हाथरस में मौत का मातम है. सत्संग में हुई भगदड़ में 121 मौतों की पुष्टि हो चुकी है. बाबा भोलेनाथ के सत्संग में हुए इस हादसे से पूरा देश सदे में है. बाबा अभी लापता है, वहीं उसके सेवादारों के इतनी मौतों के बाद भी अलग ही तेवर हैं. NDTV INDIA ने बाबा के राम कुटीर आश्रम के मुख्य सेवादार से फोन से बात की, तो जवाब जो कुछ था, वह हैरत करने वाला था. फोन पर बाबा भोले के सेवादार विनोद बाबू ने कहा कि इस हादसे के लिए 'प्रभु' और मुख्य सेवादार देव प्रकाश की कोई गलती नहीं है. जो आए हैं उनको जाना ही है.
सत्संग के दौरान हुई भगदड़ मामले में एफआईआर दर्ज
हाथरस जिले के सिकंदराराऊ इलाके में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ के मामले में पुलिस ने ‘मुख्य सेवादार' और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. मंगलवार को हुई भगदड़ की इस घटना में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार देर रात सिकंदराराऊ थाने में मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य सेवादारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
अधिकारी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
Bhole Baba Hathras: कौन है बाबा भोलेनाथ
बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि ‘भोले बाबा' ने करीब दो दशक से अधिक समय पहले पुलिस की नौकरी छोड़ आध्यात्म की ओर रुख किया था. इसके बाद से ही उनके अनुयायियों की तादाद बढ़ती चली गई. बाबा के प्रभाव और अनुयायियों की अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि मंगलवार की रात को उत्तर प्रदेश शासन की ओर से भगदड़ के जिन मृतकों की सूची जारी की गयी उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एटा और हाथरस जिलों के अलावा आगरा,संभल,ललितपुर,अलीगढ़,बदायूं, कासगंज,मथुरा,औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से सत्संग में पहुंचे थे.
सेवानिवृत्त आईपीएस ने बाबा के बारे में क्या बताया
बाबा के समागम में जाने वाली अधिकांश महिलाएं हैं. पुलिस के एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि कासगंज जिले के पटियाली थाना क्षेत्र के बहादुर नगर के मूल निवासी करीब 70 वर्षीय ‘भोले बाबा' का असली नाम सूरजपाल है. उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति (एससी) के सूरजपाल ने करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया और ‘भोले बाबा' बनने के बाद उनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी. उनके सत्संग में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं.
पुलिस की नौकरी छोड़ बाबा बना सूरजपाल
पटियाली के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) विजय कुमार राना ने ‘पीटीआई-भाषा' से इस बात की पुष्टि की कि ‘भोले बाबा' बहादुर नगर का है और करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोडकर सत्संग करने लगा. सीओ ने बताया कि सूरजपाल के तीन भाइयों में एक की मौत हो चुकी है और ‘भोले बाबा' के रूप में ख्याति पाने वाले बाबा ने यहां बहादुर नगर की अपनी संपत्ति को एक ट्रस्ट बनाकर एक “केयर टेकर” नियुक्त किया है. बाबा की कोई संतान नहीं है और पत्नी को अपने साथ ही लेकर सत्संग में जाते हैं.
(भाषा इनपुट्स के साथ)
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