लालकृष्ण आडवाणी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में कथित भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर लगे आरोपों के बाद पूरी भाजपा (सांसद कीर्ति आजाद को छोड़कर) उनके पक्ष में खड़ी है। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में अपने खास मंत्री की जमकर पैरवी की।
बैठक से बाहर आईं खबरों के मुताबिक, पीएम ने कहा कि जेटली उसी तरह मामले में बेदाग निकलेंगे, जिस तरह से हवाला डायरी मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी साबित हुए थे। डीडीसीए मामले के आलोक में जिस तरह से हवाला मामले का जिक्र आया, उसने हवाला कारोबारी एसके जैन से जुड़े इस मामले के प्रति लोगों की जिज्ञासा बढ़ा दी है। डीडीसीए का मामला सामने आने के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि आडवाणी जैसी शुचिता क्या इस मामले में भी अपनाई जाएगी...।
आडवाणी सहित कई कद्दावर नेताओं के थे डायरी में नाम
दरअसल, 90 के दशक में सामने आए हवाला डायरी मामला के केंद्रबिंदु उद्योगपति जैन बंधु थे, जिनके दफ़्तरों पर छापों के दौरान सीबीआई के हाथ ये दस्तावेज़ लगे थे। खासतौर पर एसके जैन के लिए काम करने वाले एक शख़्स जे के जैन की विस्फोटक डायरी।
मामला सामने आने पर दे दिया इस्तीफा
सीबीआई का कहना था कि उस दौर के जैसे कद्दावर नेताओं को 'लाभ' पहुंचाने का विवरण जेके जैन की डायरी में दर्ज था। आडवाणी सहित उस दौर के शरद यादव, एनडी तिवारी और मदनलाल खुराना जैसे पक्ष-विपक्ष के कई धुरंधरों के नाम हवाला रूट से पैसा हासिल करने वालों की सूची में थे। हवाला कारोबारी एसके जैन की डायरी को सीबीआई ने आडवाणी समेत शीर्ष नेताओं के खिलाफ अहम सबूत के तौर पर पेश किया था।आडवाणी ने हवाला घोटाला में लिप्त के आरोप लगाने के बाद 1996 में संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और इस मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद 1998 में वह संसद के लिए फिर से निर्वाचित हुए।
हाल ही में इसका जिक्र भी किया था
स्वाभाविक रूप से इस मामले में आडवाणी ने उच्च नैतिक मूल्य स्थापित करते हुए तब तक संसद की ओर रुख नहीं किया था जब तक कि उन्हें क्लीन चिट नहीं मिल गई थी। हाल ही में आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे की ओर से की गई कथित 'मदद' का मामला आने के बाद भी आडवाणी ने इसका जिक्र किया था। भाजपा के इस वरिष्ठ नेता ने कहा था कि सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा को कायम रखने की जरूरत है। साथ ही आडवाणी ने इस बात का भी जिक्र किया था कि कैसे हवाला कांड में अपना नाम आने के तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
बंगाली दैनिक आनंद बाजार पत्रिका के अनुसार आडवाणी ने कहा था 'जिस दिन जैन डायरी के आधार पर मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए, उसी शाम पंडारा रोड पर अपने मकान में बैठकर मैंने (संसद सदस्य के तौर पर) इस्तीफा देने का फैसला किया। यह किसी और का फैसला नहीं था। यह मेरा था। उसके तुरंत बाद मैंने अपने फैसले के बारे में सूचित करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को कॉल किया। उन्होंने मुझसे इस्तीफा नहीं देने को कहा, लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी।'
बैठक से बाहर आईं खबरों के मुताबिक, पीएम ने कहा कि जेटली उसी तरह मामले में बेदाग निकलेंगे, जिस तरह से हवाला डायरी मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी साबित हुए थे। डीडीसीए मामले के आलोक में जिस तरह से हवाला मामले का जिक्र आया, उसने हवाला कारोबारी एसके जैन से जुड़े इस मामले के प्रति लोगों की जिज्ञासा बढ़ा दी है। डीडीसीए का मामला सामने आने के बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि आडवाणी जैसी शुचिता क्या इस मामले में भी अपनाई जाएगी...।
आडवाणी सहित कई कद्दावर नेताओं के थे डायरी में नाम
दरअसल, 90 के दशक में सामने आए हवाला डायरी मामला के केंद्रबिंदु उद्योगपति जैन बंधु थे, जिनके दफ़्तरों पर छापों के दौरान सीबीआई के हाथ ये दस्तावेज़ लगे थे। खासतौर पर एसके जैन के लिए काम करने वाले एक शख़्स जे के जैन की विस्फोटक डायरी।
मामला सामने आने पर दे दिया इस्तीफा
सीबीआई का कहना था कि उस दौर के जैसे कद्दावर नेताओं को 'लाभ' पहुंचाने का विवरण जेके जैन की डायरी में दर्ज था। आडवाणी सहित उस दौर के शरद यादव, एनडी तिवारी और मदनलाल खुराना जैसे पक्ष-विपक्ष के कई धुरंधरों के नाम हवाला रूट से पैसा हासिल करने वालों की सूची में थे। हवाला कारोबारी एसके जैन की डायरी को सीबीआई ने आडवाणी समेत शीर्ष नेताओं के खिलाफ अहम सबूत के तौर पर पेश किया था।आडवाणी ने हवाला घोटाला में लिप्त के आरोप लगाने के बाद 1996 में संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और इस मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद 1998 में वह संसद के लिए फिर से निर्वाचित हुए।
हाल ही में इसका जिक्र भी किया था
स्वाभाविक रूप से इस मामले में आडवाणी ने उच्च नैतिक मूल्य स्थापित करते हुए तब तक संसद की ओर रुख नहीं किया था जब तक कि उन्हें क्लीन चिट नहीं मिल गई थी। हाल ही में आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे की ओर से की गई कथित 'मदद' का मामला आने के बाद भी आडवाणी ने इसका जिक्र किया था। भाजपा के इस वरिष्ठ नेता ने कहा था कि सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा को कायम रखने की जरूरत है। साथ ही आडवाणी ने इस बात का भी जिक्र किया था कि कैसे हवाला कांड में अपना नाम आने के तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
बंगाली दैनिक आनंद बाजार पत्रिका के अनुसार आडवाणी ने कहा था 'जिस दिन जैन डायरी के आधार पर मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए, उसी शाम पंडारा रोड पर अपने मकान में बैठकर मैंने (संसद सदस्य के तौर पर) इस्तीफा देने का फैसला किया। यह किसी और का फैसला नहीं था। यह मेरा था। उसके तुरंत बाद मैंने अपने फैसले के बारे में सूचित करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को कॉल किया। उन्होंने मुझसे इस्तीफा नहीं देने को कहा, लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी।'
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