
दिल्ली में लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) यानी उप-राज्यपाल को ज्यादा अधिकार देने वाले बिल के खिलाफ विपक्ष ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में विरोध प्रदर्शन किया. हंगामे के बीच लगातार दूसरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही प्रभावित हुई. विपक्षी सांसदों ने सरकार की निंदा करते हुए सदन में नारेबाजी की. केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर तृणमूल कांग्रेस के साथ टकराव के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण निर्मला सीतारमण को वित्त विधेयक पर चर्चा पर अपने जवाब में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यहां पर जो चुनी हुई सरकार है उनके अधिकार को छीन कर एलजी को देने की बात है. यह संविधान के खिलाफ है. इसे एक्ट के रूप में नहीं लाना चाहिए. इसे संवैधानिक संसोधन के जरिये लाए. दिल्ली के एमएलए को कोई अधिकार नहीं है. इसको सेलेक्ट कमिटी में भेजे.
वहीं, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, "आज दिल्ली के दो करोड़ लोगों के न्याय के लिये खड़ा हुआ हूं. सत्ता पक्ष के लोगों से कहना चाहता हूं कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार 69वें संविधान संसोधन से बनी है. बिल गलत और अलोकतांत्रिक है. ये कह रहे हैं कि एलजी मतलब सरकार. आप दो बार चुनाव हारे हैं, इसलिए बिल लेकर आये हैं."
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने ‘‘राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021'' का भारी विरोध करते हुए हंगामा किया जिससे सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित हुयी. विपक्षी सदस्य आसन के समीप आ गए और उन्होंने सरकार तथा विधेयक के खिलाफ नारे लगाए.
सदन में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा पूरी होने के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विधेयक का विरोध किया और कहा कि यह यह असंवैधानिक है. उन्होंने इसे प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की. विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा कि इस विधेयक के जरिए सरकार चुने हुए प्रतिनिधियों के अधिकारों को छीनकर उपराज्यपाल को देना चाहती हैं. इतना ही नहीं सरकार उपराज्यपाल को ही सरकार बनाना चाहती है. उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में चुने हुए प्रतिनिधियों की क्या आवश्यकता है.
इस विधेयक को उन्होंने संविधान के खिलाफ बताया और कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन में कोई भी बदलाव संविधान संशोधन के जरिए ही किया जा सकता है लेकिन सरकार इसे एक सामान्य संशोधन विधेयक के रुप में लेकर आई है. लोकतंत्र के बारे में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कुछ पंक्तियां उद्घृत करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि मूल कानून में संशोधन किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं है. हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शाम करीब छह बजे दो बार 10-10 मिनट के लिए स्थगित की गयी.
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