कोरोनावायरस के खिलाफ देशभर में लॉकडाउन की स्थिति है. सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. देश में अब तक 500 से ज्यादा संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं जिनका इलाज चल रहा है. करीब 40 मरीज ऐसे हैं जो इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. इसी कड़ी में दिल्ली के पहले कोरोनावायरस मरीज रोहित दत्ता सामने आए हैं. रोहित एक टेक्सटाइल व्यापारी हैं. कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद रोहत 23 दिनों के भीतर यह बिल्कुल स्वस्थ हो गए. उन्होंने अपनी आपबीती बीबीसी के साथ साझा की, बताया कि कैसे उनका टेस्ट हुआ, कैसे इलाज हुआ और वह लोगों से क्या कहना चाहते हैं. रोहित दत्ता ने बताया कि जिस दिन मैं यूरोप से लौटा था, मुझे रात में बुखार जैसा महसूस हुआ. उस समय तापमान 99.5 था, सो, मुझे लगा, ऐसा लम्बी उड़ान या जेट लैग की वजह से हुआ होगा. उन्होंने बताया कि अगले दिन मैं डॉक्टर के पास गया, तीन दिन तक उनकी बताई दवाई ली, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. रोहित ने बताया कि मैंनें डॉक्टर से कहा कि मैं कोरोना स्क्रीनिंग करवाना चाहता हूं.
स्क्रीनिंग के बाद सरकार को (1 मार्च को) पता चला कि मैं कोरोना पॉज़िटिव हूं और दिल्ली का पहला मरीज़ था. उन्होंने बहुत अच्छे तरीके से इसे संभाला. स्वास्थ्यकर्मियों ने मेरे घर पर एक टीम भेजी, पूरे परिवार की टेस्टिंग की गई. राहत की बात ये रही कि सभी का टेस्ट नेगेटिव निकला. उन्होंने बताया कि जिन-जिन से मैं पहले मिला था, उन सभी का टेस्ट भी नेगेटिव आया. रोहित ने बताया कि जो सुविधाएं मुझे अस्पताल में मिलीं, वह वर्ल्डक्लास थीं. जो लोग इससे परेशान हो रहे हैं, उन्हें समझने की ज़रूरत है कि यह जंग जैसे हालात हैं. चीन में तो लोगों को टेन्टों और डॉरमिटरीज़ में रखा जा रहा है. लोगों को समझना होगा कि भले ही सारी सुविधाएं उपलब्ध न हों, सबसे अहम चीज़ सेहत है.
रोहित दत्ता ने बताया कि आइसोलेशन के दौरान पहले तीन दिन मेरा गला इतना ज़्यादा खराब था कि मैं बोल भी नहीं पा रहा था. मेरे पास मोबाइल फोन था, मैं व्हॉट्सऐप पर था, और लोग मुझसे मेरे हालचाल पूछ रहे थे. उन्होंने कहा कि वैसे भी जब भी आपकी तबियत ठीक नहीं होती तो आपको कुछ पसंद नहीं आता है. ऐसा ही मेरे साथ भी हो रहा था. इसका बेहतरीन तरीका यही है कि ज्यादा से ज्यादा आराम किया जाए. रोहित के अनुसार मैंने तीन-चार दिन तक आराम किया, जब मेरी स्थिति सुधरनी शुरू हुई, मैंने धीरे-धीरे फिल्में देखना और किताबें पढ़ना शुरू कर दिया.
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दिल्ली के पहले कोरोना वायरस संक्रमित मरीज के अनुसार आइसोलेशन में बिताया वक्त इंसान को बदल देता है. वहां आपको एहसास होता है कि आपने क्या-क्या गलतियां की हैं. उन्होंने बताया कि वहां मैं सोच रहा था कि मैं 45 साल का हो चुका हूं, मैंने अपनी ज़िन्दगी के पिछले 30 सालों को देखा और महसूस किया कि मैं सिर्फ भाग रहा हूं, यूं ही. जबकि ज़िन्दगी बहुत छोटी है, और आपकी ज़रूरतें भी. रोहित दत्ता ने लोगों से अपील की कि लोगों को समझना होगा कि उन्हें अपनी जांच करवानी चाहिए. जितनी जल्दी वे अपनी जांच करवाएंगे, उतनी ही जल्दी वे ठीक होंगे.
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