काबुल:
14 साल पहले अफगानिस्तान के बामियान में महात्मा बुद्ध की दो विशालकाय मूर्तियों को तालिबान ने नेस्तनाबूद कर दिया था, लेकिन ठीक इसी जगह पर एक बार फिर से 3डी तकनीक की मदद से महात्मा बुद्ध की ऐसी ही विशालकाय मूर्तियां 'बना' दी गईं। इसका पूरा श्रेय जाता है उस चीनी दंपती को, जिसने इस दिशा में काम किया।
चीनी दंपती झेयांग शिन्यु और लियांग हॉग ने 3डी लेजर लाइट तकनीक की मदद से उन्हीं गुफाओं में बुद्ध की मूर्तियों को बनाया जहां पत्थऱ की ये विशालकाय मूर्तियां बनी हुई थीं। यह दंपती तालिबान द्वारा सदियों पुरानी मूर्तियों को तोड़े जाने से दुखी था और तब उन्होंने इस प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लिया। महात्मा बुद्ध की ध्वस्त की गईं वे मूर्तियां छठी शताब्दी की थीं।
इस दंपती ने इस प्रोजेक्ट को अमलीकरण के लिए अफगान सरकार और यूनेस्को से परमिशन ली थी। केवल एक रात के लिए ही सही, लेकिन उन्हें 3डी तकनीक की मदद से महात्मा बुद्ध के स्टेचू को जीवंत करने की अनुमति मिल गई।
7 जून को दंपती ने इस काम को अंजाम दिया। प्रोजेक्टर्स की मदद से विशालकाय होलोग्राफिक स्टेचू तैयार किए गए। इनका कदम एकदम वही था जो उन ऐतिहासिक मूर्तियों का था। इस दौरान संगीतमय वातावरण भी तैयार किया गया। 'द अटलांटिक' में इस घटना को देखने वाले एक पत्रकार ने बताया, 'हालांकि इस इवेंट की कोई खास पब्लिसिटी नहीं की गई थी, लेकिन 150 से ज्यादा लोग इस घटना के गवाह बने। कई लोगों ने उस दौरान संगीत बजाया जबकि कई केवल देखते रहे।'
महात्मा बुद्ध की मूर्तियां- 115 फीट और 174 फीट- लंबी थी और ये 1500 साल से ज्यादा समय तक खड़ी रहीं। मार्च 2001 में तालिबान ने इन्हें उड़ा दिया था। ये मूर्तियां न सिर्फ अफगान बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर थीं। यूनेस्को ने इन्हें वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तहत सूचीबद्ध किया हुआ था। जापान और स्विटजरलैंड ने भी इन मूर्तियों को फिर से खड़ा करने में सहयोग करने की बात कही है।
चीनी दंपती झेयांग शिन्यु और लियांग हॉग ने 3डी लेजर लाइट तकनीक की मदद से उन्हीं गुफाओं में बुद्ध की मूर्तियों को बनाया जहां पत्थऱ की ये विशालकाय मूर्तियां बनी हुई थीं। यह दंपती तालिबान द्वारा सदियों पुरानी मूर्तियों को तोड़े जाने से दुखी था और तब उन्होंने इस प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लिया। महात्मा बुद्ध की ध्वस्त की गईं वे मूर्तियां छठी शताब्दी की थीं।
इस दंपती ने इस प्रोजेक्ट को अमलीकरण के लिए अफगान सरकार और यूनेस्को से परमिशन ली थी। केवल एक रात के लिए ही सही, लेकिन उन्हें 3डी तकनीक की मदद से महात्मा बुद्ध के स्टेचू को जीवंत करने की अनुमति मिल गई।
7 जून को दंपती ने इस काम को अंजाम दिया। प्रोजेक्टर्स की मदद से विशालकाय होलोग्राफिक स्टेचू तैयार किए गए। इनका कदम एकदम वही था जो उन ऐतिहासिक मूर्तियों का था। इस दौरान संगीतमय वातावरण भी तैयार किया गया। 'द अटलांटिक' में इस घटना को देखने वाले एक पत्रकार ने बताया, 'हालांकि इस इवेंट की कोई खास पब्लिसिटी नहीं की गई थी, लेकिन 150 से ज्यादा लोग इस घटना के गवाह बने। कई लोगों ने उस दौरान संगीत बजाया जबकि कई केवल देखते रहे।'
महात्मा बुद्ध की मूर्तियां- 115 फीट और 174 फीट- लंबी थी और ये 1500 साल से ज्यादा समय तक खड़ी रहीं। मार्च 2001 में तालिबान ने इन्हें उड़ा दिया था। ये मूर्तियां न सिर्फ अफगान बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर थीं। यूनेस्को ने इन्हें वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तहत सूचीबद्ध किया हुआ था। जापान और स्विटजरलैंड ने भी इन मूर्तियों को फिर से खड़ा करने में सहयोग करने की बात कही है।
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