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Exclusive: ग्राउंड जीरो पर ग्रेनेड और गोलियों से स्वागत, कैसे हुआ था गाजी बाबा का एनकाउंटर, रियल हीरो ने बताया

सोमवार को NDTV के मंच पर ग्राउंड जीरो के रील और रियल हीरो (इमरान हाशमी और बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र नाथ दुबे) मौजूद रहे. इन दोनों ने गाजी बाबा के एनकाउंटर के साथ पहलगाम आतंकी हमले पर भी बात की. 

Ghazi Baba  Encounter Story: 2001 में भारतीय संसद पर आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में 13 लोग मारे गए थे. इस हमले का मास्टरमांइड जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख गाजी बाबा था. आर्मी हेडक्वार्टर और जम्मू कश्मीर विधानसभा पर हमले में भी इसका ही हाथ था. 1998 में अनंतनाग में 25 पंडितों को इसने ही निशाने पर लिया था. इस आतंकवादी को 2013 में BSF अधिकारी नरेंद्र नाथ दुबे ने SOG के साथ मिलकर मार गिराया था. इसे BSF का बड़ा मिशन माना जाता है. गाजी बाबा के खात्मे पर अब एक फिल्म आई है, ग्राउंड जीरो. 

इस फिल्म में बॉलीवुड एक्टर इमरान हाशमी नरेंद्र नाथ दुबे का रोल कर रहे हैं. सोमवार को NDTV के मंच पर ग्राउंड जीरो के रील और रियल हीरो (इमरान हाशमी और बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र नाथ दुबे) मौजूद रहे. इन दोनों ने गाजी बाबा के एनकाउंटर के साथ पहलगाम आतंकी हमले पर भी बात की. 

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इसी बातचीत के दौरान नरेंद्र नाथ दुबे ने बताया कि गाजी बाबा का एनकाउंटर कैसे हुआ था. उन्होंने बताया कि संसद पर हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के सरगना गाजी बाबा के लिए पकड़ने या मारने का फरमान जारी हुआ था. इसके बाद भारत ने मौका नहीं गंवाया. 

एक-एक कड़ी को जोड़ना, जुगाड़ से कोडिंग-डिकोडिंग

उन्होंने बताया कि उस समय आज के जमाने जैसा टेक्नोलॉजी नहीं था. लोकल लेवल पर कोडिंग-डिकोडिंग के जरिए काम होता था. 17 महीने तक गाजी बाबा के खात्मे पर टीम काम करती रही. उसके बारे में जानकारी जुटाना, वो कहां छिपता है, उसके साथी कौन-कौन हैं, इनसब चीजों के बारे में जानकारी जुटाई गई. एक-एक कड़ी को जोड़ा. जुगाड़ से कोडिंग-डिकोडिंग होती थी. 

गाजी बाबा ने कर रखी थी पूरी तैयारी, स्पीड और एक्यूरेसी से हम जीतेः नरेंद्र नाथ दुबे

उन्होंने बताया कि 17 महीने बाद इंटेलिजेंस से इनपुट मिली, जिसके बाद 72 घंटे के ऑपरेशन में गाजी बाबा के सीक्रेट चैंबर में घुसकर उसकी हिस्ट्री को खत्म किया गया. इस ऑपरेशन में जाने से पहले सबको पता था इनकाउंटर होगा. क्योंकि गाजी बाबा ने जिस तरह की तैयारी कर रखी थी, उससे सबको पता था मुठभेड़ तो होगी ही. लेकिन उसकी सारी तैयारी धरी की धरी रह गई, क्योंकि जिस स्पीड और एक्यूरेसी के साथ पूरी टीम ने काम किया उससे वो मात खा गया. 

इमरान हाशमी ने बताया कि बीएसएफ की सबसे बड़ी सफल मिशन की इस कहानी को सिनेमाई पर्दे पर लाने में बीएसएफ का बड़ा सपोर्ट रहा. हम लोग बीएएसएफ के कैंप पर गए.

गोलियों और ग्रेनेड से हमारा स्वागत ग्राउंड जीरो पर हुआ थाः बीएसएफ अधिकारी

बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि हम लोगों एक आतंकी ठिकाना ध्वस्त किया था. स्पीकर के पीछे कोई शटर हो और नीचे तहखाना हो, ऐसा डिजाइन तो पूरी घाटी में देखने को मिला. कोई आतंकी क्लोज सर्किट टीवी विथ नाइट इन डिवाइस लगाकर बैठा हो, यह तो हमने सोचा भी नहीं था. जब हम लोग वहां गए तो हमारा स्वागत गोलियों और ग्रेनेड से हुआ. मुझे भी गोली लगी. लेकिन पूरी टीम का धन्यवाद कि हम लोग गाजी बाबा का अंत कर सके. 31 अगस्त 2003 को गाजी बाबा का एनकाउंटर हुआ था. 

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