विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Feb 07, 2018

AIIMS के कार्डिक सर्जरी विभाग के एचओडी पद के लिए सुप्रीम कोर्ट को देना पड़ा दखल

करीब 8 साल से इस पद पर वरिष्ठता को लेकर विवाद चल रहा था, जिसे आखिरकार देश की सर्वोच्च अदालत ने तय किया.

AIIMS के कार्डिक सर्जरी विभाग के एचओडी पद के लिए सुप्रीम कोर्ट को देना पड़ा दखल
एम्स के कार्डियो थोरेसिक और वेसकुलर विभाग के नए प्रमुख शिव कुमार चौधरी ने बुधवार को पदभार संभाला.
नई दिल्ली: एम्स के महत्वपूर्ण हृदय विज्ञान और सर्जरी विभाग के नए एचओडी की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा. करीब 8 साल से इस पद पर वरिष्ठता को लेकर विवाद चल रहा था, जिसे आखिरकार देश की सर्वोच्च अदालत ने तय किया.

एम्स के कार्डियो थोरेसिक और वेसकुलर विभाग के नए प्रमुख शिव कुमार चौधरी ने बुधवार को अपना पदभार संभाला. लेकिन इसके लिए उन्हें एक महीना ज्यादा इंतज़ार करना पड़ा. उनके पूर्ववर्ती डॉ. बलराम एरन 31 दिसम्बर को ही रिटायर हो गए थे. वरिष्ठता के हिसाब से 1 जनवरी को डॉ. चौधरी को नया प्रमुख बनाया जाना था, लेकिन शिव कुमार चौधरी की वरिष्ठता को उनके विभाग के ही दो डॉक्टरों ने चुनौती दी थी.

यह भी पढ़ें : कानून की सुस्त रफ्तार, एम्स में खरीद घोटाले में 4 साल बाद हुई एफआईआर 

वरिष्ठता के मामले में ये विवाद पिछले करीब 8 साल से चल रहा था. इस दौरान यह मामला 7 बार एम्स की महत्वपूर्ण गवर्निंग बॉडी के पास भेजा गया. जहां बॉडी ने डॉ. शिवकुमार चौधरी को ही वरिष्ठ माना और एम्स के नए HoD का सही दावेदार भी. सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला भी डॉ. चौधरी के पक्ष में ही गया. हैरानी की बात यह है कि नौकरी से जुड़े मामलों को सुनने वाली सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल कैट में गए बगैर ही डॉ. बिसोई ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार की थी, जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया.

यह भी पढ़ें : AIIMS के डॉक्टरों की पीएम मोदी को चिट्ठी- हमारा तनाव समझने के लिए सिर्फ एक दिन हमारी जिंदगी जिएं

पद संभालने के बाद डॉ. शिवकुमार चौधरी ने कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मामले में वरिष्ठता को लेकर इतना लम्बा विवाद चला, जबकि नियुक्ति के वक्त मेरिट के हिसाब से ही मेरी वरिष्ठता चयन समिति ने तय कर दी थी. मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्ण विराम लगा दिया है.

डॉ. बिसोई ने इस बारे में एनडीटीवी इंडिया से बात करने से मना कर दिया और कहा कि जो भी कहना है वह अपने हलफनामे में कह चुके हैं. कार्डिक सर्जन एके बिसोई की दलील रही कि 2005 में एडीशनल प्रोफेसर के पद पर नियुक्त के वक्त एक्सपर्ट्स ने उन्हें डॉ. शिवकुमार से बेहतर ग्रेड दिए गए थे और इसलिये उनकी वरिष्ठता अधिक होनी चाहिये, लेकिन नियमों के हिसाब से आखिरी मेरिट तय करने का अधिकार चयन समिति के पास है.

VIDEO : एम्स खरीद घोटाले में 4 साल बाद एफआईआर दर्ज


इस बीच डॉ बिसोई ने एचओडी का पद खाली होने के करीब एक महीने पहले पिछले साल 4 दिसंबर को अदालत का रुख कर लिया. मुख्य न्यायधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और डॉ. शिवकुमार की ही वरिष्ठता की बात मानी. यानी इसे होने में पूरे 8 साल लग गए.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
सलमान खान फायरिंग मामला : लॉरेंस बिश्नोई के भाई के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
AIIMS के कार्डिक सर्जरी विभाग के एचओडी पद के लिए सुप्रीम कोर्ट को देना पड़ा दखल
रक्षा मंत्रालय के लिए बजट में 6,21,940 करोड़ रुपये का प्रावधान, राजनाथ सिंह ने जताया आभार
Next Article
रक्षा मंत्रालय के लिए बजट में 6,21,940 करोड़ रुपये का प्रावधान, राजनाथ सिंह ने जताया आभार
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;