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This Article is From Feb 17, 2012

एनसीटीसी पर केंद्र की मुश्किलें बढ़ी, 7 मुख्यमंत्री विरोध में

नई दिल्ली: आतंकवाद से मुकाबले के लिए नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) के गठन की घोषणा को लेकर केंद्र सरकार शुक्रवार को मुश्किलों में फंस गई। सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राज्य सरकार के अधिकारों का हनन बताते हुए इस पर अपना विरोध जताया।

इस बीच, कांग्रेस ने केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में अपनी एक प्रमुख सहयोगी तृणमूल कांग्रेस द्वारा भी इसका विरोध किए जाने पर अपने तेवर कुछ हद तक ढीले किए। केंद्र सरकार के संकटमोचक प्रणब मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल में कहा कि इस पर कोई भी फैसला आलोचनाओं के अध्ययन के बाद ही लिया जाएगा।

एनसीटीसी के गठन की केंद्र सरकार की घोषणा को राज्यों के अधिकार क्षेत्र का हनन बताने वालों की जमात में शुक्रवार को तूणमूल अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हो गईं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों- गुजरात, मध्य प्रदेश व हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ बिहार में भाजपा-जनता दल (युनाइटेड) गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) सरकार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने भी केंद्र सरकार की इस घोषणा का विरोध किया। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी एनसीटीसी के खिलाफ आवाज बुलंद की।

छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अलग-अलग पत्र लिखकर इसे वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि एनसीटीसी का गठन संघीय ढांचे तथा राज्यों के अधिकारों का हनन होगा।

आतंकवाद विरोधी इस सशक्त एजेंसी की संकल्पना केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने पेश की, जो देश में आतंकवाद के खतरों से सम्बंधित सूचनाओं को एकत्र कर उनका विश्लेषण करेगी। इसका कामकाज एक मार्च से शुरू होने वाला है।

इस सशक्त एजेंसी को अधिकार गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) से मिलेंगे, जो केंद्र सरकार की एजेंसियों को आतंकवाद से सम्बंधित मामलों में किसी भी राज्य में छापेमारी या गिरफ्तारी की अनुमति देता है। इसके लिए उसे राज्य सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

इस बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने जोर देत हुए कहा कि सरकार कोई नया कानून नहीं बना रही। उन्होंने हालांकि एनसीटीसी के गठन को उचित ठहराते हुए कहा, "एनसीटीसी की अधिसूचना जारी करने से पहले राज्यों से मशविरे की कोई आवश्यकता है। यह आतंकवाद से लड़ने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए गठित किया गया है।"

सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इस सम्बंध में पश्चिम बंगाल के गृह सचिव समर घोष से भी बात की और उन्हें स्पष्ट किया कि कोई नया कानून नहीं बनाया जा रहा।

इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने चेताया कि राज्यों के अधिकारों में कटौती का कोई भी प्रयास केंद्र सरकार की स्थिरता के लिए घातक हो सकता है।

भाजपा नेता बलबीर पुंज ने भी कहा, "आतंकवाद राष्ट्रीय समस्या है। यदि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री इस समस्या को लेकर गम्भीर हैं तो उन्हें राज्य सरकारों को भरोसे में लेना चाहिए था।"

ओडिशा के मुख्यमंत्री पटनायक ने एनसीटीसी को 'डरावना' करार दिया और मनमोहन सिंह से इसे वापस लेने की मांग की। उन्होंने ही इस मुद्दे पर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सम्पर्क किया। उनका कहना है कि एनसीटीसी के गठन की घोषणा से पहले राज्यों से सलाह-मशविरा नहीं किया गया।

वहीं, ममता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर एनसीटीसी के गठन को लेकर दिए गए कार्यकारी आदेश की 'समीक्षा तथा इसे वापस लेने' की मांग की। उन्होंने कहा कि एनसीटीसी द्वारा 'शक्ति के मनमाने इस्तेमाल' से संविधान में वर्णित राज्यों के अधिकारों तथा विशेषाधिकारों का उल्लंघन होगा।

ममता के सहयोगी व केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री व तृणमूल के वरिष्ठ नेता सुल्तान अहमद ने कहा, "केंद्र सरकार में शामिल होने का यह अर्थ नहीं है कि हम अपने राज्य का हित भूल जाएं।"

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