यह ख़बर 10 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

पितृत्व विवाद से संबंधित तिवारी की अर्जी खारिज

खास बातें

  • हाईकोर्ट ने नारायण दत्त तिवारी की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने डीएनए परीक्षण कराने के संबंध में दिए गए आदेश को चुनौती दी थी।
New Delhi:

दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने पितृत्व विवाद में एक अदालत द्वारा उन्हें डीएनए परीक्षण कराने के संबंध में दिए गए आदेश को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ ने तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए उनपर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। कांग्रेस नेता की याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, अगर आवेदन पर तत्काल आदेश नहीं पारित किया गया तो याचिकाकर्ता (रोहित शेखर) को अपूरणीय क्षति होगी और मुकदमा अपने आप में निष्फल हो सकता है और महत्वपूर्ण साक्ष्य हमेशा के लिए खत्म हो सकते हैं। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दिल्ली के युवक रोहित शेखर की ओर से दायर पितृत्व परीक्षण के संबंध में मुकदमे पर 23 दिसंबर को कहा था कि 85 वर्षीय नेता को डीएनए परीक्षण कराना होगा। शेखर का दावा है कि वह नेता की जैविक संतान है और उसका जन्म तिवारी और उसकी मां उज्ज्वला शर्मा के बीच कथित तौर पर संबंधों से हुआ है। पीठ ने सोमवार को तिवारी की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने तिवारी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि एकल न्यायाधीश के आदेश को फिलहाल निलंबित कर दिया जाए, ताकि मुद्दे का निर्धारण करने के लिए डीएनए परीक्षण के लिए उनके रक्त का नमूना लेने की खातिर मंगलवार को होने वाली प्रस्तावित अदालती कार्यवाही टाली जा सके।तिवारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने 23 दिसंबर के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने दलील दी थी, कोई अत्यावश्यकता नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता (रोहित) ने कोई आर्थिक राहत की मांग नहीं की है। याचिका को देखते हुए पीठ ने कहा था, क्या आपके मुवक्किल (तिवारी) यह हलफनामा दायर कर सकते हैं कि वह अगले 10 सालों तक जीवित रहेंगे। भूषण ने यह भी दावा किया था कि अदालत तिवारी को अपना रक्त का नमूना देने के लिए बाध्य नहीं कर सकती और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के अनेक फैसले हैं।


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