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Explainer: भीषण गर्मी में क्यों चली एसी के टेंपरेचर पर तलवार? जानें क्यों और कितना हो आपके AC का तापमान

 अगर अपने पैसे बचाने हैं, सेहत ठीक रखनी है और सबसे बड़ी बात अपनी आबो हवा को भी बेहतर रखना है तो ज़रूरी है कि AC का इस्तेमाल समझदारी से किया जाए. 

आपके एसी टेंपरेचर पर अब सरकार की नजर.

नई दिल्ली:

क्या आपमें से कई लोग ऐसे भी हैं जो भीषण गर्मी के इस मौसम में AC में सो रहे हैं और एसी का तापमान 16 या 18 डिग्री कर देते हैं, इसके बाद ठंडे कमरे में जून के महीने में भी रज़ाई या मोटा कंबल लेकर सो जाते हैं. अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो आप अपनी जेब से तो पैसा ज़्यादा दे ही रहे हैं, अपनी आबो हवा के साथ भी अन्याय कर रहे हैं. क्योंकि हम और आप जैसे ऐसे करोड़ों लोगों के कारण कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन यानी प्रदूषण भी बढ़ रहा है. यही सब वजह है कि सरकार जल्द ही एसी के तापमान को 20 डिग्री से कम (AC Temperature Rules) नहीं होने देगी. दरअसल हालात हो ही ऐसे गए हैं कि सरकार को अब आपके कमरे का तापमान भी नियमित करना पड़ रहा है. केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को ये एलान किया.

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AC के तापमान पर सरकार की नजर

 तो साफ़ है भारत सरकार AC के तापमान को लेकर standardisation करने जा रही है. अभी एसी से कमरे के तापमान को 16°C से लेकर 18°C तक ठंडा किया जा सकता है. लेकिन इसके बाद ऐसा नहीं हो पाएगा.एक प्रयोग के तहत AC इस तरह के बनाए जाएंगे कि 20°C से कम कूलिंग और 28°C से ज़्यादा हीटिंग न कर सकें यानी एयर कंडिशनर्स के तापमान की रेंज 20°C से 28°C तक ही रहेगी. इसकी वजह ये है कि तापमान को 20 डिग्री से ज़्यादा कम करने और 28 डिग्री से ज़्यादा बढ़ाने पर ऊर्जा की खपत ज़्यादा होती है. यानी कंपनियों से नए AC अब सरकार के नियमों के तहत ही बनकर आएंगे.

AC तापमान 20°C से ऊपर रखने की सलाह

इसे लेकर सरकार हमेशा से ही लोगों को सलाह देती रही है कि वे तापमान को 20°C से ऊपर ही रखें, ये सेहत के लिए भी बेहतर है, जेब के लिए भी और पर्यावरण के लिए भी. लेकिन सलाह मानना लोगों की मजबूरी नहीं रही तो सरकार को अब इस नए कदम का एलान करना पड़ा है. जब एसी में तापमान 20°C से कम करने की व्यवस्था ही नहीं होगी तो इससे कम तापमान कैसे कर पाएंगे. दरअसल इस कदम के पीछे कई गंभीर कारण हैं.

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सबसे पहले तो सरकार नेशनल पावर ग्रिड पर बिजली की मांग का बोझ कम करना चाहती है. इसी साल The National Load Despatch Centre (NLDC) ने अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा था कि मई और जून के सबसे गर्म महीने बिजली के हिसाब से high-risk months हो सकते हैं. इस दौरान बिजली की मांग बहुत ज़्यादा होने से 15 से 20 गीगावॉट तक पावर शॉर्टेज हो सकती हैं. ख़ासतौर पर सुबह और शाम के वक़्त जब सोलर एनर्जी से बिजली पैदा नहीं हो पाती और बिजली की खपत काफी ज्यादा होती है.

ग्रिड ट्रिप से बचने के उपाय

जब भी लोड अचानक ज़्यादा होगा और सप्लाई कम होगी तो फ्रीक्वेंसी डाउन होने से ग्रिड ट्रिप कर सकता है. जैसे हम अपने घरों में भी देखते हैं कि लोड से ज़्यादा अगर बिजली के उपकरण इस्तेमाल हो रहे हों तो मेन बोर्ड में लगी एमसीबी ट्रिप हो जाती है और बिजली बंद हो जाती है. अगर ग्रिड ट्रिप होता है तो ये एक बड़ी समस्या हो सकती है हालांकि ट्रिप होने से बचने के लिए कई प्रोटेक्शन होते हैं. जैसे पहले ही लोड शेडिंग कर दी जाती है. अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन के इंतज़ाम किए जाते हैं लेकिन फिर भी ये एक बड़ी समस्या तो है ही. इससे निपटने के लिए NLDC ने कई उपाय भी बताए जिन पर निश्चित ही काम हो रहा है.

