समाज के वंचित तबके से आने वाले छात्रों की उम्मीद को पंख देने के अपने आदर्श वाक्य को ओडिशा के एक चैरिटेबल समूह ने सच कर दिखाया है. इस साल समूह के सभी 19 छात्रों ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET में कामयाबी हासिल की है. नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट (NEET) के नतीजे शुक्रवार को घोषित कर दिए गए. कामयाबी हासिल करने वाले इन छात्रों के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर,सब्जी विक्रेता, ट्रक चालक, मछुआरे हैं. नीट परीक्षा में सफल छात्र अजय बहादुर सिंह के ज़िन्दगी फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं. अजय सिंह खुद बचपन में पैसों की तंगी के चलते डॉक्टर नहीं बन सके थे जिस चलते उन्होंने इस कार्यक्रम की शुरुआत की.
कार्यक्रम के तहत, ओडिशा भर से प्रतिभाशाली वंचित छात्रों का चयन किया जाता है और उन्हें NEET क्रैक करने और डॉक्टर बनने में मदद करने के लिए मुफ्त कोचिंग और भोजन सुविधा दी जाती है. ये कुछ आपको आनंद कुमार के सुपर 30 जैसा ही लगेगा.
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अजय सिंह बताते हैं, "न तो गरीबी और न ही कोरोनोवायरस महामारी इन छात्रों की को डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने से रोक सकती है. इस साल भी ज़िन्दगी फाउंडेशन के छात्रों ने इतिहास रचा, फाउंडेशन के 19 छात्रों में से 19 ने NEET परीक्षा क्वालिफाई की."
ज़िंदगी फाउंडेशन के बच्चों में खिरोदिनी साहू भी हैं. उनके पिता एक खेतिहर मजदूर के रूप में काम करते हैं, जिन्होंने महामारी के दौरान अपनी नौकरी खो दी. ऑल इंडिया रैंक 2,594 हासिल कर चुकी खिरोदिनी ने कहा, "मैं लॉकडाउन के दौरान बीमार पड़ गई, और एम्बुलेंस से भुवनेश्वर आ गई और अजय सर को सब कुछ बताया. उन्होंने मुझे अपने घर पर रखा और हर चीज मुहैया कराई."
सत्यजीत साहू, के पिता साइकिल पर सब्जियां बेचते हैं, सत्यजीत ने परीक्षा में 619 अंक हासिल किए हैं. एक और सफलता की कहानी सुभेंदु परिदा की है, जो अपने माता-पिता के साथ "इडली वड़ा" बेचते थे. उन्होंने 609 अंक प्राप्त करके NEET परीक्षा में क्वालीफाई किया. निवेदिता पांडा,के पिता सुपारी की दुकान के मालिक हैं, उन्होंने 591 अंक हासिल की है.
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रोशन पाइक, जो अपने खेतिहर मजदूर पिता की मदद करते थे, कामयाब छात्रों में से एक हैं. मंजीत, जिनका परिवार मछली पकड़ने का काम करता है, एक और सफल उम्मीदवार हैं. ट्रक ड्राइवर की बेटी स्मृति रंजन सेनापति ने NEET परीक्षा में 536 अंक प्राप्त किए हैं और 59044 एआईआर रैंक प्राप्त की है.
अजय बहादुर सिंह ने वर्ष 2017 में भुवनेश्वर में जिंदगी फाउंडेशन की शुरुआत की थी. सिंह ने कहा, "मैं यह सब किसी भी व्यक्ति या किसी संगठन से कोई दान लिए बिना करता हूं." इन बच्चों की सफलता की कहानियों के पीछे के व्यक्ति को अपने परिवार की आर्थिक तंगी के चलते मेडिकल की पढ़ाई छोड़ कर चाय और शर्बत (स्क्वैश) बेचना पड़ा था. अजय बताते हैं , "मुझे पढ़ाई करने के लिए झारखंड के बाबा बैद्यनाथ में श्रावणी मेले में चाय और शरबत बेचना पड़ा."
जिंदगी फाउंडेशन , एक राज्य-व्यापी स्क्रीनिंग टेस्ट के माध्यम से चुने गए गरीब प्रतिभाशाली छात्रों को डॉक्टर बनने में मदद करने के लिए मुफ्त भोजन, आवास और शिक्षण प्रदान किया जाता है. 2018 में NEET में क्रैक करने वाले 14 में से 12 छात्रों को ओडिशा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिला. यहां तक कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उनकी मेजबानी की.
अजय सिंह ने बताया, "मैं एक डॉक्टर नहीं बन सकता था, लेकिन जब मैं इन बच्चों को अपने सपनों को हासिल करते हुए देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है. मैं कभी भी यह स्वीकार नहीं करूंगा कि कोई भी प्रतिभाशाली बच्चा आर्थिक बाधाओं के कारण सिर्फ अपने सपने को हासिल करने में सक्षम नहीं है. मैं छात्र को अपने पास रखूंगा. यह सुनिश्चित करने के लिए कि संसाधनों की कमी के कारण कोई भी बच्चा अपने सपनों को भुला न दे.''
Super30 के संस्थापक आनंद कुमार खुद छात्रों को प्रेरित करने के लिए कई बार ज़िन्दगी फाउंडेशन आ चुके हैं. फिल्म स्टार ऋतिक रोशन जिन्होंने बायोपिक "सुपर 30" में आनंद कुमार की भूमिका निभाई है, ने भी जिंदगी फाउंडेशन की प्रशंसा की है.
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