विज्ञापन
This Article is From Aug 19, 2015

आंखों से लाचार, उम्र का पड़ाव पार...लिहाजा दाखिला नहीं

आंखों से लाचार, उम्र का पड़ाव पार...लिहाजा दाखिला नहीं
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: आंखों से देखने में लाचार सुमंत कहता है कि स्कूल वाले ने यह कहते हुए एडमिशन देने से इंकार कर दिया कि उम्र ज्यादा है। अपनी आंखों से देख भले नहीं सकते, पर कोशिश एक तंग गली में फंसे अपने करिअर को उबारने की है।

सुमंत और नजरूल की 11वीं में पढ़ाई की उम्मीद भी जाती रही। कानून के मुताबिक विशेष तौर पर सक्षम छात्रों के लिए 11वीं में दाखिले की अधिकतम उम्र 18 साल है, जबकि यह दोनों बीस साल के हैं। 20 साल का मोहम्मद नजरूल इस्लाम भी रुंआसा होकर कहता है कि हमें रेगुलर पढ़ाई करनी है। दर-दर की ठोकरें खा चुके, लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा।

इन दोनों बच्चों को साथ लेकर रास्ते की गुंजाइश तलाशने हम दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री से मिलने निकल पड़े। एक कार्यक्रम के बाद उन्होंने मिलने का भरोसा भी दिया। इस बीच छात्र अपने तमाम सर्टिफिकेट दिखाते रहे, दसवीं में 7.6 और 7.8 की सीजीपीए, डॉक्टरों से मिले मेडिकल सर्टिफिकेट और दाखिले के लिए की गई कोशिशों से जुड़े दस्तावेज।

एक बार तो इन्हें दाखिला भी मिल गया था, रोल नंबर भी मिले, बाद में नाम कट गया। इतनी देर में मंत्रीजी बाहर निकल आए, उस सर्कुलर की कॉपी भी दिखाई गई जो दाखिले की राह में रोड़ा बना है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि कल इन्हें एजुकेशन सेक्रेटरी के पास भेजिए। पॉलिसी वॉयलेशन होगा तो कुछ न कुछ तरीका निकालना पड़ेगा।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
स्कूल, दिल्ली, विकलांग, अंधत्व, स्कूल एडमिशन, स्कूल प्रवेश, शिक्षा मंत्री, School, Education, Delhi, School Admission, Blind, Studants
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com