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लेकिन एक उपाय जिसमें जनता भी बड़ी भूमिका निभा सकती है वो है बिजली का समझदारी से इस्तेमाल. क्योंकि जैसे पानी के लिए कहा जाता है कि बिन पानी सब सून, वैसे ही अब बिजली पर भी ये लागू होता है, बिन बिजली सब सून. ख़ुद सोच कर देखिए बिजली जाते ही हम और आप कैसे असहाय से हो जाते हैं. हमारे तमाम काम अब बिजली से जुड़े हुए हैं, इसलिए ज़रूरी है कि हम बिजली का समझदारी से इस्तेमाल करें, ताकि उसके गुल होने की नौबत न आए.

AC के तापमान पर सरकार ला रही नियम

सरकार द्वारा तैयार नए नियम रिहायशी और व्यापारिक सेक्टर जैसे मॉल्स, होटल्स, दफ़्तर और सिनेमा थिएयर सब पर लागू होंगे. यहां तक कि AC गाड़ियों पर भी. उनके AC भी इसी सेटिंग के साथ आएंगे. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस कदम से तीन साल में ग्राहकों को 18,000 से लेकर 20,000 करोड़ रुपए तक की बचत होगी. बिजली की खपत कम होगी और कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा. दरअसल AC का तापमान एक डिग्री बढ़ाने का ही फायदा काफ़ी होता है जो लोग महसूस नहीं कर पाते.

 देश में ऊर्जा के संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे Bureau of Energy Efficiency (BEE) के मुताबिक अगर आप AC का तापमान एक डिग्री भी बढ़ा देते हैं तो इससे बिजली की खपत 6% कम हो जाती है यानी आपका बिजली बिल भी कम आता है. अगर आप AC का तापमान 20°C से 24°C डिग्री कर दें तो बिजली की खपत 24% तक कम हो सकती है. वैसे भी सेहत के लिहाज़ से भी 24°C का तापमान बिलकुल सही है.

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दरअसल एयर कंडिशनर अब हमारी शहरी जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा हो चुका है. आप कहीं भी जाइए, किसी रिहायशी इलाके में, किसी सोसायटी में, किसी सरकारी दफ़्तर या निजी दफ़्तर में, हर जगह आपको एसी लगे हुए दिखेंगे. कई जगहों पर तो इतने एसी होते हैं कि अगर आप क़रीब से गुज़रें तो उनकी आउटर यूनिट से निकलने वाली गर्मी आपको परेशान कर डालती है. घर के अंदर का तापमान तभी कम होता है जब उसकी गर्मी इस तरह बाहर निकले. एसी से निकलने वाली ये गर्मी भी हमारी आबोहवा को और गर्म कर रही है. इस गर्मी से निपटने के लिए हम और एसी लगाते हैं. दरअसल ये भी एक दुष्चक्र है, जिसमें हमारी शहरी जीवनशैली फंस कर रह गई है.

शरीर के लिए AC का सही तापमान क्या है?

वैसे कई लोगों को शायद ये नहीं पता कि शरीर के लिए सबसे उपयुक्त तापमान क्या है. अगर तापमान काफ़ी कम होता है तो भी वो शरीर के लिए ठीक नहीं होता और ज़्यादा होता है तो भी ठीक नहीं होता. हमारी जीवनशैली ऐसी हो चली है कि AC का इस्तेमाल धड़ल्ले से बढ़ रहा है, ख़ासतौर पर शहरी इलाकों में.

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ग्राफिक्स से समझा जा सकता है कि 1990 से लेकर अब तक दुनिया में एसी की संख्या कहां कितनी बढ़ी है. इनमें भारत में भी एसी का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ता दिख रहा है और अनुमान के मुताबिक 2050 तक दुनिया में एसी का इस्तेमाल दूसरे स्थान पर सबसे ज़्यादा भारत में ही होगा. The International Energy Agency (IEA) के मुताबिक दुनिया में 2 अरब से ज़्यादा एसी यूनिट हैं और 2050 तक एसी यूनिट्स की संख्या 5.5 अरब तक पहुंच सकती है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि हर सेकेंड 10 नए एयर कंडीशनर दुनिया में ख़रीदे जा रहे हैं और इस हिसाब से 2050 में 5.6 अरब एसी दुनिया में हो जाएंगे. AC इतनी तेज़ी से बढ़े हैं तो बिजली की खपत भी बढ़नी ही है.

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दुनिया भर में 7% बिजली AC के इस्तेमाल पर खर्च

आपको बता दें कि दुनिया भर में 7% बिजली AC के इस्तेमाल पर खर्च होती है. International Energy Agency के मुताबिक दुनिया में एसी के लिए बिजली की खपत किस तरह से बढ़ी है वो आप इस चार्ट में देख सकते हैं. सन 2000 से 2022 तक बिजली की खपत दोगुनी से ज़्यादा हो गई है.
2000 में जहां बिजली की खपत 1 टेरा वॉट आवर्स से कुछ कम थी वहीं 2022 तक 2000 टेरा वॉट आवर्स से ज़्यादा है. अनुमानों के मुताबिक 2050 तक ये तीन गुना होकर 6000 टेरा वॉट आवर्स तक पहुंच सकता है.1 टेरा वॉट आवर्स का मतलब है 1 ट्रिलियन वॉट आवर्स... इस और आसानी से समझें तो 1 टेरा वॉट आवर्स का मतलब है 10 ख़रब वॉट आवर या 1 अरब यूनिट.

