तबादले का विवाद क्या है?
25 मई को, पश्चिम बंगाल सरकार ने 24 मई को केंद्र की मंजूरी का हवाला देते हुए एक आदेश जारी किया कि "सार्वजनिक सेवा के हित में, बंदोपाध्याय की सेवाओं का विस्तार तीन महीने के लिए किया जाता है. लेकिन, 28 मई को केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने बंगाल के मुख्य सचिव को लिखा कि "कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने बंदोपाध्याय की सेवाओं को" तत्काल प्रभाव " से भारत सरकार के साथ स्थानांतिरत किया है और राज्य सरकार से अनुरोध किया कि अधिकारी को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त किया जाय. डीओपीटी ने मुख्य सचिव को 31 मई को सुबह 10 बजे तक रिपोर्ट करने का निर्देश भी दिया.
केंद्र की यह कार्रवाई तब हुई, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय पीएम नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक में आधे घंटे की देरी से पहुंचे थे. यास तूफान से हुए नुकसान की समीक्षा करने के लिए पीएम मोदी ने कोलकाता में बैठक की थी.
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केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के नियम क्या हैं?
सामान्यत: केंद्र सरकार प्रतिवर्ष केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक अखिल भारतीय सेवाओं आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा (IAS, IPS और Indian Forest Service)के अधिकारियों की "प्रस्ताव सूची" मंगाता है, जिसके बाद वह उस सूची से अधिकारियों का चयन करता है.
आईएएस संवर्ग नियमों (IAS Cadre Rules) के नियम 6(1) में कहा गया है कि एक अधिकारी, "संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की सहमति से, केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन सेवा के लिए प्रतिनियुक्त किया जा सकता है." रूल यह भी कहता है, "असहमति के किसी भी मामले में मामला केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाएगा और संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकारें केंद्र सरकार के निर्णय को प्रभावी करेंगी."
अब क्या हो सकता है?
नियम कहता है कि राज्य सरकार के अधीन तैनात सिविल सेवा अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है. अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के नियम 7 में कहा गया है, "यदि अधिकारी राज्य में सेवा कर रहे हैं तो 'कार्यवाही शुरू करने और जुर्माना लगाने का अधिकार' राज्य सरकार का होगा." नियम कहता है कि अखिल भारतीय सेवाओं के किसी भी अधिकारी के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए राज्य और केंद्र दोनों को सहमत होने की आवश्यकता है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मौजूदा स्थिति में अलपन बंदोपाध्याय के मामले में अब तीन विकल्प दिखते हैं-
1. बंदोपाध्याय राज्य सरकार से मिले सेवा विस्तार को अस्वीकार कर सोमवार (31 मई) को ही सेवानिवृत्त हो जाएं और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को नजरअंदाज कर दें.
2. बंदोपाध्याय मुख्य सचिव के रूप में सेवा विस्तार लेकर पद पर बने रह सकते हैं लेकिन उन्हें केंद्र सरकार के अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है और ऐसा हुआ तो उन्हें रिटायरमेंट बेनिफिट मिलने में कठिनाई हो सकती है.
3. वह सोमवार को केंद्र सरकार को रिपोर्ट करें और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अपना सेवा विस्तार का समय जारी रखें.
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