प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी है कि अगर किसी मुजरिम को एक या उससे अधिक अपराधों में एक से ज्यादा बार आजीवन कारावास की सजा दी जाती है तो उसकी यह सजा एक साथ ही चलेंगी अलग-अलग नहीं।
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कानून से जुड़े कई सवालों पर यह फैसला दिया है। इसमें एक सवाल यह भी था कि क्या दोषी को एक या उससे अधिक मामलों में एक से ज्यादा बार उम्र कैद की सजा दी जा सकती है?
पीठ में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, एके सीकरी, एसए बोबडे और आर भानुमति भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि निचली और उच्च अदालतें किसी मामले के दोषी को उम्र कैद के साथ-साथ निश्चित अवधि की सजा भी सुना सकती हैं। इसमें दोषी से पहले निश्चित अवधि की सजा और फिर उम्र कैद की सजा काटने को कहा जा सकता है।
यह फैसला कुछ याचिकाओं के आधार पर आया है। इन्हीं में से एक मामला ए मुथुरामालिंगम का था, जिसमें उन्होंने एक मामले में दी गई सजा के बारे में पूछा था कि ये सजाएं साथ-साथ भुगती जा सकती हैं या इन्हें एक के बाद एक भुगतना होगा।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कानून से जुड़े कई सवालों पर यह फैसला दिया है। इसमें एक सवाल यह भी था कि क्या दोषी को एक या उससे अधिक मामलों में एक से ज्यादा बार उम्र कैद की सजा दी जा सकती है?
पीठ में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, एके सीकरी, एसए बोबडे और आर भानुमति भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि निचली और उच्च अदालतें किसी मामले के दोषी को उम्र कैद के साथ-साथ निश्चित अवधि की सजा भी सुना सकती हैं। इसमें दोषी से पहले निश्चित अवधि की सजा और फिर उम्र कैद की सजा काटने को कहा जा सकता है।
यह फैसला कुछ याचिकाओं के आधार पर आया है। इन्हीं में से एक मामला ए मुथुरामालिंगम का था, जिसमें उन्होंने एक मामले में दी गई सजा के बारे में पूछा था कि ये सजाएं साथ-साथ भुगती जा सकती हैं या इन्हें एक के बाद एक भुगतना होगा।
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