भीषण ठंड में बढ़ते वायु प्रदूषण से कोरोना के मरीजों की सेहत ( Pollution in Severe cold can worsen the health of corona patients) और बिगड़ सकती है. महामारी से उबर चुके लोगों के स्वास्थ्य को भी यह बिगाड़ सकता है. पुणे के डॉक्टरों के दल ने ये चेतावनी जारी की है. डॉक्टरों ने फेफड़े की बीमारियों से ग्रस्त खासकर कोविड-19 (Covid-19) से उबर चुके लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने को कहा है.
हवा की खराब गुणवत्ता से कोरोना वायरस (Corona Virus) से संक्रमित रोगियों में समस्याएं बढ़ सकती हैं. हवा में प्रदूषण का बढ़ता स्तर फेफड़े से संबंधित रोगों जैसे ‘क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिसीज' (सीओपीडी) से ग्रस्त लोगों और कोविड-19 से पीड़ित लोगों पर असर डाल सकता है. नोबल अस्पताल के श्वास-रोग विशेषज्ञ डॉ वैभव पंधारकर ने कहा, ‘‘हवा की गुणवत्ता में गिरावट से सीओपीडी के मरीजों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है. हम सीओपीडी के मरीजों और ऐसे लोगों जो हाल ही में कोविड-19 से स्वस्थ हुए हैं, को प्रदूषित हवा में बाहर नहीं निकलने की सलाह देते हैं.''
उन्होंने कहा कि कुछ रोगियों के कोरोना वायरस से उबरने के बाद हमने फेफड़ों में फाइब्रोसिस देखा है. इसलिए फेफड़े के रोगों से पीड़ित और जो लोग कोविड-19 से स्वस्थ हुए हैं, उन्हें ऐसे समय में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए जब हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ गई हो. संचेती इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन में हृदय और पल्मोनरी फिजियोथेरेपिस्ट डॉ रज़िया नागरवाला ने कहा कि फेफड़े से संबंधित समस्याओं से पीड़ित लोग कोविड-19 की गंभीर जटिलताओं की चपेट में हैं. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि हमने त्योहारी सीजन में लोगों से पटाखे जलाने से बचने का अनुरोध किया था. जब हम प्रदूषकों में सांस लेते हैं, तो यह न केवल हमारी श्वसन प्रणाली को प्रभावित करते हैं, बल्कि यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करते हैं.
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