
Axiom 4 Mission Explained: इतिहास बनने वाला है. एक बार फिर एक भारतीय अंतरिक्ष में लौटने वाला है. राकेश शर्मा के अंतरिक्ष में जाने के 41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जा रहा है. उससे भी खास बात यह है कि यह अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले पहले भारतीय के रूप में अपना नाम दर्ज करने को भी तैयार है. हम बात कर रहे हैं मैन ऑफ द आवर भारतीय वायुसेना के जांबाज टेस्ट पायलट शुभांशु शुक्ला की. 15 सालों तक एक कॉम्बैट पायलट रहे शुभांशु ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन, Axiom-4 पर जा रहे हैं. खराब मौसम की वजह से शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष की उड़ान जो 10 जून को होनी थी, वो एक दिन के लिए टाल दी गई है.Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग अब 11 जून को होगी.
चलिए इस स्टोरी को हम एक एक्सप्लेनर में बदल देते हैं और आपको बताते हैं
- Axiom-4 मिशन क्या है?
- मिशन पर कौन-कौन जा रहा है?
- मिशन पर कौन से रिकॉर्ड बनेंगे?
- इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्री क्या करेंगे?
- भारत को इस Axiom-4 मिशन से क्या फायदा होगा?
- SpaceX के इस रॉकेट को कौन सी बात खास बनाती है?
Axiom-4 मिशन क्या है?
Axiom 4 मिशन अमेरिका की प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी Axiom Space द्वारा ऑपरेट किया जा रहा है. इसमें NASA और ISRO की साझेदारी में है. इस मिशन को ‘मिशन आकाश गंगा' भी कहा जा रहा है. दो बार टालने के बाद मिशन अब 11 जून को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के क्रू ड्रैगन C213 यान के जरिए लॉन्च होगा. लॉन्च के बाद यह अंतरिक्ष यान लगभग 28 घंटे की यात्रा के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर डॉक करेगा. ध्यान रहे कि यह एक प्राइवेट मिशन है. NDTV के साइंस एडिटर पल्लव बागला के अनुसार शुभांशु शुक्ला जिस रॉकेट में जा रहे हैं, उसे आप ऊबर की तरह समझिए. भारत ने 550 करोड़ रुपये खर्च करके ये टिकट खरीदी है.
मिशन पर कौन-कौन जा रहा है?
इस मिशन पर कुल 4 अंतरिक्ष यात्री जा रहे हैं. NASA की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और Axiom Space में मानव अंतरिक्ष उड़ान की डायरेक्टर पैगी व्हिटसन इस मिशन की कमान संभालेंगी. ISRO के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में काम करेंगे. दो मिशन विशेषज्ञ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के परियोजना अंतरिक्ष यात्री पोलैंड के स्लावोस्ज़ उज़्नान्स्की-विल्निविस्की और हंगरी के टिबोर कापू हैं.
मिशन पर कौन से रिकॉर्ड बनेंगे?
- शुभांशु शुक्ला 1984 के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे.
- यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) परियोजना के अंतरिक्ष यात्री, स्लावोज उज़्नान्स्की, 1978 के बाद से स्पेस में जाने वाले पोलैंड के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे.
- टिबोर कापू 1980 के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे हंगेरियन अंतरिक्ष यात्री होंगे.
- पैगी व्हिटसन अपने दूसरे कमर्शियल मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन की कमान संभालेंगी. यह अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री द्वारा अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक कुल मिलाकर समय गुजारने के उनके मौजूदा रिकॉर्ड में शामिल हो जाएगा.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्री क्या करेंगे?
Axiom Space में की वेबसाइट के अनुसार ये चारों अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 14 दिन तक 60 एक्सपेरिमेंट करेंगे. अगर शुभांशु शुक्ला की बात करें तो वो अंतरिक्ष में सात एक्सपेरिमेंट करेंगे, जिनका उद्देश्य भारत में माइक्रोग्रैविटी रिसर्च को प्रोत्साहित करना है. भारत का 2035 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और 2047 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की लक्ष्य है. भारत उसी की तैयारी में लगा है.
‘Axiom' द्वारा आयोजित वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘माइक्रोग्रैविटी प्लेटफॉर्म और रिसर्च' के ग्रुप हेड तुषार फडनीस ने बताया था, “विचार केवल इसे वहीं अंकुरित करने तक सीमित नहीं है. विचार यह भी है कि वापस आने पर इनमें यहां कैसा बदलाव देखने को मिलता है. वे संबंधित PI (प्रमुख शोधकर्ताओं) की लैब्स में बहुत सारे विश्लेषण से गुजरेंगे.”
भारत को इस Axiom-4 मिशन से क्या फायदा होगा?
भारत के लिए Axiom-4 मिशन की अहमियत एक ट्रेनिंग की तरह की है, आगे की एक तैयारी के रूप में है. ISRO के अनुसार शुभांशु शुक्ला ही भारत के अपने पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के लिए "शीर्ष दावेदारों में" से हैं. यह मिशन 2027 में लॉन्च करने की तैयारी है. अंतरिक्ष विभाग ने कहा है, "उनकी यात्रा सिर्फ एक उड़ान से कहीं अधिक है - यह एक संकेत है कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण (एक्सप्लोरेशन) के एक नए युग में साहसपूर्वक कदम रख रहा है." मिशन Axiom 4 की यात्रा और फिर ISS पर 14 दिन गुजारना, यह घर वापस लाने के लिए शुभांशु को "अमूल्य" सबक प्रदान करेगा. इसी लिए मिशन Axiom 4 के लिए भारत ने 550 करोड़ रुपये खर्च करके टिकट खरीदी है.
SpaceX के अंतरिक्ष यान और रॉकेट को कौन सी बात खास बनाती है?
चारों अंतरिक्ष यात्री मिशन SpaceX के जिस Crew Dragon capsule में जाएगा बिल्कुल नया है. और Dragon capsule को SpaceX के सबसे भरोसेमंद Falcon 9 rocket से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा. ये एक टू स्टेज रॉकेट है जो reusable है यानी इसे कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है. स्पेसक्राफ्ट को धरती की कक्षा में सुरक्षित छोड़ने के बाद ये वापस लौट आता है. इस तरह ये दुनिया का पहला ऑर्बिटल क्लास रीयूज़ेबल रॉकेट है. फिर से इस्तेमाल किए जाने की क्षमता के कारण अंतरिक्ष तक जाने की लागत कम हो जाती है क्योंकि रॉकेट के सबसे कीमती हिस्से बार-बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं. 2010 में सबसे पहले इस्तेमाल किए गए Falcon 9 रॉकेट की सफलता दर 99.4% है.
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