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क्‍या गरीब होना जुर्म है? दिल्‍ली के जयहिंद कैंप में अंधेरे में रहने को मजबूर लोगों का फूटा दर्द

जय हिंद कैंप में 2000 झुग्गियां हैं, जिसमें तकरीबन 6000 लोग रहते है. यहां अधिकतर लोग पश्चिम बंगाल के हैं. वहीं कुछ बिहार और ओडिशा के भी है. 8 जुलाई को यहां बिजली काट दी गई है.

क्‍या गरीब होना जुर्म है? दिल्‍ली के जयहिंद कैंप में अंधेरे में रहने को मजबूर लोगों का फूटा दर्द
  • दिल्ली के वसंत कुंज स्थित जय हिंद कैंप में गंदगी, कीचड़ और बदबू के बीच लगभग 2000 झुग्गियों में 6000 लोग रहते हैं.
  • कैंप में बिजली विभाग ने बिना सूचना दिए स्थानीय कोर्ट के आदेश के बाद बिजली काट दी, जिससे बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित हुए.
  • बिजली कटौती के बाद से कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी कैंप का हाल जानने नहीं आया, जिससे स्थानीय लोग निराश और असहाय महसूस कर रहे हैं.
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नई दिल्‍ली :

दिल्ली के वीआईपी इलाकों में से एक वसंत कुंज में स्थित है जय हिंद कैंप. इस इलाके में जाते ही आपका स्‍वागत गंदगी और बदबू से होता है. शानदार सड़कों से जैसे ही आप यहां पर पहुंचते हैं तो आपको पता ही नहीं चलता कि इस सड़क पर किस तरफ से जाए. कीचड़ और पानी से भरे इस रास्ते पर रहवासी पैदल जाते नजर आते हैं तो कैंप के अंदर घुसते ही आपको सड़क के दोनों तरफ कूड़ा उठाने वालों का सामान दिखता है. जैसे ही आप अंदर जाएंगे तो आपको दूर से ही नीले रंग के पानी के ड्रम नजर आएंगे. उसी गंदगी और बारिश के पानी में कैंप में रहने वाले बच्चे खेलते हुए नजर आएंगे.

यहां पर रहने वाले लोग परेशान हैं. एक तरफ गंदगी का आलम और पानी के लिए सरकारी टैंकर के इंतजार के बीच बिजली विभाग के कर्मचारियों ने कैंप में बिजली काट दी है. 2001 से कैंप में रह रहे नबी हुसैन कहते है, "आज तक कभी लाइट नहीं कटी लेकिन 8 जुलाई को दिल्ली पुलिस के साथ बिजली विभाग के लोग आए और उन्होंने बिजली काट दी. इस कार्रवाई से पहले हमें कभी कोई सूचना नहीं दी गई, न हमारा कोई कसूर है. छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग यहां रहते हैं, लेकिन बिजली काट देने की वजह से अब हम बाहर सोने को मजबूर हैं. छोटे बच्चे हैं जो पास में ही स्कूल जाते थे, वो भी अब स्कूल नहीं जा पा रहे है."

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2000 झुग्गियों में 6000 लोगों की आबादी

जय हिंद कैंप में 2000 झुग्गियां हैं, जिसमें तकरीबन 6000 लोग रहते है. यहां अधिकतर लोग पश्चिम बंगाल के हैं. वहीं कुछ बिहार और ओडिशा के भी है. कैंप में हिन्दू और मुस्लिम दोनों रहते हैं. इसलिए वहां एक मंदिर है और एक मस्जिद भी. 

कैंप में दो मीटर लगे हुए हैं, एक मंदिर पर और एक मस्जिद पर. वहीं से ही कैंप के रहने वाले लोगों के घरों को लाइट का कनेक्शन दिया गया है. कैंप में रहने वाले अब्दुल कहते हैं कि हम लोगों के घर सब मीटर लगा हुआ है. हम लोग 10 रुपए मीटर के हिसाब से बिजली बिल भी देते है. आधे लोगों को कनेक्शन मंदिर में लगे मीटर से मिला हुआ है तो वहीं कुछ को मस्जिद के मीटर से.

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'जीतने के बाद कोई झुग्‍गी देखने नहीं आता' 

8 जुलाई को बिजली काटने के बाद से यहां पर कोई जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा है. यहां रहने वाले सोहन कहते हैं, "जब चुनाव होता है, तब झुग्गी झोपड़ी वाले लोगों की जरूरत होती है. चुनाव जीतने के बाद कोई झुग्गी में देखने भी नहीं आते हैं. चुनाव आते ही सब हाथ जोड़कर वोट मांगते हैं, लेकिन यहां सड़क खराब है, बिजली नहीं है और किसी को फर्क भी नहीं पड़ता."

कैंप में रहने वाले बशीर कहते हैं कि हम लोकतंत्र में रहते हैं, यहां सबका अधिकार है कि हमें सरकार सड़क, बिजली और पानी दें, लेकिन यहां से अचानक बिजली के मीटर निकलकर क्यों लेकर गए. क्या चाहते हैं हमसे. जब सब लोग काम पर गए तो बिजली क्यों काट दी गई. छोटे-छोटे बच्चे हैं जो 40 डिग्री की गर्मी में रहने को मजबूर हैं.

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ममता बनर्जी ने शत्रुता का लगाया आरोप

इस घटना से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नाराज हैं, जिन्होंने बांग्ला भाषी समुदायों के खिलाफ शत्रुता का आरोप लगाया है. बनर्जी ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘यह सिर्फ एक कैंप की बात नहीं है. हमने गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश में भी ऐसी ही घटनाएं देखी हैं. बांग्ला भाषी नागरिकों को निशाना बनाने का चलन चिंताजनक है.''

बता दें कि स्थानीय कोर्ट के फैसले के बाद इलाके में बिजली काट दी गई है. अब उस फैसले के खिलाफ एक एनजीओ पटियाला कोर्ट जा रहा है.

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