसाय प्रतिष्ठान विधेयक, 2025

विधानसभा सचिवालय के अनुसार, अब तक 450 प्रश्न, 13 निजी विधेयक और 55 निजी संकल्प प्राप्त हुए हैं. 28 अक्टूबर को निजी सदस्यों के संकल्पों पर चर्चा का दिन तय किया गया है, जिसमें विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा.

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