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491 ऑफिसर कैडेट्स के पंखों को मिली उड़ान, देहरादून में IMA की पासिंग आउट परेड के साथ सेना शामिल 

IMA Passing Out Parade: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शनिवार को आईएमएस पासिंग आउट परेड हुई. इसमें 491 भारतीय अफसर कैडेट्स ट्रेनिंग के बाद अफसर के तौर पर सेना में शामिल हुए हैं.

491 ऑफिसर कैडेट्स के पंखों को मिली उड़ान, देहरादून में IMA की पासिंग आउट परेड के साथ सेना शामिल 
IMA Passing Out Parade
  • भारतीय सैन्य अकादमी की 157वीं रेगुलर पासिंग आउट परेड में 525 ऑफिसर कैडेट्स ने प्रशिक्षण पूरा कर सेना में शामिल
  • 491 ऑफिसर कैडेट्स भारतीय सेना के अधिकारी बने जबकि 34 कैडेट्स 14 मित्र देशों की सेनाओं में शामिल हुए
  • थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने परेड का निरीक्षण किया और पास आउट हो रहे कैडेट्स को सलामी दी
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देहरादून:

IMA Passing Out Parade: कदम कदम बढ़ाए जा, खुशी के गीत गाए जा, यह जिंदगी है कौम की, तू कौम पे लुटाए जा इस आत्मविश्वास व जोश से लबरेज 491 ऑफिसर कैडेट्स भारतीय सेना का अंग बने.भारतीय सैन्य अकादमी यानी आईएमए की 157वीं रेगुलर पासिंग आउट परेड में कुल मिलाकर 525 ऑफिसर कैडेट ने अपनी कठिन ट्रेनिंग कर सेना में शामिल हुए.525 ऑफिसर कैडेट्स में 491 ऑफिसर कैडेट्स सैन्य अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में शामिल हुए इसके अलावा 34 ऑफिसर कैडेट्स 14 मित्र देशों की सेनाओं का हिस्सा बनें.

देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में पासिंग आउट परेड (पीओपी) हुई इस बार  थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी बतौर रिव्यूइंग अफसर परेड का निरीक्षण किया और पास आउट हो रहे आफिसर कैडेट की सलामी ली. भारतीय सैन्य अकादमी कज 157 वी रेगुलर पासिंग आउट परेड थी. भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना एक अक्टूबर 1932 को हुई थी. अकादमी के पहले बैच से 40 कैडेट पास आउट हुए थे. पहला कोर्स द पायनियर के नाम से जाना जाता है.

IMA Passing Out Parade Dehradun

IMA Passing Out Parade Dehradun

पिछले नौ दशक यानी 93 सालों के इतिहास  में अकादमी ने अपनी प्रशिक्षण क्षमता कई गुणा बढ़ा दी है. खास बात यह है कि जुलाई से यहां महिला कैडेटों का भी प्रशिक्षण शुरू हो चुका है. शनिवार की परेड के साथ ही आइएमए के नाम देश-विदेश की सेनाओं को साढ़े 66 हजार से अधिक सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया है.इनमें मित्र देशों को दिए गए करीब तीन हजार सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं.

491 युवाओं ने एक  सपना देखा था, कि वो भारतीय सेना के अधिकारी बने , भारतीय सेना  के गौरवशाली और पराक्रमी इतिहास से जुड़े , पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने कठिन परिश्रम के बल पर ये युवा अकादमी में पहुंचे और यहां कठिन प्रशिक्षण को पूरा करते हुए उन्होंने आखिरकार उन लम्हों तक पहुंचने में कामयाबी हासिल कर ली जो कभी उनका सपना था.अब ये युवा ऑफिसर कैडेट्स   सेना का अंग बन गए है और अपनी अपनी पोस्ट पर ड्यूटी करेंगे.

आइएमए को हमेशा से सबसे कठोर और प्रतिष्ठित सैन्य प्रशिक्षण केंद्र के रूप में देखा जाता रहा है, जहां अब महिला और पुरुष कैडेट पहली बार एक साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। विशेष यह कि दिसंबर 2023 में आइएमए ने कैडेट को संबोधित करने वाला शब्द भी बदल दिया था। अब उन्हें ‘जेंटलमैन कैडेट' के बजाय ‘आफिसर कैडेट' कहा जाता है। भाषा में यह बदलाव भी सेना में लैंगिक समानता के दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है.

 अगले साल महिला कैडेट अफसर 

13 दिसंबर को होने वाली पासिंग आउट परेड वह आखिरी अवसर होगा, जब ड्रिल स्क्वायर पर केवल पुरुष कैडेट दिखाई देंगे. सेना और पूर्व सैनिक समुदाय इस क्षण को विरासत के रूप में देख रहा है, जबकि अगले साल  जून में होने वाली पासिंग आउट परेड को भविष्य की सेना की पहली झलक' कहा जा रहा है. अगस्त 2022 में 19 महिला कैडेट का पहला बैच एनडीए में शामिल हुआ था. तीन वर्ष के कठोर प्रशिक्षण के बाद मई 2025 में 18 कैडेट स्नातक हुईं, जबकि इनमें से आठ ने आइएमए में प्रवेश पाया. 15 जुलाई 2025 को आइएमए के इतिहास में यह नया अध्याय जुड़ा। ये आठ कैडेट, जिन्होंने एनडीए से अपनी यात्रा शुरू की थी, अब आइएमए में एक वर्ष का कठोर प्रशिक्षण ले रही हैं.

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