भ्रष्टाचार विरोधी छह अहम बिलों को पास कराने की सरकार की मंशा पर पानी फिर गया है। आज खत्म हो रहे सत्र की अवधि बढ़ाने पर विपक्ष के साथ सहमति नहीं बन पाई।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के एजेंडे में शामिल इन छह बिलों को लेकर सरकार काफी गंभीर है। संसद सत्र नहीं बढ़ने से, जो बिल लटक गए हैं, उनमें तय समय सीमा के भीतर सेवा पाने का अधिकार और शिकायतों के निवारण से जुड़ा बिल, विदेशी सरकारी अफसरों की रिश्वतखोरी के खिलाफ बिल, गवाहों की सुरक्षा से जुड़ा व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल और न्यायिक जवाबदेही बिल शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कि अगर ये छह बिल चालू सत्र में पारित नहीं हो पाते हैं, तो सरकार अध्यादेश के जरिये इन्हें अमल में ला सकती है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि अगर ये बिल संसद में पास नहीं हो पाए तो यह देश के लिए झटका होगा, इसलिए पार्टी इसे पास कराने के लिए हरसंभव कोशिश करेगी, लेकिन ऐसा नहीं पर अध्यादेश भी एक रास्ता हो सकता है।
यूपीए−2 के इस आखिरी सत्र को कई मायनों में याद रखा जाएगा। सत्र के दौरान तेलंगाना के मुद्दे पर दोनों सदनों में खासा हंगामा हुआ और विरोध यहां तक पहुंचा कि लोकसभा में एक सांसद ने काली मिर्च का स्प्रे तक कर दिया।
भारी विरोध और शोर-शराबे के बीच ही अंतरिम रेल बजट और अंतरिम वित्त बजट भी पेश हुआ। इतना ही नहीं गुरुवार को जब राज्यसभा में प्रधानमंत्री बोलने के लिए खड़े हुए, तो तेलंगाना का विरोध कर रहे सांसदों ने उन पर कागज फाड़ कर फेंके।
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