
- अमेठी में रूस के सहयोग से विकसित एके-203 राइफल दुनिया की सबसे अत्याधुनिक राइफलों में से एक है. इसे शेर राइफल नाम दिया गया है.
- एके-203 असॉल्ट राइफल एके सीरीज़ की सबसे घातक राइफल है. एके-47 और एके 56 की तुलना में यह बेहद एडवांस है.
- ये राइफल एक मिनट में 700 गोलियां दाग सकती है. इसकी रेंज 800 मीटर तक है यानी आमने-सामने की मुठभेड़ में इसका इस्तेमाल अधिक हो सकेगा.
एक मिनट में 700 राउंड फायर, रेंज 800 मीटर, वजन में हल्की और लंबाई में कम... दुश्मन के सीने पर इसकी गोली लगे तो बचने की गुंजाइश नहीं. ऐसी है रूसी तकनीक से भारत में बन रही एके सीरीज़ के सबसे लेटेस्ट एके-203 राइफल. उत्तर प्रदेश के अमेठी में तैयार हो रही ये अत्याधुनिक राइफल भारतीय सेना की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी. यही वजह है कि इस राइफल को बनाने वालों ने इसे 'शेर' नाम दिया है.
इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के सीईओ और मेजर जनरल एसके शर्मा बताते हैं कि ये एके-203 राइफल न सिर्फ हल्की और कॉम्पैक्ट है बल्कि इसकी मारक क्षमता और विश्वसनीयता इसे दुनिया की बेहतरीन असॉल्ट राइफलों में से एक बनाती है.
एके-203 असॉल्ट राइफल की खूबियां
- एके-203 असॉल्ट राइफल एके सीरीज़ की सबसे घातक राइफल है.
- एके-47 और एके 56 की तुलना में एके 203 बेहद आधुनिक है.
- ये राइफल एक मिनट में 700 राउंड फायर कर सकती है.
- इसका वजन 3.8 किलो होता है जबकि इंसास 4.15 किलो वजनी है.
- एके-203 की रेंज 800 मीटर है, यानी आमने-सामने की मुठभेड़ या स्पेशल ऑपरेशन में इसका ज़्यादा इस्तेमाल होता है.
- इसकी मैगज़ीन में एक बार में 30 कारतूस लगाए जा सकते हैं.
- एके-203 में 7.62x39 मिमी कारतूस का इस्तेमाल किया जाता है.
- इंसास में 5.56x45 मिलीमीटर के कारतूस का इस्तेमाल होता था.
- इंसास 960 एमएम लंबी है जबकि बिना बटस्टॉक के एके-203 की लंबाई 705 मिमी है.
पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास
इस राइफल के निर्माण का फ़ैसला मोदी सरकार ने साल 2019 में रूस के साथ मिलकर लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के अमेठी में साढ़े आठ एकड़ की फैक्ट्री का शिलान्यास करते हुए कहा था कि यह सिर्फ़ एक फैक्ट्री नहीं बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा शक्ति का प्रतीक है. यह राइफल हमारे सैनिकों को और मज़बूत बनाएगी.
डेढ़ साल में बनीं 70 हजार राइफलें
अमेठी के कोरवा इलाके में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सौ एकड़ के कैंपस में बनी IRRPL की फैक्ट्री में पहली एके-203 राइफल 15 अगस्त 2023 को बनकर तैयार हुई थी. तब से लेकर अब तक इस फैक्ट्री में 70 हजार से ज्यादा राइफल्स की असेंबलिंग की जा चुकी है.
IRRPL के प्रोडक्शन हेड कर्नल संजय दहिया ने बताया कि बीते डेढ़ साल में बनी 70 हजार से ज्यादा राइफलों में से अब तक एक भी राइफल को लेकर कोई शिकायत नहीं आई है और न ही किसी राइफल में खराबी की वजह से उसे वापस किया गया है.
2030 तक बनेंगी 6 लाख राइफलें
पहले साल 2032 तक 6 लाख राइफलें बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब इसे संशोधित कर 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य है. इस फैक्ट्री में हर साल डेढ़ लाख राइफलें बनाई जाएंगी. इसमें से एक लाख 20 हजार राइफल देश में इस्तेमाल होंगी और बाकी 30 हजार राइफलें अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक्सपोर्ट की जाएंगी. रूस ने भारत में बन रही इस राइफल के अंतरराष्ट्रीय निर्यात को हरी झंडी दे दी है.
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