नई दिल्ली: जैश-ए-मोहम्मद का मसूद अज़हर और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल में रिश्ता बहुत पुराना है। सुरक्षा गलियारों में ये चर्चा है कि पिछले 22 सालों में डोभाल का कई बार मसूद अजहर से कई मामलों में आमना-सामना हुआ है।
पुर्तगाली पासपोर्ट पर सफ़र करते हुए गिरफ्तार हआ था मसूद
1994 में मसूद अज़हर कश्मीर घाटी में एक पुर्तगाली पासपोर्ट पर सफ़र कर रहा था जब वह गिरफ़्तार हुआ था। आईबी के मुताबिक़ तब वह एक पत्रकार बन कर हरकत उल अनसार और हरकत उल जिहादी को एक करने की कोशिश कर रहा था। "मसूद अजहर एक पाकिस्तानी था, लेकिन पुर्तगाली पासपोर्ट पर सफ़र कर रहा था और लोगों को उकसा भी रहा था।"
एक सीनियर अफ़सर ने एनडीटीवी को बताया कि तब अजित दोभाल आईबी में जम्मू-कश्मीर में पोस्टेड थे और उन्होंने ही ये टिप ऑफ़ केंद्र सरकार को दिया था जिस पर मसूद अजहर गिरफ़्तार हुआ था। 1994 से लेकर 1999 तक वो कोट बलवल जेल में रहा।
मसूद की रिहाई के बदले में छोड़ा गया था IC-814 के यात्रियों को
दिसम्बर 1999 को उसे रिहा किया गया उसके बदले में IC-814 के यात्रियों को छोड़ा गया। उनको छुड़ाने के लिए और IC-814 के अपहरणकर्ताओं से बातचीत करने अफगानिस्तान अजित दोभाल भी गए थे। तब भी वह आईबी में बतौर अडिशनल डायरेक्टर पद पर कार्यरत थे।
दिसम्बर 2001 में जब संसद पर हमला हुआ, तब जैश का नाम सामने आया और मसूद अजहर का का भी। पूरी साजिश को सामने लाने में भी दोभाल ने पुलिस की मदद की। तब वह आईबी में कश्मीर डेस्क को भी सुपरवाइज़ कर रहे थे।
फिर आई है मसूद की गिरफ़्तारी की ख़बर
अब 2016 में जब दुबारा मसूद अजहर की गिरफ़्तारी की ख़बर आई है तब डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। पठानकोठ हमले को लेकर आजकल उनकी ख़ूब आलोचना हो रही है, लेकिन शायद अब नहीं होगी क्योंकि भारत ने जो सबूत पाकिस्तान को दिए उस पर पाकिस्तान ने मसूद अजहर पर कार्रवाई की है।