नई दिल्ली:
सरकार ने चीनी मिलों के लिए 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण आज मंजूर किया ताकि उनके लिए किसानों को गन्ने का कुछ बकाया चुकाने में आसानी हो सके। मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया करीब 21,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया। इससे सरकारी खजाने पर करीब 600 करोड़ रुपये का बोझ आएगा।
सड़क परिवहन राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, चीनी मिलें अधिक उत्पादन एवं कम कीमत की वजह से किसानों को भुगतान नहीं कर पा रही हैं। गन्ना किसानों का बकाया 21,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा, सरकार ने किसानों के लिए 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण मंजूर किया है। चीनी मिलें किसानों की सूची तैयार करेंगी और उसके आधार पर बैंकों द्वारा राशि सीधे किसानों के जनधन खातों में हस्तांतरित की जाएगी। केंद्र सरकार चीनी विकास कोष (एसडीएफ) से 600 करोड़ रुपये के ब्याज का बोझ वहन करेगी। बकाया राशि जून तक दे दी जाएगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, सीसीईए ने फैसला किया है कि इसमें मिलों से एक साल तक यह कर्ज की वसूली नहीं की जाएगी। छूट की इस अवधि में इस ऋण पर ब्याज का बोझ सरकार उठाएगी। यह बोझ 600 करोड़ रुपये तक होगा।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने यह निर्णय भी किया कि ऋण उन्हीं इकाइयों को उपलब्ध कराया जाएगा, जो 30 जून, 2015 से पहले बकाए का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान कर देती हैं। यह दूसरी बार है जब केंद्र नकदी संकट से जूझ रही चीनी मिलों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करा रहा है। दिसंबर, 2013 में संप्रग सरकार ने गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान करने के लिए 6,600 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया था।
गडकरी ने कहा कि केंद्र ने पहले ही कई उपाय किए हैं, जिसमें चीनी का आयात शुल्क बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाना, कच्ची चीनी पर 4,000 रुपये प्रति टन की निर्यात सब्सिडी और पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण को प्रोत्साहन हेतु एथनॉल की कीमतों में वृद्धि शामिल है।
उन्होंने कहा, यह निर्णय उद्योग को सहयोग देने के लिए नहीं, बल्कि किसानों के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है। भारत का चीनी उत्पादन 2014-15 विपणन वर्ष (अक्तूबर-सितंबर) में 2.8 करोड़ टन का स्तर पार कर जाने का अनुमान है, जो इससे पिछले वर्ष में 2.43 करोड़ टन था।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया। इससे सरकारी खजाने पर करीब 600 करोड़ रुपये का बोझ आएगा।
सड़क परिवहन राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, चीनी मिलें अधिक उत्पादन एवं कम कीमत की वजह से किसानों को भुगतान नहीं कर पा रही हैं। गन्ना किसानों का बकाया 21,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा, सरकार ने किसानों के लिए 6,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण मंजूर किया है। चीनी मिलें किसानों की सूची तैयार करेंगी और उसके आधार पर बैंकों द्वारा राशि सीधे किसानों के जनधन खातों में हस्तांतरित की जाएगी। केंद्र सरकार चीनी विकास कोष (एसडीएफ) से 600 करोड़ रुपये के ब्याज का बोझ वहन करेगी। बकाया राशि जून तक दे दी जाएगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, सीसीईए ने फैसला किया है कि इसमें मिलों से एक साल तक यह कर्ज की वसूली नहीं की जाएगी। छूट की इस अवधि में इस ऋण पर ब्याज का बोझ सरकार उठाएगी। यह बोझ 600 करोड़ रुपये तक होगा।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने यह निर्णय भी किया कि ऋण उन्हीं इकाइयों को उपलब्ध कराया जाएगा, जो 30 जून, 2015 से पहले बकाए का कम से कम 50 प्रतिशत भुगतान कर देती हैं। यह दूसरी बार है जब केंद्र नकदी संकट से जूझ रही चीनी मिलों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करा रहा है। दिसंबर, 2013 में संप्रग सरकार ने गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान करने के लिए 6,600 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया था।
गडकरी ने कहा कि केंद्र ने पहले ही कई उपाय किए हैं, जिसमें चीनी का आयात शुल्क बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाना, कच्ची चीनी पर 4,000 रुपये प्रति टन की निर्यात सब्सिडी और पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण को प्रोत्साहन हेतु एथनॉल की कीमतों में वृद्धि शामिल है।
उन्होंने कहा, यह निर्णय उद्योग को सहयोग देने के लिए नहीं, बल्कि किसानों के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है। भारत का चीनी उत्पादन 2014-15 विपणन वर्ष (अक्तूबर-सितंबर) में 2.8 करोड़ टन का स्तर पार कर जाने का अनुमान है, जो इससे पिछले वर्ष में 2.43 करोड़ टन था।
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