नई दिल्ली:
रविवार 22 जनवरी को प्रकाशित हिंदी अख़बारों ने वैसे तो 5 राज्यों में हो रहे चुनावी दंगल, खासकर उत्तर प्रदेश को केंद्र में रखते हुए अलग-अलग तस्वीरों के साथ ख़बरें प्रकाशित की हैं. चुनावी ख़बरों के अलावा कुछ अन्य ख़बरें इस तरह हैं-
'ब्रेकअप के बाद रेप का रोना न रोएं लड़कियां' शीर्षक से 'हरिभूमि' अख़बार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के बारे में लिखा है कि हाईकोर्ट ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि संबंध खत्म होने के बाद रेप के आरोप लगाने का ट्रेंड बढ़ रहा है. रेप के एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मृदुला भटकर ने कहा कि एक पढ़ी-लिखी लड़की जो कि शादी से पहले यौन संबंध बनाती है, उसे अपने फैसले की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
'हरिभूमि' ने एक अन्य ख़बर में नोटबंदी को लेकर सरकार पर सवालिया निशान लगाए हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के हवाले से अख़बार लिखता है, 'आरबीआई से जारी हुए 9 खरब नोट, बैंकों ने बांटे 15 खरब'
रायगढ़ में हुए रेल हादसे को सबसे पहले 'नई दुनिया' ने प्रकाशित करते हुए ख़बर दी है, 'आंध्र में ट्रेन हादसा, 50 के मरने की आशंका' अख़बार से घटना के बारे में विस्तार से लिखा है आंध्र प्रदेश के कनेरू में शनिवार की रात जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस की 9 बोगियां बेपटरी हो गईं. इस हादसे में कम से कम 40 से 50 यात्रियों की मौत हुई है.
'चार रुपये प्रति किमी की दर से दौड़गी बाइक कैब' शीर्षक से 'अमर उजाला' ने गाजियाबाद में शुरू होने जा रही बाइक कैब की ख़बर को अपने पन्नों में जगह दी है. ख़बर के मुताबिक ट्रेफिक जाम के बाद भी कैब की यह सेवा लोगों को अपने गंतव्य पर जल्द पहुंचाने में मददगार साबित होगी.
'अमर उजाला' ने खेल के पन्ने पर कोलकाता में आज होने जा रहे भारत-इंग्लैंड के बीत तीसरे और आखिरी वन डे मैच के बारे में लिखा है, 'ईडन में क्लीन स्वीप करने पर निगाहें.' अख़बार लिखता है कि सीरीज पहले ही अपने नाम कर चुकी टीम इंडिया मनोवैज्ञानिक लाभ की स्थिति में है.
'देशबंधु' अख़बार ने बिहार की मानव श्रृंखला को अपने पहले पन्ने पर जगह देते हुए शीर्षक दिया है, 'बिहार ने रचा इतिहास, शराबबंदी के समर्थन में बनाई मानव श्रृंखला.' अख़बार लिखता है कि 11 हज़ार किलोमीटर से अधिक लंबी इस मानव श्रृंखला में 3 करोड़ से ज्यादा लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़कर शामिल हुए. इस मानव श्रृंखला की तस्वीरें उपग्रहों से ली गईं.
'दैनिक भास्कर' ने सोशल ऑडिट के तहत हरियाणा में बेटियों की घटती तादाद पर एक विशेष रिपोर्ट पर पहले पन्ने की सुर्खी बनाया है. अखबार लिखता है,' बेटियां नहीं बचाईं, 2.40 लाख बहुएं परदेस से लानी पड़ीं.' इस ख़बर में पत्र लिखता है कि बेटियों को न बचाने के बुरे नतीजे दिखाई देने लगे हैं. सूबे में 46 फीदसी लोग अब भी कुंवारे हैं.
'ब्रेकअप के बाद रेप का रोना न रोएं लड़कियां' शीर्षक से 'हरिभूमि' अख़बार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के बारे में लिखा है कि हाईकोर्ट ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि संबंध खत्म होने के बाद रेप के आरोप लगाने का ट्रेंड बढ़ रहा है. रेप के एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मृदुला भटकर ने कहा कि एक पढ़ी-लिखी लड़की जो कि शादी से पहले यौन संबंध बनाती है, उसे अपने फैसले की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
'हरिभूमि' ने एक अन्य ख़बर में नोटबंदी को लेकर सरकार पर सवालिया निशान लगाए हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के हवाले से अख़बार लिखता है, 'आरबीआई से जारी हुए 9 खरब नोट, बैंकों ने बांटे 15 खरब'
रायगढ़ में हुए रेल हादसे को सबसे पहले 'नई दुनिया' ने प्रकाशित करते हुए ख़बर दी है, 'आंध्र में ट्रेन हादसा, 50 के मरने की आशंका' अख़बार से घटना के बारे में विस्तार से लिखा है आंध्र प्रदेश के कनेरू में शनिवार की रात जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस की 9 बोगियां बेपटरी हो गईं. इस हादसे में कम से कम 40 से 50 यात्रियों की मौत हुई है.
'चार रुपये प्रति किमी की दर से दौड़गी बाइक कैब' शीर्षक से 'अमर उजाला' ने गाजियाबाद में शुरू होने जा रही बाइक कैब की ख़बर को अपने पन्नों में जगह दी है. ख़बर के मुताबिक ट्रेफिक जाम के बाद भी कैब की यह सेवा लोगों को अपने गंतव्य पर जल्द पहुंचाने में मददगार साबित होगी.
'अमर उजाला' ने खेल के पन्ने पर कोलकाता में आज होने जा रहे भारत-इंग्लैंड के बीत तीसरे और आखिरी वन डे मैच के बारे में लिखा है, 'ईडन में क्लीन स्वीप करने पर निगाहें.' अख़बार लिखता है कि सीरीज पहले ही अपने नाम कर चुकी टीम इंडिया मनोवैज्ञानिक लाभ की स्थिति में है.
'देशबंधु' अख़बार ने बिहार की मानव श्रृंखला को अपने पहले पन्ने पर जगह देते हुए शीर्षक दिया है, 'बिहार ने रचा इतिहास, शराबबंदी के समर्थन में बनाई मानव श्रृंखला.' अख़बार लिखता है कि 11 हज़ार किलोमीटर से अधिक लंबी इस मानव श्रृंखला में 3 करोड़ से ज्यादा लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़कर शामिल हुए. इस मानव श्रृंखला की तस्वीरें उपग्रहों से ली गईं.
'दैनिक भास्कर' ने सोशल ऑडिट के तहत हरियाणा में बेटियों की घटती तादाद पर एक विशेष रिपोर्ट पर पहले पन्ने की सुर्खी बनाया है. अखबार लिखता है,' बेटियां नहीं बचाईं, 2.40 लाख बहुएं परदेस से लानी पड़ीं.' इस ख़बर में पत्र लिखता है कि बेटियों को न बचाने के बुरे नतीजे दिखाई देने लगे हैं. सूबे में 46 फीदसी लोग अब भी कुंवारे हैं.
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