नई दिल्ली:
भारत, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के निचले तटीय इलाकों में रहने वाले 13 करोड़ लोगों पर इस सदी के अंत तक बाढ़ के कारण विस्थापन का खतरा मंडरा रहा है.
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) तथा पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च (पीआईके) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया को आर्थिक स्तर पर प्रभावित करने के अलावा बाढ़ के कारण क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिसकी आबादी लगभग चार अरब है.
जलवायु परिवर्तन उनके भविष्य के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करने के साथ ही मौजूदा विकास को नुकसान पहुंचाएगा और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, तापमान बढ़ने से क्षेत्र की मौसम प्रणाली, कृषि व मत्स्य पालन क्षेत्र, भूमि व समुद्र जैव विविधता, घेरलू तथा क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार शहरी विकास, प्रवास तथा स्वास्थ्य में भीषण बदलाव आएंगे.
दक्षिण भारत में चावल के उत्पादन में साल 2030 तक पांच फीसदी, 2050 तक 14.5 फीसदी तथा 2080 तक 17 फीसदी की कमी आएगी। यहां तापमान में एक डिग्री से अधिक की बढ़ोतरी होगी.
पीआईके में प्रोफेसर तथा निदेशक हंस जोअचिम शेह्लनहुबर के मुताबिक, पृथ्वी का भविष्य एशियाई देशों के हाथ में है.
( इनपुट आईएनएस से )
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) तथा पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च (पीआईके) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया को आर्थिक स्तर पर प्रभावित करने के अलावा बाढ़ के कारण क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिसकी आबादी लगभग चार अरब है.
जलवायु परिवर्तन उनके भविष्य के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करने के साथ ही मौजूदा विकास को नुकसान पहुंचाएगा और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, तापमान बढ़ने से क्षेत्र की मौसम प्रणाली, कृषि व मत्स्य पालन क्षेत्र, भूमि व समुद्र जैव विविधता, घेरलू तथा क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार शहरी विकास, प्रवास तथा स्वास्थ्य में भीषण बदलाव आएंगे.
दक्षिण भारत में चावल के उत्पादन में साल 2030 तक पांच फीसदी, 2050 तक 14.5 फीसदी तथा 2080 तक 17 फीसदी की कमी आएगी। यहां तापमान में एक डिग्री से अधिक की बढ़ोतरी होगी.
पीआईके में प्रोफेसर तथा निदेशक हंस जोअचिम शेह्लनहुबर के मुताबिक, पृथ्वी का भविष्य एशियाई देशों के हाथ में है.
( इनपुट आईएनएस से )
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