
- कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार में उमड़ रही भीड़ के बीच एमसील की जमकर बिक्री हो रही है, जो टूटी चीजों को जोड़ने के काम आती है.
- इस बार कलश वाली कांवड़ का ज्यादा ट्रेंड है. कलश से गंगाजल न छलके, इसके लिए ढक्कन पर एम-सील लगाकर पैक किया जा रहा है.
- जितनी बड़ी कांवड़, उतनी ज्यादा एम-सील. कांवड़ सजाने और बांधने के लिए रंगबिरंगी माला, रिबन और रस्सियों की भी भारी डिमांड है.
सावन का महीना, बम-बम भोले की गूंज और कांवड़ियों का जोश... हरिद्वार इस वक्त आस्था और उत्साह का अनोखा संगम बना हुआ है. हर की पैड़ी पर अलग ही रौनक है. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और उत्तर प्रदेश जैसी जगहों से लाखों कांवड़िए गंगाजल लेने और कांवड़ उठाने के लिए हरिद्वार में उमड़ रहे हैं. छोटी-बड़ी हर तरह की कांवड़ तैयार हो रही हैं. इसी के साथ एक बिजनेस यहां खूब फल-फूल रहा है. ये है एम-सील का बिजनेस. वही एमसील जिससे हम घर में टूटी-फूटी चीजों को जोड़ते हैं.
कांवड़ियों के लिए जरूरी चीज: एम-सील
आप सोच रहे होंगे कि एम-सील (M-Seal) और कांवड़ का क्या लेना-देना, लेकिन स्टील के कलश में गंगाजल भरकर कांवड़ तैयार करने वालों के लिए ये एक जरूरी चीज बन चुकी है. दरअसल इस बार अधिकतर कांवड़िए गंगाजल ले जाने के लिए स्टील के कलश या छोटे बर्तनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कांवड़ को अपने घरों के आसपास के शिव मंदिरों तक ले जाने के लंबे सफर में कहीं गंगाजल छलक न जाए, इसीलिए कांवड़िए कलश के ढक्कन पर एम-सील लगाकर उसे पैक कर रहे हैं ताकि एक बूंद भी बाहर न छलके. एम-सील के अलावा माला, रिबन और पतली रस्सियों का बिजनेस भी खूब चल रहा है. इनका इस्तेमाल कांवड़ को सजाने और बांधने के लिए हो रहा है.
एक कांवड़ में कम से कम 20 पैकेट एम-सील
हर की पौड़ी इलाके की गलियों में इस वक्त गले में रंगबिरंगे फीते, रस्सियों के लच्छे लटकाए और हाथों में एम-सील लेकर बेचते हुए ढेर सारे लोग मिल जाएंगे. कांवड़ियों से बातचीत में पता चला कि जितनी जिसकी बड़ी कांवड़ होगी, वह उतने ही रिबन, रस्सी और एम-सील खरीद रहा है. एक कांवड़ को पैक करने और सजाने में औसतन 20 से ज्यादा एम-सील के पैकेट लग रहे हैं. हर पैकेट 30 से 35 रुपये में बिक रहा है.

कलश वाली कांवड़ को पैक करने में एमसील का जमकर इस्तेमाल हो रहा है.
कांवड़ से गंगाजल छलकने से रोकने का जुगाड़
कांवड़ लेने हरिद्वार आए धर्मेंद्र ने बताया कि यहां पर 30 रुपये में एम-सील का एक पैकेट मिल रहा है. उन्होंने अपनी कांवड़ में 10 पैकेट एमसील लगाई हैं. कलश के ढक्कन पर एम-सील लगाने से गंगाजल बाहर नहीं छलकता है. उन्होंने रास्ते के लिए 10 पैकेट अलग से खरीदे हैं ताकि कहीं गंगाजल छलकने लगे तो तुरंत सील किया जा सके. कांवड़ को मजबूती से बांधने के लिए रस्सी भी खरीदी है. सजाने के लिए अलग-अलग तरह के रिबन भी लगाए हैं.
रिबन और रस्सियां भी खूब बिक रहीं
सिर्फ एम-सील ही नहीं, रिबन और पतली रस्सियां भी खूब बिक रही हैं. रंगबिरंगे रिबन 10-15 रुपये में और रस्सी 5 रुपये में मिल रही है. कांवड़ियों को अपनी कांवड़ सजाने के लिए इनकी भी जरूरत पड़ रही है. हरिकेश जैसे विक्रेता जिन्होंने कांवड़ यात्रा शुरू होने से एक हफ़्ते पहले से ये सामान बेचना शुरू कर दिया था, बताते हैं कि रोज़ाना 20 से ज़्यादा एम-सील बिक जाती हैं. रस्सी, रिबन और मालाएं भी खूब बिक रही हैं. इस छोटे से धंधे से रोज 300-500 रुपये की कमाई हो जाती है और उनकी रोजी-रोटी चल रही है. लोग होलसेल में ये सामान खरीदते हैं और कांवड़ियों को बेच रहे हैं.
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