कोरोनावायरस को लेकर कर्नाटक में जिन लोगों को घरों में क्वारंटाइन किया गया है, उनसे कहा गया है कि वह हर घंटे सेल्फी क्लिक करके सरकार को भेजेंगे. कर्नाटक में अभी तक 80 से ज्यादा कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज सामने आए हैं, जबकि तीन लोगों की मौत हो चुकी है. सोमवार को राज्य के एक मंत्री ने कहा है कि अगर किसी ने सेल्फी नहीं भेजी तो उन्हें सरकार की ओर से संचालित क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया जाएगा.
कर्नाटक के मेडिकल एजुकेशन मंत्री डॉ. के सुधाकर ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, 'जिन भी लोगों को घरों में क्वारंटाइन किया गया है, उन्हें हर घंटे सरकार को एक मोबाइल ऐप पर सेल्फी भेजनी होगी. अगर कोई ऐसा नहीं करता है तो उनके घरों पर एक टीम पहुंचेगी और उन्हें सरकार की ओर से बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती किया जाएगा.' सुधाकर का बयान उस दिन आया है, जिस दिन देश में एक दिन में अब तक सबसे ज्यादा 227 मामले कोरोनो संक्रमण के सामने आए है.
ये नया नियम तब लाया गया है, जब बेंगलुरू में जिन 10 लोगों को घर में क्वारंटाइन किया गया था, वे वहां से निकलकर भाग गए थे. इसके बाद उन्हें उनके गांव से गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उन लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था.
इस नए नियम के तहत लोगों को रात 10 बजे से सुबह 7 बजे तक सेल्फी नहीं भेजनी होगी. लोग जो सेल्फी भेजेंगे, अधिकारियों की एक टीम उन्हें मॉनिटर करेगी. सेल्फी गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद एक ऐप के जरिए भेजनी होगी.
वहीं, एक अन्य खबर के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान कर्नाटक पुलिस ने कथित तौर पर एम्बुलेंस को तलपडी से मेंगलुरु नहीं जाने दिया जिसके कारण गंभीर रूप से बीमार दो और मरीजों की मौत हो गयी. पुलिस ने बताया कि कासरगोड-मेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग पर नाकेबंदी न खोले जाने से 49 वर्षीय एक पुरुष और 60 वर्षीय महिला की मौत हो गयी. कासरगोड के लोग गंभीर रोग के इलाज के लिए कर्नाटक स्थित मेंगलुरु में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं पर निर्भर हैं. गुरुवार को मंजेश्वरम की 65 वर्षीय एक महिला को कर्नाटक की सीमा में घुसने नहीं दिया गया था जिसके कारण रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी.
रविवार को एक वृद्ध महिला डॉक्टर को दिखाने जा रही थी लेकिन उसे भी कर्नाटक में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी जिसके कारण उसकी मौत हो गयी थी. हाल ही में बिहार की एक महिला को एम्बुलेंस के भीतर बच्चे को जन्म देना पड़ा क्योंकि बार-बार मिन्नत करने के बावजूद पुलिस ने बैरिकेड नहीं हटाया. जिला प्रशासन ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को इलाज के लिए कर्नाटक की सीमा में प्रवेश की अनुमति मिल सके. कासरगोड के सांसद ने कहा है कि वे इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
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