लोहे के रॉड, बड़े-बड़े हथौड़ों और बोतलों से लैस नकाबपोश गुंडों द्वारा दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) कैम्पस में घुसकर कोहराम मचाने के अगले दिन पुलिस की भूमिका पर तो सवाल उठ ही रहे हैं, इन जानकारियों से भी सवाल खड़े होते हैं कि इतने भीषण हमले के दौरान स्ट्रीटलाइटें बंद हो गई थीं. हथियारों से लैस लगभग 50 नकाबपोश हमलावर न सिर्फ कैम्पस में घुस गए, बल्कि उन्होंने तीन घंटे तक खुलेआम और निर्बाध आतंक मचाए रखा, जिन्हें न पुलिस ने रोका, न प्रशासन ने.
सोमवार सुबह, अपने आचरण के लिए आलोचनाओं से घिरी दिल्ली पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा कि उन्हें 'कई शिकायतें' मिलीं, और उन्होंने सभी शिकायतों को क्लब कर एक FIR दर्ज कर ली है. पुलिस ने यह भी कहा कि उन्होंने कुछ हमलावरों की पहचान कर ली है तथा केस की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी जा रही है. लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है.
JNU हिंसा: कांग्रेस का निशाना- मोदी जी और शाह जी ने 90 साल बाद दिला दी नाजी शासन की याद
रविवार की वारदात में विद्यार्थियों और शिक्षकों को मिलाकर कम से कम 34 लोग ज़ख्मी हुए. विद्यार्थियों का आरोप है कि इस वारदात के पीछे ABVP का हाथ है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े छात्र संगठन ABVP ने इस घटना का आरोप वामदल-समर्थक गुटों पर जड़ दिया है.
कुछ तस्वीरें मौजूद हैं, जिनमें लाठियों से लैस लोगों का समूह कैम्पस में घुसते दिख रहा है. शाम 6:45 बजे के आसपास ली गई इन तस्वीरों में कैम्पस में बने बस स्टॉप के निकट लोगों को एक पंक्ति में चलते देखा जा सकता है.
1,000 एकड़ से भी अधिक जगह में फैले इस कैम्पस के हर गेट पर आमतौर पर कई सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहते हैं, जिन्हें विद्यार्थियों तथा कैम्पस में आने-जाने वाले वाहनों की आवाजाही को दर्ज करना होता है.
JNU हिंसा के पीछे साजिश? छात्रों पर हमले से पहले व्हॉट्सऐप पर बताया गया था- 'VC अपना ही है'
यह पता नहीं चल पाया है कि हमलावर हथियारों को लेकर कैम्पस में कैसे घुस पाए. अगर उन्हें देख लिया गया था, तो उन्हें रोका क्यों नहीं गया...? हमलावरों ने एक के बाद एक होस्टलों में घुसकर विद्यार्थियों और शिक्षकों को पीटा.
विद्यार्थियों और कार्यकर्ताओं ने देर से कार्रवाई करने के लिए भी दिल्ली पुलिस की आलोचना की है. JNU छात्रसंघ (JNUSU) के उपाध्यक्ष साकेत मून ने हमले के बाद बताया, "पुलिस कैम्पस में दोपहर से ही मौजूद थी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया..."
हमले में ज़ख्मी हुए JNU के एक प्रोफेसर ने बताया कि भीड़ द्वारा फेंके गए 'पत्थर इतने बड़े-बड़े थे कि हमारी खोपड़ियां चटक सकती थीं...'
रविवार को किया गया हमला सिर्फ विद्यार्थियों और शिक्षकों तक ही सीमित नहीं रहा. राजनेता-कार्यकर्ता योगेंद्र यादव भी ज़ख्मी लोगों में शामिल हैं. एक फेसबुक पोस्ट में योगेंद्र यादव ने लिखा कि उन पर तीन बार हमला किया गया, और 'पुलिस (सिर्फ) देखती रही...'
JNU हिंसा: दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया केस, कई हमलावरों की हुई पहचान, क्राइम ब्रांच करेगी जांच
बहुत-से लोगों ने इस पर हैरानी जताई है कि पुलिस ने दखल क्यों नहीं दिया, और तीन घंटे तक भीड़ को क्यों नहीं रोका, और सभी हमलावर हिरासत में आने या गिरफ्तार होने से बचकर कैसे निकल गए.
हिंसा खत्म हो जाने के कुछ घंटे बाद ही पुलिस ने फ्लैग मार्च किया, जिसके दौरान गुस्साए विद्यार्थियों ने 'दिल्ली पुलिस, वापस जाओ' के नारे भी लगाए.
विद्यार्थियों पर इस नए हमले ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस और विद्यार्थी समुदाय के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है. इससे पहले, पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों पर कार्रवाई की थी.
JNU हिंसा पर बोले दिल्ली पुलिस के वकील राहुल मेहरा- शर्म से झुक गया मेरा सिर, हमारी फोर्स कहां है?
इस बात की ओर विशेष रूप से ध्यान दिलाया गया है कि JNU में हमले के दौरान स्ट्रीटलाइटें बंद कर दी गई थीं. यह पहला मौका नहीं है, जब JNU के विद्यार्थियों के साथ हुई घटनाओं में ऐसा हुआ हो. नवंबर, 2019 में फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे JNU के विद्यार्थियों के खिलाफ पुलिस द्वारा किए गए कथित लाठीचार्ज के दौरान भी दक्षिणी दिल्ली में लाइटें बंद कर दी गई थीं.
आहत और गुस्साए विद्यार्थी कुलपति जगदीश कुमार पर भी जमकर बरसे हैं, और उनके इस्तीफे की मांग की है. विद्यार्थियों ने कुलपति को 'वफादार नौकर' करार दिया है, जो विद्यार्थियों के खिलाफ हिंसा करवाता है.
JNU Vice Chancellor M. Jagadesh Kumar: They need not fear about their process. The top priority of the University is to protect the academic interests of our students. https://t.co/OIvnMlgMZf
— ANI (@ANI) January 6, 2020
JNUSU का कहना है, "...डरपोक कुलपति, जो ढके-छिपे ढंग से गैरकानूनी नीतियां लाते हैं, विद्यार्थियों या शिक्षकों द्वारा पूछे गए सवालों से भागते हैं, और फिर JNU को बुरा साबित करने के हालात पैदा करते हैं... विद्यार्थियों के खिलाफ हिंसा करवाने और कैम्पस में तोड़फोड़ करने के लिए चमचों का इस्तेमाल करते हैं..."
सोमवार सुबह ही जगदीश कुमार ने विद्यार्थियों से कहा, "उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं है" और यूनिवर्सिटी की 'शीर्ष प्राथमिकता' विद्यार्थियों के शैक्षिक हितों की रक्षा करना है.
JNU में पुलिस ने निकाला फ्लैग मार्च, छात्रों ने लगाए नारे- 'दिल्ली पुलिस वापस जाओ', देखिए VIDEO
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, कुलपति ने कहा, "उन्हें (विद्यार्थियों को) डरने की ज़रूरत नहीं है... यूनिवर्सिटी की 'शीर्ष प्राथमिकता' हमारे विद्यार्थियों के शैक्षिक हितों की रक्षा करना है..."
JNU में हुए इस हमले के बाद देशभर में विद्यार्थी समुदाय गुस्सा गया है, और रविवार रात और सोमवार सुबह हज़ारों की तादाद में सड़कों पर उतर आए.
(इनपुट ANI से भी)
VIDEO: JNU में हुए हमले के बाद मुंबई समेत देश के कई हिस्सों में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं