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इस मामले में पुलिस ने अस्पताल की नर्स और दाई को गिरफ़्तार किया है.
इस ख़ास मौक़े के गवाह बने सैकड़ों लोग और मीडिया.
डीएनए टेस्ट में सच सामने आया.
गुरुवार को इंतज़ार आख़िरकार ख़त्म हुआ और दो दूध मुंहे अपने अपने मां-बाप की गोद में पहुंच गए. इस ख़ास मौक़े के गवाह बने सैकड़ों लोग और मीडिया. दरअसल, बीते 26 मई को पेशे से नर्स शीतल ने कमला नेहरू अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था, लेकिन उसे बेटी थमा दी गई. डीएनए टेस्ट के बाद शक यक़ीन में बदल गया. अस्पताल ने जब शिकायत को अनसुना कर दिया तो शीतल ने जिगर के टुकड़े को हासिल करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.
हाईकोर्ट के आदेश पर उसी दिन मां बनने वाली अंजना और उसके बेटे का डीएनए टेस्ट पुलिस ने करवाया और सच सामने आ गया. पिछले हफ़्ते, कोर्ट ने दोनों परिवारों को आपस में ही मामला सुलझाने का आदेश दिया था.

अपने बेटे को हासिल करने के बाद शीतल ने कहा, 'जिस बच्ची को पांच माह तक अपना दूध पिलाया, उससे बिछड़ने का गम भी है, लेकिन हम मिलते रहेंगे ताकि मंडी और शिमला का ये रिश्ता दोनों भाई-बहनों की तरह बना रहे.'
वहीं बच्ची की मां, अंजना ठाकुर ने कहा, 'मेरे पास पहले से बेटा है और अब बेटी की चाहत थी, लेकिन जब बेटा दिया गया तो पांच माह तक पालने के बाद बच्चे से मोह हो गया है. अब बिछड़ने का गम हो रहा है. अस्पताल के जिन लोगों ने गलत किया है, उनको सजा होनी चाहिए.'
इस बीच, शिमला पुलिस ने बच्चों के जन्म के वक़्त लेबर रूम में डूटी पर तैनात एक स्टाफ़ नर्स और दाई को गिरफ़्तार कर लिया है.
शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बी डी नेगी ने बताया कि हमने अस्पताल के दो लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है. आगे की तफ़तीश के बाद जल्द ही बच्चों की अदला-बदली के पीछे कौन लोग थे, ये सामने आ जाएगा.'
दोनों परिवार अपने बच्चों के साथ गुरुवार को हाईकोर्ट के सामने पेश होंगे. पुलिस भी अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखेगी. उम्मीद है कि पूरे ड्रामे के खलनायक भी बेनक़ाब हो जाएंगे.
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