फाइल फोटो
नई दिल्ली:
जीएसटी की दरों को लेकर दो दिनों तक चली बैठक में राजनीतिक दृष्टिकोण से संवेदनशील और महत्वपूर्ण आम राय नहीं बन सकी. गतिरोध की वजह राजनीतिक भी थी और वैचारिक भी. केरल के वित्त मंत्री इसाक ने ये सवाल उठाया कि भारत सरकार ने विलासिता के सामानों को 26% टैक्स स्लैब में शामिल करने का फैसला क्यों किया जिन पर अभी 40% से ज़्यादा टैक्स लगता है.
अब ये तय किया गया है कि वित्त मंत्रालय की तरफ से जो चार टैक्स स्लैब - 6%, 12%, 18% और 26% प्रस्तावित किए गए हैं, उन पर जीएसटी काउंसिल की 3 और 4 नवंबर को होने वाली बैठक में फिर चर्चा होगी. वहीं, वित्त मंत्री अरण जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक 3-4 नवंबर को होगी जिसमें कर की दरों पर फैसला किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी राज्य सहमति की दिशा में बढ़ चुके हैं.
उधर, इन टैक्स स्लैबों के असर का आंकलन भी शुरू हो गया है. अगर जीएसटी काउंसिल ने केंद्र की ओर से प्रस्तावित 6 फीसदी से 26 फीसदी तक के टैक्स स्लैब को मंज़ूरी दे दी तो शायद एसी रेस्टोरेंट में आपका खाने-पीने का बिल कुछ कम हो सकता है. लेकिन हो सकता है, मोबाइल आपको कुछ महंगा पड़े. सबसे ज़रूरी चीज़ों पर 6 फ़ीसदी टैक्स की बात हो रही है तो विलासिता के सामान पर 26% के अलावा सेस लग सकता है.
अगर ये टैक्स स्लैब लागू हुआ तो उसका असर कुछ इस तरह पड़ेगा:
अभी 20,000 के फ़्रिज पर केंद्र और राज्य सरकारें करीब 5600 रुपये का (औसतन 27.7%) टैक्स लगाती हैं. जीएसटी के तहत इसी फ्रिज पर 5200 रुपया (26%) टैक्स लगाने का प्रस्ताव है यानी नए टैक्स स्लैब में फ़्रिज की कीमत 400 रुपये तक कम होगी.
इसी तरह एसी रेस्टोरेंट में आपका खाना भी कुछ सस्ता हो सकता है. अभी 1000 रुपये के एसी रेस्त्रां बिल पर केंद्र और राज्य सरकारें करीब 200 रुपया टैक्स (औसतन 19.5%) लगाती हैं. अगर एसी रेस्त्रां को 12% के टैक्स स्लैब में रखा जाता है तो आपका 1000 रुपये का एसी रेस्त्रां बिल 80 रुपया तक सस्ता हो सकता है. और एसी रेस्त्रां को 18% के टैक्स स्लैब में रखने पर बिल सिर्फ 20 रुपये तक कम होगा लेकिन सब कुछ सस्ता नहीं होगा. कुछ चीजें कुछ महंगी भी हो सकती हैं.
10000 रुपये के मोबाइल पर केंद्र और राज्य सरकारें 2400 से 2600 रुपये (औसतन 24% से 26%) टैक्स लगाती हैं. जीएसटी के तहत उपभोक्ता सामानों पर 5200 रुपया (26 %) टैक्स लगाने का प्रस्ताव है. ऐसे में मोबाइल हैंडसेट की कीमत उन राज्यों में थोड़ी बढ़ सकती है जहां अभी टैक्स दर कम है. सरकार का ख़ास ध्यान है कि जीएसटी का असर आपकी जेब पर कम पड़े.
अब ये तय किया गया है कि वित्त मंत्रालय की तरफ से जो चार टैक्स स्लैब - 6%, 12%, 18% और 26% प्रस्तावित किए गए हैं, उन पर जीएसटी काउंसिल की 3 और 4 नवंबर को होने वाली बैठक में फिर चर्चा होगी. वहीं, वित्त मंत्री अरण जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक 3-4 नवंबर को होगी जिसमें कर की दरों पर फैसला किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी राज्य सहमति की दिशा में बढ़ चुके हैं.
उधर, इन टैक्स स्लैबों के असर का आंकलन भी शुरू हो गया है. अगर जीएसटी काउंसिल ने केंद्र की ओर से प्रस्तावित 6 फीसदी से 26 फीसदी तक के टैक्स स्लैब को मंज़ूरी दे दी तो शायद एसी रेस्टोरेंट में आपका खाने-पीने का बिल कुछ कम हो सकता है. लेकिन हो सकता है, मोबाइल आपको कुछ महंगा पड़े. सबसे ज़रूरी चीज़ों पर 6 फ़ीसदी टैक्स की बात हो रही है तो विलासिता के सामान पर 26% के अलावा सेस लग सकता है.
अगर ये टैक्स स्लैब लागू हुआ तो उसका असर कुछ इस तरह पड़ेगा:
अभी 20,000 के फ़्रिज पर केंद्र और राज्य सरकारें करीब 5600 रुपये का (औसतन 27.7%) टैक्स लगाती हैं. जीएसटी के तहत इसी फ्रिज पर 5200 रुपया (26%) टैक्स लगाने का प्रस्ताव है यानी नए टैक्स स्लैब में फ़्रिज की कीमत 400 रुपये तक कम होगी.
इसी तरह एसी रेस्टोरेंट में आपका खाना भी कुछ सस्ता हो सकता है. अभी 1000 रुपये के एसी रेस्त्रां बिल पर केंद्र और राज्य सरकारें करीब 200 रुपया टैक्स (औसतन 19.5%) लगाती हैं. अगर एसी रेस्त्रां को 12% के टैक्स स्लैब में रखा जाता है तो आपका 1000 रुपये का एसी रेस्त्रां बिल 80 रुपया तक सस्ता हो सकता है. और एसी रेस्त्रां को 18% के टैक्स स्लैब में रखने पर बिल सिर्फ 20 रुपये तक कम होगा लेकिन सब कुछ सस्ता नहीं होगा. कुछ चीजें कुछ महंगी भी हो सकती हैं.
10000 रुपये के मोबाइल पर केंद्र और राज्य सरकारें 2400 से 2600 रुपये (औसतन 24% से 26%) टैक्स लगाती हैं. जीएसटी के तहत उपभोक्ता सामानों पर 5200 रुपया (26 %) टैक्स लगाने का प्रस्ताव है. ऐसे में मोबाइल हैंडसेट की कीमत उन राज्यों में थोड़ी बढ़ सकती है जहां अभी टैक्स दर कम है. सरकार का ख़ास ध्यान है कि जीएसटी का असर आपकी जेब पर कम पड़े.
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