AC का इस्तेमाल कार्बन उत्सर्जन का बड़ा कारण

इस बिजली में से एक बड़ा हिस्सा फॉसिल फ़्यूल्स जैसे कोयला, पेट्रोलियम, गैस वगैरह की खपत से आता है जो जलने पर कार्बन उत्सर्जन करते हैं. इसलिए AC का इस्तेमाल कार्बन उत्सर्जन का भी बड़ा कारण है. दुनिया में 3% कार्बन उत्सर्जन AC के इस्तेमाल से होता है.IEA के मुताबिक साल 2022 में कूलिंग के कारण 1 अरब मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ. 1 अरब मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन को आप ऐसे समझ सकते हैं कि ये क़रीब 24 करोड़ कारों द्वारा साल भर में किए गए प्रदूषण के बराबर है. हालांकि कूलिंग के मुक़ाबले हीटिंग में ज़्यादा ऊर्जा की खपत होती है, और उसी हिसाब से कार्बन उत्सर्जन भी ज़्यादा होता है, क़रीब चार गुना ज़्यादा. दुनिया के कई ठंडे देशों में हीटिंग के बिना काम चल ही नहीं सकता और इस वजह से इसमें फॉसिल फ़्यूल्स जैसे कोयला, पेट्रोलियम, गैस की काफ़ी खपत होती है.

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दुनिया में दो तिहाई बिजली अब भी फॉसिल फ़्यूल्स से तैयार हो रही है यानी कोयला और गैस. ऐसे में कूलिंग के लिए बिजली की बढ़ती मांग ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार है. IEA के मुताबिक अगर 2050 तक नेट ज़ीरो इमिशन का लक्ष्य हासिल करना है तो कूलिंग से कार्बन उत्सर्जन को 2030 तक आज के स्तर के 40% पर लाना होगा. हालांकि अब जो नए एयर कंडिशनर्स आते हैं वो बिजली का ज़्यादा बेहतर इस्तेमाल करते हैं. ब्यूरो ऑफ एनर्जी इफ़िशियेंसी इसके लिए उनकी फाइव स्टार्स तक रेटिंग करता है. लेकिन अधिकतर लोग कम क़ीमत के कारण ऐसे AC ख़रीद लेते हैं जो बिजली की खपत ज्यादा करते हैं और लंबे समय में ज़्यादा महंगे पड़ते हैं.

  •  AC के इस्तेमाल को लेकर भारत ने जो नीति अपनाई है, कुछ वैसी नीतियां दुनिया के कई देशों में पहले से हैं.
  • जैसे चीन में सख़्त नियम है कि गर्मियों के दिनों में सरकारी इमारतों में AC का तापमान 26°C से कम नहीं किया जा सकता और सर्दियों में 20°C से ऊपर नहीं किया जा सकता.
  • स्पेन में 2022 में नियम बनाया गया कि सरकारी दफ़्तरों, इमारतों और व्यावसायिक संस्थानों में तापमान 27°C से कम नहीं रखा जाएगा.
  • इटली में भी नियम बनाया गया है कि सरकारी इमारतों, स्कूलों में तापमान 27°C रहे. इसमें 2 डिग्री की छूट दी जा सकती है लेकिन किसी हाल में तापमान 25°C से कम नहीं होना चाहिए.
  • ग्रीस में भी सार्वजनिक इमारतों में AC का तापमान 27°C से कम न रखने का नियम है.
  • बेल्जियम में भी कूलिंग 27°C से कम न रखने का नियम है और सर्दियों में 19°C से ज़्यादा तापमान न रखने का नियम है.
  • जापान में लोगों को सलाह दी जाती है कि गर्मियों में AC का तापमान 28°C पर रखें ख़ासतौर पर दफ़्तरों में. सख़्ती से ज़्यादा लोगों को जागरूक करने पर ज़ोर ज़्यादा रहता है.
  • अमेरिका में भी सलाह दी जाती है कि गर्मियों में घरों में AC का तापमान 25.5°C पर ही रखें.
  • ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों में तो तापमान से ज़्यादा AC की Efficiency पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है कि वो ऊर्जा खपत कम से कम करें.

 अगर अपने पैसे बचाने हैं, सेहत ठीक रखनी है और सबसे बड़ी बात अपनी आबो हवा को भी बेहतर रखना है तो ज़रूरी है कि AC का इस्तेमाल समझदारी से किया जाए. 
 

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