कोरोना काल में गहरी आर्थिक चोट के बाद अर्थव्यवस्था का हर क्षेत्र सरकार से बजट 2021-22 (Union Budget 2021-22) राहत और प्रोत्साहन की उम्मीद लगाए बैठा है. लेकिन राजस्व में कमी को देखते हुए सरकार बजट 2021-22 में कुछ विशेष क्षेत्रों पर फोकस कर सकती है. इसमें सीमा पर तनाव को देखते हुए रक्षा (Defense) और महामारी को देखते हुए जन सुरक्षा (Health etc) और रोजगार सृजन (Employment) के लिए बुनियादी ढांचे (Infrastructure) से जुड़ी विशेष सौगातों का ऐलान हो सकता है.
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डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार के मुताबिक स्मार्ट सिटी(Smart City) , मेट्रो, आवास योजना जैसे प्रोजेक्ट प्राथमिकता में रह सकते हैं क्योंकि ये रोजगार के साथ ये उत्पादक संपत्ति का निर्माण कर आर्थिक गतिविधियों का निर्माण भी करेंगे. इससे लघु, सूक्ष्म औऱ मझोले उद्योगों (MSME) की वस्तुओं और सेवा की मांग भी बढ़ेगी, जिससे भी रोजगार वृद्धि होगी. इससे वैश्विक निवेश भी आकर्षित होगा.न्यायपालिका (Judiciary Budget) के आधारभूत ढांचे (नए कोर्ट की स्थापना, डिजिटल संसाधन) के लिए बजट बढ़ाने से लंबित मुकदमों की संख्या में कमी के साथ न्यायिक कार्यवाही में तेजी आएगी.
स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान
सरकार की प्राथमिकता में हेल्थकेयर और सोशल सिक्योरिटी (Healthcare and social Security) का क्षेत्र भी होगा. कोरोना काल की आपात चुनौतियों को देखते हुए भविष्य में ऐसे किसी भी संकट का सामना करने के लिए सरकार जिला अस्पतालों के उन्नयन, सीएचसी-पीएचसी की क्षमता बढ़ाने पर जोर दे सकती है. ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट (Union Budget) बढ़ने के आसार हैं.स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी GDP के 3.5% से इसे कम से कम 5% पर ले जाना होगा, ताकि हम 10 सालों इसे 10% तक जा सकेंगे.
डिफेंस सरकार की सबसे बड़ी चिंता
मजूमदार ने कहा कि सीमा पर तनाव को देखते हुए सरकार सैन्य खरीद के लिए डिफेंस बजट (Defense Budget) को बढ़ा सकती है. सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा ढांचे को भी उन्नत बनाने पर फोकस रहेगा.सरकार ने 83 तेजस स्वदेशी लड़ाकू विमानों की खरीद को हरी झंडी दी है. डिफेंस सेक्टर में टेक्नोलॉजी (Defense Technology) पर जोर देते हुए कुछ सुधारों का भी ऐलान हो सकता है.
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ऐलान संभव
आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के लिए वैश्विक निर्यात बाजार और ग्लोबल वैल्यू चेन में हिस्सेदारी बढ़ाने पर सरकार का फोकस है. ऐसे में भारत की बढ़त और सस्ते श्रम वाले क्षेत्रों में सरकार स्पेशलाइजेशन और निवेश बढ़ा सकती है. कर छूट के साथ, रिफंड, सब्सिडी भी ऐसे उद्योगों को दी जा सकती है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए उत्पादन आधारित इनसेंटिव (Production-linked incentive) को भी खास क्षेत्रों में बढ़ावा मिलेगा.
ग्रामीण विकास और MSME पर ध्यान
हमेशा की इस बार भी ग्रामीण विकास (Rural Development), कृषि (Agriculture) क्षेत्र और MSME सेक्टर को ज्यादा बजटीय सहायता देने पर सरकार जोर दे सकती है, क्योंकि रोजगार, कौशल विकास के साथ मांग और खपत बढ़ाने में ये अहम हैं. महामारी से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों के लिए अस्थायी राहत के तौर पर टैक्स छूट (निजी और कारपोरेट आय) की घोषणा संभव है. अप्रत्यक्ष कर विशेषकर जीएसटी को तर्कसंगत बनाने के लिए भी कदम घोषित हो सकते हैं. श्रम और भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए प्रोत्साहन के साथ सरकार कारोबार में आसानी को और बढ़ावा देगी.
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