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This Article is From Dec 11, 2011

जिंदगी का कैनवास छोड़ गए मिरांडा

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लौटोलिम: जिंदगी के विभिन्न रंगों को अपने कैनवास पर जीवंतता के साथ उकरने वाले चर्चित कार्टूनिस्ट मारियो मिरांडा अपनी जिंदगी के कैनवास से ओझल हो गए। लम्बी बीमारी के बाद मिरांडा का गोवा के लौटोलिम स्थित 300 वर्ष पुराने उनके पैतृक घर में रविवार तड़के निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे। मिरांडा अपने परिवार में अपनी पत्नी हबीबा और बेटे राहुल एवं रिशाद को छोड़ गए हैं। पद्मश्री एवं पद्मभूषण से सम्मानित मिरांडा की विधवा हबीबा ने बताया, "वह लम्बे समय से बीमार थे और नींद में ही वह शांति के साथ चिर निद्रा में सो गए।" ग्रामीणों को जैसे ही मिरांडा के निधन की खबर मिली, ग्रामीण गोवा के रिवाज के अनुसार दिवंगत आत्मा के सम्मान में स्थानीय चर्च का घंटा बजाया गया। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मिरांडा की इच्छा के मुताबिक सोमवार सुबह उनकी अंत्येष्टि की जाएगी। कैथोलिक परम्परा के अनुसार उनके पार्थिव शरीर को दफनाया नहीं जाएगा।  मिरांडा को 1988 में पद्मश्री और 2002 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने समाचार पत्र इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया के लिए एक कार्टूनिस्ट के रूप में काम शुरू किया था। उनके निधन पर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने गहरा शोक जताया है। महाराष्ट्र एवं गोवा के राज्यपाल के. शंकरनारायणन ने अपने शोक संदेश में कहा, "अपनी कृतियों में मुम्बई और गोवा की सुगंध लाने के लिए मारिया मिरांडा का नाम उत्कृष्ट कार्टूनिस्ट और व्यंग्य चित्रकार के रूप में इतिहास में दर्ज रहेगा।" उन्होंने कहा, "वह मुम्बई शहर की खूबसूरती, विविधता और विसंगतियों को पूर्ण रूप से दर्शाने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।" मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मिरांडा का निधन गोवा के लिए नुकसान है। कामत ने कहा, "मिरांडा सदी के महान कलाकार थे। अपने सम्पूर्ण कलात्मक कार्य में उन्होंने हमेशा दुनिया के सामने गोवा का चरित्र चित्रित किया।" स्थानीय अंग्रेजी समाचार पत्र हेरल्ड के पूर्व सम्पादक अश्विन तोम्बत ने मिरांडा को याद करते हुए कहा, "वह इकॉनॉमिक टाइम्स और फेमिना में कार्टून बनाते थे। उनका चरित्र शानदार था। उनके चित्र बेदाग थे।" गोवा के इतिहास पर मनोहर मुलगांवकर के साथ मिलकर मिरांडा द्वारा तैयार की गई चित्रमय पुस्तक ने मिरांडा को एक बड़ा चित्रकार बना दिया। मिरांडा पिछले कई वर्षों से कई बीमारियों से पीड़ित थे और कला सम्बंधी गतिविधियों में बहुत सक्रिय नहीं थे। यद्यपि कभी-कभार कुछ प्रकाशनों के लिए वह स्केच जरूर तैयार करते थे। मिरांडा का जन्म दमन में 1926 में हुआ था। उनकी पढ़ाई मुम्बई के सेंटजेवियर कालेज में हुई थी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) परीक्षा की तैयारी की और वास्तुशास्त्र का अध्ययन भी किया, लेकिन अंतत: वह पेंसिल और कागज लेकर चित्र उकेरने में रम गए।

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