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This Article is From Aug 23, 2018

केरल बाढ़ पीड़ितों को यूएई से मिलने वाली 700 करोड़ की मदद नहीं लेगा भारत

केरल में 100 साल में आई इस तबाही के समय में देश ही नहीं विदेशों से भी मदद आ रही है. ऐसे में भारत सरकार ने विदेशों से मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी है.

केरल बाढ़ पीड़ितों को यूएई से मिलने वाली 700 करोड़ की मदद नहीं लेगा भारत
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नई दिल्ली: भारत सरकार ने केरल में बाढ़ पीड़ितों को संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) समेत विदेशों से मिलने वाली मदद को लेने से इनकार कर दिया है. इस मामले में पहली बार भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से किसी भी तरह की विदेशी मदद लेने से इनकार किया है. सरकार ने पहले से ही चली आ रही उस नीति पर चलने का फ़ैसला किया है जिसके तहत आपदा के वक्त विदेशी सरकार से मदद नहीं ली जाएगी. दरअसल यूएई सरकार ने 700 करोड़ की मदद की पेशकश की थी. वहीं भारत द्वारा विदेशी सहायता स्वीकार करने से मना कर देने पर राज्य के राजनीतिक दलों के नेता नाखुश हैं और उनका कहना है कि केंद्र सरकार अपने फैसले पर दोबारा विचार करे. प्रदेश में सत्ताधारी मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र के रुख पर नाराजगी जाहिर की है. पूर्व रक्षामंत्री ए. के. एंटनी ने कहा कि विदेशी दान स्वीकार करने के लिए नियमों में परिवर्तन किया जाना चाहिए.

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यूएई एक ऐसा देश है जहां केरल के गई लोग बड़ी तादाद में काम करते हैं और यूएई ने खुद कहा है कि केरल से आए लोग उनकी सक्सेस स्टोरी का हिस्सा हैं. यूएई यानि संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय मूल के कारोबारियों ने दिल खोलकर इस मुश्किल वक्त में दान दिया है. भारतीय मूल के उद्योगपति साढ़े 12 करोड़ रुपये की मदद देने का एलान कर चुके हैं.  आपको बता दें कि 2004 में जब यूपीए-1 की सरकार जब सत्‍ता में आई थी तो नीति में बदलाव किया गया था कि देश में किसी भी प्राकृतिक आपदा के लिए कोई विदेशी सहायता स्वीकार नहीं की जाएगी. किसी अन्‍य देशों को अगर सहायता की आवश्यकता होगी तो उन्‍हें सहायता भेजी जाएगी. इस नीति को देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता के प्रतिबिंब के रूप में देखा गया था.

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केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर बाढ़ प्रभावित केरल की हरसंभव मदद करने का आग्रह किया है. उन्होंने ट्वीट में कहा कि मैं प्रधानमंत्री से केरल के पुनर्निर्माण के लिए हरसंभव मदद करने का आग्रह करता हूं और साथ ही वो सुनिश्चित करें कि इस बड़ी तबाही के बाद पुनर्निर्माण के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं.

बाढ़ की तबाही से जूझ रहे केरल के राजनीतिक दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार से प्रदेश में राहत कार्य के लिए विदेशी सहायत स्वीकार करने पर दोबारा विचार करने को कहा है. भारत द्वारा विदेशी सहायता स्वीकार करने से मना कर देने पर राज्य के राजनीतिक दलों के नेता नाखुश हैं और उनका कहना है कि केंद्र सरकार अपने फैसले पर दोबारा विचार करे.प्रदेश में सत्ताधारी मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र के रुख पर नाराजगी जाहिर की है. पूर्व रक्षामंत्री ए. के. एंटनी ने कहा कि विदेशी दान स्वीकार करने के लिए नियमों में परिवर्तन किया जाना चाहिए.

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उधर, नई दिल्ली में थाइलैंड के राजदूत ने केरल में बाढ़ राहत कार्य के लिए भारत द्वारा विदेशी मदद स्वीकार नहीं करने की बात ट्वीट के माध्यम से कही. चुटिंनटोर्न सैम गोंगस्कडी ने कहा, "अनौपचारिक रूप से यह बताते हुए खेद है कि केरल में बाढ़ राहत के लिए विदेशी मदद स्वीकार नहीं की जा रही है. हमारे दिल में आपके लिए सहानुभूति है, भारत के लोग!" बताया जाता है कि मालदीव और कतर ने भी राज्य को मदद की पेशकश की है. प्रदेश में बाढ़ की विभीषिका में मरने वालों की संख्या करीब 370 हो चुकी है और 3,000 से अधिक राहत शिविरों में लाखों लोग ठहरे हुए हैं. 

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केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जरूरत पड़ी तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बातचीत करेंगे. उन्होंने यूएई की सदाशयता के लिए आभार जताया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा नीति 2016 के अनुसार, विदेशी निधि स्वीकार की जा सकती है, इसलिए इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.

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