नई दिल्ली / लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा उनके साथ 'जंग' में उलझे उनके पिता मुलायम सिंह यादव से कह दिया गया है कि दोनों धड़ों के पास यह साबित करने के लिए सोमवार तक का समय है कि क्यों वे उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न 'साइकिल' के हकदार हैं. राज्य में सत्तासीन समाजवादी पार्टी के 'प्रथम परिवार' में जारी इस 'युद्ध' की वजह से पार्टी दो-फाड़ की कगार पर है, जबकि विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, और 11 फरवरी से प्रदेश में वोटिंग शुरू होने जा रही है.
43-वर्षीय मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी के विधायकों तथा पार्टी पदाधिकारियों से गुरुवार को एक बैठक में शामिल होने तथा उन दस्तावेज़ पर दस्तखत करने के लिए कहा है, जिनमें अखिलेश गुट को समर्थन की बात कही गई है. इसके बाद ये दस्तावेज़ केंद्रीय चुनाव आयोग को दिए जाएंगे, ताकि साबित हो सके कि इसी गुट के पास बहुमत है, और यही वैध समाजवादी पार्टी है.
हालिया दिनों में अखिलेश यादव तथा उनके 77-वर्षीय पिता मुलायम सिंह यादव के बीच 'जंग' को खत्म करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन सभी नाकाम रहीं. असल में 'युद्ध' का प्रमुख मुद्दा यही है कि पार्टी कौन चलाएगा. युवा मुख्यमंत्री चाहते हैं कि चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन वही करें, और पार्टी से उनके पिता के सबसे करीबी सहयोगियों चाचा शिवपाल यादव तथा अमर सिंह को निकाल दिया जाए. मुलायम सिंह यादव का दावा है कि उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से अखिलेश यादव द्वारा असंवैधानिक तरीके से हटाया गया है, और उन्हें उनका पद वापस मिलना चाहिए. उधर, शिवपाल यादव भी ऐसे किसी पदाधिकारी मंडल के पक्ष में नहीं हैं, जिसमें उन्हें दरकिनार कर दिया गया हो.
इसी माहौल की वजह से पार्टी फिर टूट की कगार पर खड़ी है. बुधवार रात को सभी गुटों के पुनर्मिलन के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा, "इन चीज़ों में वक्त लगता है..." अखिलेश के इस बयान से संकेत मिलता है कि बातचीत जारी है. हालांकि मुलायम के एक और भाई तथा अखिलेश के पक्षधर रामगोपाल यादव ने पत्रकारों से साफ कहा, "कोई समझौता नहीं किया जाएगा..."
पार्टी में दो-फाड़ होने की सच्चाई को लगभग कबूल करते हुए दोनों ही पक्षों ने चुनाव आयोग से 'साइकिल' चुनाव चिह्न को इस्तेमाल करने का अधिकार मांगा है. अखिलेश यादव के गुट का दावा है कि उनके पास समाजवादी पार्टी के 229 में से 220 विधायकों का समर्थन है. अखिलेश द्वारा आहूत की गई बैठकों में पार्टी सदस्यों की हाज़िरी भी उनके पिता द्वारा बुलाई गई बैठकों की तुलना में कहीं ज़्यादा रही है. अब दोनों ही नेताओं से चुनाव आयोग ने सोमवार तक अपने-अपने समर्थक विधायकों की दस्तखतशुदा लिस्ट जमा कराने के लिए कहा है.
43-वर्षीय मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी के विधायकों तथा पार्टी पदाधिकारियों से गुरुवार को एक बैठक में शामिल होने तथा उन दस्तावेज़ पर दस्तखत करने के लिए कहा है, जिनमें अखिलेश गुट को समर्थन की बात कही गई है. इसके बाद ये दस्तावेज़ केंद्रीय चुनाव आयोग को दिए जाएंगे, ताकि साबित हो सके कि इसी गुट के पास बहुमत है, और यही वैध समाजवादी पार्टी है.
हालिया दिनों में अखिलेश यादव तथा उनके 77-वर्षीय पिता मुलायम सिंह यादव के बीच 'जंग' को खत्म करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन सभी नाकाम रहीं. असल में 'युद्ध' का प्रमुख मुद्दा यही है कि पार्टी कौन चलाएगा. युवा मुख्यमंत्री चाहते हैं कि चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन वही करें, और पार्टी से उनके पिता के सबसे करीबी सहयोगियों चाचा शिवपाल यादव तथा अमर सिंह को निकाल दिया जाए. मुलायम सिंह यादव का दावा है कि उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से अखिलेश यादव द्वारा असंवैधानिक तरीके से हटाया गया है, और उन्हें उनका पद वापस मिलना चाहिए. उधर, शिवपाल यादव भी ऐसे किसी पदाधिकारी मंडल के पक्ष में नहीं हैं, जिसमें उन्हें दरकिनार कर दिया गया हो.
इसी माहौल की वजह से पार्टी फिर टूट की कगार पर खड़ी है. बुधवार रात को सभी गुटों के पुनर्मिलन के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा, "इन चीज़ों में वक्त लगता है..." अखिलेश के इस बयान से संकेत मिलता है कि बातचीत जारी है. हालांकि मुलायम के एक और भाई तथा अखिलेश के पक्षधर रामगोपाल यादव ने पत्रकारों से साफ कहा, "कोई समझौता नहीं किया जाएगा..."
पार्टी में दो-फाड़ होने की सच्चाई को लगभग कबूल करते हुए दोनों ही पक्षों ने चुनाव आयोग से 'साइकिल' चुनाव चिह्न को इस्तेमाल करने का अधिकार मांगा है. अखिलेश यादव के गुट का दावा है कि उनके पास समाजवादी पार्टी के 229 में से 220 विधायकों का समर्थन है. अखिलेश द्वारा आहूत की गई बैठकों में पार्टी सदस्यों की हाज़िरी भी उनके पिता द्वारा बुलाई गई बैठकों की तुलना में कहीं ज़्यादा रही है. अब दोनों ही नेताओं से चुनाव आयोग ने सोमवार तक अपने-अपने समर्थक विधायकों की दस्तखतशुदा लिस्ट जमा कराने के लिए कहा है.
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